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विश्व जल दिवस : बूंद-बूंद को तरस रहे लोग, BAU बताएगा जल संरक्षण का तरीका

विश्व जल दिवस भागलपुर के कई इलाके में पेयजल संकट गहरा गया है। कई जगह तो प्रदूषित जल पीने के लिए लोग मजबूर हैं। दूसरी ओर जल संरक्षण और जल की महत्‍ता पर लोगों को जागरुक किया जा रहा है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Mon, 22 Mar 2021 12:56 PM (IST)Updated: Mon, 22 Mar 2021 12:56 PM (IST)
विश्व जल दिवस : बूंद-बूंद को तरस रहे लोग, BAU बताएगा जल संरक्षण का तरीका
बांका केवीके का मॉडल लागू कर जल संरक्षण किया जाएगा।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। जल ही जीवन है। जल के बिना जीवन की कल्पना अधूरी है। विश्व के हर नागरिक को पानी की महत्ता से अवगत कराने के लिए ही संयुक्त राष्ट्र ने विश्व जल दिवस मनाने की शुरुआत की थी।  वैश्विक जल संकट को देखते हुए संरक्षण के वास्तविक क्रियाकलापों को प्रोत्साहन देने के लिये विश्व जल दिवस मनाया जाता हैं। इसी कड़ी में विश्वविद्यालय ने जल संरक्षण को बढ़ावा देने और नई तकनीक के माध्यम से किस प्रकार जल संरक्षण किया जा सकता है,  इसको लेकर सोमवार को कार्यक्रम का आयोजन किया है। यहां यह भी जानना जरुरी है कि भागलपुर, बांका सहित पूर्व बिहार, सीमांचल और कोसी के जिलों में पेयजल संकट गहरा गया है।

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कटोरिया का मेढा गांव जल संरक्षण का मिशाल

बिहार कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्र अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र बांका द्वारा विकसित जल संरक्षण की नई तकनीक से कटोरिया का मेढा गांव मिसाल बन गया है। गांव की महिला जल संकट दूर करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से खुद ही कमर कस ली है। गर्मी के मौसम आते ही यहां से पशुपालकों को जल संकट के कारण अपने पशुओं को बेच देना  पड़ता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है बरसात के मौसम में जल को संग्रहित कर अपने गांव के 25 कुआं को जल से जीवंत रखा जाता है। वहीं संग्रहित जल से पशुपालन होता है।  इतना ही नहीं उस पशुपालन से बेकार निष्कासित जल को पुनः एकत्रित कर सब्जी और पशु चारा उगाया जाता है। नारी सशक्तिकरण की मिसाल गांव की वंदना को इस काम के लिए कई पुरस्कार भी मिला है।

केवीके में होगी जलसंरक्षण तकनीक लागु

कुलपति डॉ. आरके सोहाने कहते हैं कि भागलपुर सहित अन्य केवीके में भी जल संरक्षण तकनीक बांका की तरह विकसित किया जाएगा ताकि किसानी में जल संकट को कम किया जा सके।केंद्र सरकार ने जल संकट दूर करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया है। वही बिहार सरकार जल जीवन हरियाली योजना चला रही है। उन्होंने कहा कि 1993 में 22 मार्च को पहली बार ‘विश्व जल दिवस’ का आयोजन किया गया था। इसके बाद से हर वर्ष लोगों के बीच जल का महत्व, आवश्यकता और संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। किताबी दुनिया और किताबी ज्ञान को हममें से बहुत कम ही असल जिंदगी में उतार पाते हैं और इसी का नतीजा है कि आज भारत और विश्व के सामने जल  की समस्या उत्पन्न हो गई है। जल संरक्षण के लिए धरातल पर प्रायोगिक  तकनीक सीखने की जरूरत है। ताकि पानी की एक-एक बूंद का सदुपयोग हो सके।


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