विश्व बाल श्रम निषेध दिवस : 77 बाल श्रमिकों का भविष्य संवार रहा विभाग
World Child Labor Prohibition Day 12 जून 2002 को बाल मजदूरी के खिलाफ जागरूकता फैलाने और 14 साल से कम उम्र के बच्चों को शिक्षा दिलाने का प्रयास।
भागलपुर, जेएनएन। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर 12 जून को कार्यक्रम नहीं होगा। पर बाल मजदूरी के खिलाफ श्रम संसाधन विभाग अभियान चलाया जाएगा। होटलों, ढाबा, गैराज, कल-कारखानों में छापेमारी की जाएगी। श्रम संसाधन विभाग के अनुसार पिछले छह सालों में 152 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया है। इनमें अबतक 75 से बच्चों का पुर्नवास कराया गया है। परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए सरकार की योजनाओं से जोड़कर पुनर्वास किए गए बाल श्रमिकों के बैंक खाता में जमा कराया गया है। वहीं 77 बच्चों को बांका में संचालित विशेष प्रशिक्षण केंद्र में रखा गया। इस केंद्र में मुफ्त रहने, खाने की व्यवस्था है। बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा दी जाती है। कोरोना संक्रमण के मद्देनजर 25 मार्च से केंद्र बंद है। बच्चों को घर पहुंचा दिया गया है। खुलने के बाद पुन: सभी बच्चों को लाया जाएगा।
मुकदमा भी दर्ज कराया गया
14 साल से कम उम्र से काम कराने वाले बेकरी मालिक, गैराज संचालक, ढाबा आदि संचालकों के खिलाफ विभिन्न थानों में श्रम विभाग के अधिकारियों के बयान पर मुकदमा भी दर्ज कराया गया है। बाल श्रम को रोकने के लिए सरकार की ओर से कड़े कानून बनाए गए हैं। इसमें दोषियों को दो साल कैद की सजा और 50 हजार तक जुर्माना का भी प्रावधान है।
बच्चों को शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से वर्ष 2002 में की गई थी शुरुआत
12 जून को बाल मजदूरी के खिलाफ जागरूकता फैलाने और 14 साल से कम उम्र के बच्चों को इस काम से निकालकर उन्हें शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से इस दिवस की शुरुआत साल 2002 में द इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन की ओर से की गई थी। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर बच्चों को फील्ड में नहीं सपनों पर काम करना चाहिए। बाल मजदूरी (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986 के तहत 14 सालों से कम उम्र के बच्चों को किसी भी अवैध पेशों और 57 प्रक्रियाओं में जिन्हे बच्चों के जीवन और स्वास्थ्य के लिए अहितकर माना गया है नियोजन को निषिद्ध बनाता है। इन पेशों और प्रक्रियाओं का उल्लेख कानून की अनुसूची में है। होटलों, कल-कारखानों आदि में काम बच्चे काम करते हैं। उनके नियोक्ता बच्चों को थोड़ा सा खाना देकर मनमाना काम कराते हैं। 12 से 14 घंटे या उससे भी अधिक काम कराया जाता है। केवल घर का काम नहीं बल्कि बाल श्रमिकों को कालीन बुनना, वेल्डिंग करना, बीड़ी बनाना, खेतों में काम करना, होटलों, ढावों में झूठे बर्तन धोना आदि सभी काम मालिक की मर्जी के अनुसार करने होते हैं।
बाल कल्याण पदाधिकारी की निगरानी में चाइल्ड हेल्पलाइन काम कर रहा है। बाल श्रम की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। मुक्त कराए गए बाल श्रमिकों का पुनर्वास करने के साथ ही उन्हें सरकारी योजना का लाभ दिलाने की दिशा में पहल की जाएगी। -कविता कुमारी, उपश्रमायुक्त, भागलपुर।