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World cancer day : कैंसर पीडि़तों को हर संभव मदद करने का संकल्‍प, प्रेरणादायी है इस संस्‍थान के कार्य

World cancer day कैंसर पीडि़तों की सहायता कर रही युवाओं की टोली। बिहार यूथ आर्गेनाइजेशन आधा दर्जन से अधिक मरीजों का करा चुके हैं उपचार। शिविर लगाकर की जाती है रोगियों की पहचान। हर प्रकार से करते हैं सहायता।

By Dilip Kumar shuklaEdited By: Published: Thu, 04 Feb 2021 07:50 PM (IST)Updated: Thu, 04 Feb 2021 07:50 PM (IST)
World cancer day : कैंसर पीडि़तों को हर संभव मदद करने का संकल्‍प, प्रेरणादायी है इस संस्‍थान के कार्य
कैंसर पीडि़तों के लिए बाक्स लगाकर जुटा लेते हैं पैसा

कटिहार [रमण कुमार झा]। World cancer day : डंडखोरा प्रखंड के मुकरजान गांव वासी मु. मुबारक की चार माह की बच्ची को जब कैंसर होने की बात चिकित्सकों ने बताई तो उनके पैर की जमीन खिसक गई। मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले मुबारक घर लौट गए और फिर बेटी के इलाज के लिए यत्र-तत्र मदद को भटकने लगे। यह बात जब बिहार यूथ आर्गेनाइजेशन से जुड़े शहर के डेहरिया निवासी अब्दुल कलाम तक पहुंची तो वे अपनी टोलियों के साथ मुबारक के घर पहुंच गए। फिर उनकी अगुवाई में टोलियों ने अपने स्तर से समाज में चंदा इकट्ठा कर मासूम के इलाज की हर व्यवस्था की। फिलहाल मासूम का इलाज पटना के महावीर कैंसर संस्थान में चल रहा है और उसकी स्थिति भी अब बेहतर है।

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यह बानगी भर है। दरअसल अब्दुल कलाम की अगुवाई में एक बड़ी टोली इस नेक कार्य से जुड़ी हुई है। लगभग तीन साल से इस टोली द्वारा खुद के प्रयास से आधा दर्जन कैंसर पीडि़तों का इलाज कराया है। इस टोली में शहर के डेहरिया व चौधरी मोहल्ला के लगभग दो दर्जन से ज्यादा युवा जुड़े हुए हैं। कैंसर से पीडि़त रहे सैयद इकबाल कहते हैं कि युवाओं की यह टोली उनके लिए रहनुमा बनकर सामने आए। उनके प्रयास से मुंबई में उनका उपचार हुआ। उनकी स्थिति अब खतरे से बाहर है। यूथ आर्गेनाइजेशन के जिलाध्यक्ष के रुप में कार्यरत अब्दुल कलाम कहते हैं कि यह विशुद्ध मानवता के नाते शुरु किया गया मिशन है। इसमें जुड़े युवाओं को न तो इस एवज में शोहरत की ख्वाहिश है और न ही कोई और तमन्ना। बतौर कलाम समाज में जब कभी यह सूचना मिलती थी कि कोई व्यक्ति कैंसर से सिर्फ इसलिए मर गया क्योंकि इलाज के लिए उनके पास पैसे नहीं थे, इस बात से हृदय द्रवित हो जाता था। ऐसे में उन लोगों ने समान भाव वाले युवाओं की यह टोली बनाई और उन्हें फक्र है कि उन लोगों के प्रयास से आज आधा दर्जन से अधिक लोगों को नई जिंदगी मिल चुकी है।  

शिविर लगाकर की जाती है रोगियों की पहचान

इस टोली द्वारा समय-समय पर शहर के साथ ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य शिविर भी लगाया जाता है।  इसमें केंसर के लक्षण वाले मरीज की पहचान कर जरुरत के अनुसार आगे की जांच कराई जाती है। आर्थिक रुप से अक्षम रहने पर ऐसे लोगों को टोली द्वारा हर प्रकार की मदद दी जाती है। साथ ही इसके उपचार के लिए उपयुक्त चिकित्सीय संस्थान तक उसे पहुंचाकर उसकी समुचित व्यवस्था कराई जाती है।

जरुरत पडऩे पर बाक्स लगाकर जुटा लेते हैं पैसा

अब्दुल कलाम के मुताबिक उन लोगों का प्रथम प्रयास यह होता है कि आपस में आर्थिक सहयोग कर मरीज के उपचार की व्यवस्था की जाए। अत्यधिक खर्च आने की स्थिति में वे लोग मोहल्ले में बाक्स लगाकर भी चंदा इकट्ठा कर लेते हैं। कुछ सक्षम लोग आगे बढ़कर इसमें सहायता देते हैं।

आयुष्मान कार्ड सहित अन्य सरकारी प्रावधान को लेकर भी करते हैं प्रयास

इस टोली द्वारा कैंसर पीडि़तों मरीजों के उपचार के लिए मौजूद सरकारी व्यवस्था आदि के बारे में भी बताया जाता है। खासकर आयुष्मान आदि योजना के बारे में न केवल जानकारी दी जाती है बल्कि इसका लाभ उन्हें मिले इसके लिए भी हर प्रयास किया जाता है।


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