विश्व कैंसर दिवस : कैंसर को पछाड़, जीती जिंदगी की जंग, इस तरह हराया दर्द और कष्ट को
विश्व कैंसर दिवस तीन साल पूर्व मुंह में कैंसर का चला पता। दर्द और कष्ट कमजोर नहीं कर सका मानसिक मजबूती। अब सुबह उठकर गाय के नाद में सानी लगाने से लेकर व्यापार की भाग-दौड़ व पारिवारिक दायित्व का सहजता से निर्वाहन कर रहे हैं।
जमुई [आशीष कुमार चिंटू]। विश्व कैंसर दिवस : जिंदगी अच्छी चल रही थी। अचानक एक दिन खाना खाने के दौरान गाल व मुंह में तेज जलन का एहसास हुआ। गुस्सा हो पत्नी को खाने में कम मिर्ची डालने की बात कही। लेकिन फिर हर वक्त के खाने के साथ जलन बढऩे लगा। बिना मिर्ची का खाना भी तीखा लगने लगा।
इस स्थिति में चिंता की लकीरें माथे पर सिकन बन उभर आई। हम बात कर रहे मलयपुर तोमर टोला निवासी राजकुमार सिंह की। राजकुमार सिंह ने कैंसर को पछाड़ कर जिंदगी की जंग जीत ली है। लगभग तीन वर्ष के कष्ट व दर्द भी इनकी मानसिक मजबूती को कमजोर नहीं कर सकी। अब इनकी दिनचर्या सामान्य है। सुबह उठकर गाय के नाद में सानी लगाने से लेकर व्यापार की भाग-दौड़ व पारिवारिक दायित्व का सहजता से निर्वाहन कर रहे हैं। ये कैंसर से पीडि़त अन्य मरीजों के लिए प्रेरणा बने हैं कि चुनौती और बड़े से बड़े रोग को मानसिक मजबूती और सही समय पर सही इलाज से ठीक किया जा सकता है। जीवन का अर्थ मुसीबत में रुकना नहीं बल्कि जीवन पथ की चुनौतियों से मुकाबला करते हुए आगे बढ़ते रहना है।
राजकुमार सिंह ने बताया कि वो सिगरेट और गुटखा खाते थे। जब लगातार मुंह व गला में जलन का अहसास होने लगा तो उन्होंने तुरंत पटना में चिकित्सक से परामर्श लिया। पटना में कैंसर के तीन बार हुए जांच में रिपोर्ट निगेटिव आई। लेकिन इन्हें चैन नहीं मिला। दिल्ली की ओर निकल गए लेकिन यहां भी रिपोर्ट निगेटिव ही आई। इसके बाद कई लोगों ने कई तरह के सलाह दिए लेकिन राजकुमार सिंह ने चेन्नई के भेलोर की ओर रुख कर लिया। भेलोर में हुए जांच में पहली बार मुंह के कैंसर का पता चला। कैंसर थर्ड स्टेज में होने की बात बताई गई। राजकुमार ने बताया कि रिपोर्ट देखने के बाद वो डर गए। पुरानी बातें याद आने लगी जब लोग सिगरेट और गुटखा खाने से मना करते थे। उन्होंने बताया लगभग एक घंटे तक वो गुम हो गए। इसके बाद सोचा कि अब जो होगा देखा जाएगा। इलाज शुरू कराया जाए। इस समय में रिश्तेदार व परिवारवालों ने बहुत हिम्मत दिलाई। कहा जो हो गया, वह हो गया। अब इलाज कराया जाए। उपर वाला सब ठीक करेगा। हिम्मत मिलने से मानसिक मजबूती मिली फिर इलाज का सिलसिला शुरू हो गया। इलाज के दौरान दर्द और कष्ट को अपनों का स्नेह और विश्वास का मलहम मिलता रहा। बात करने के दौरान राजकुमार ङ्क्षसह भावुक होकर रेडिएशन प्रक्रिया का जिक्र करते हुए बताया कि उस वक्त अजीब सा लगता था। गले से लेकर मुंह तक जालीनुमा कुछ पहना कर सभी स्टॉफ भाग निकल जाते थे। इतना कहने के साथ ही राजकुमार ङ्क्षसह की जुबान थोड़ी देर के लिए खामोश हो गई। फिर सिर छटक कर उन्होंने जोश से कहा कि आत्मबल के सहारे हर जंग से मुकाबला किया जा सकता है। खुद से हार गए तो जीत नहीं मिलेगी।