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परदेस की ठोकर ने दिखाई समृद्धि की महकती राह, महिलाएं इस तरह कर रहीं परिवार का पालन-पोषण

यह कहानी जिले में अकबरनगर के खेरैहिया गांव की है। महिलाएं बताती हैं कि लॉकडाउन के बाद चार महीने तक रोजगार की तलाश में आंसू और पसीना दोनों बहाना पड़ा। इस रोजगार से आर्थिक तंगी दूर हो गई।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 01:30 PM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 01:30 PM (IST)
परदेस की ठोकर ने दिखाई समृद्धि की महकती राह, महिलाएं इस तरह कर रहीं परिवार का पालन-पोषण
भागलपुर के अकबरनगर के खेरैहिया गांव में अगरबत्‍ती बनाया जता है।

भागलपुर [नमन कुमार]। तमाम रात आंसुओं से गम उजालती रहीं, गम उजाल-उजाल कर खुशियों में ढालती रहीं। कुछ ऐसी ही स्थिति लॉकडाउन के दौरान प्रवासी महिलाओं की हो गई थी। पति का काम-धंधा छिन गया, वापस लौटने के लिए हजार जलालते सहनी पड़ीं। अब जब स्थिति सामान्य होने के बाद घर के पुरुष काम पर निकले, तो महिलाओं ने उनके साथ जाने से मना कर दिया। अब ये महिलाएं अगरबत्ती तैयार कर घर-परिवार की जिंदगी समृद्धि से महका रही हैं।

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कहानी अकबरनगर के खेरैहिया गांव की है। महिलाएं बताती हैं कि लॉकडाउन के बाद चार महीने तक रोजगार की तलाश में आंसू और पसीना दोनों बहाना पड़ा। परदेस से कमाकर लौटे सारे पैसे खत्म हो गए थे। दो वक्त की रोटी और बच्चों की परवरिश की चिंता खाए जा रही थी। पतियों ने फिर से परदेस लौटने की ठान ली, मगर इनका दिल नहीं माना। यहीं मेहनत कर आत्मनिर्भर बनने की जिद पर अड़ गईं। मेहनत रंग लाई। अब अगरबत्तियां तैयार कर अपनी जिंदगी में खुशबू बिखेर रही हैं। इसके लिए बीस महिलाओं ने मिलकर एक समूह बनाया और जीवन जागृति सोसाइटी की मदद से अगरबत्ती बनाने की मशीन खरीदीं। प्रशिक्षण लेकर काम में जुट गईं। सोनी देवी, अनीता देवी, किरण देवी, डेजी देवी, साधना देवी कहती हैं कि काम की तलाश में पति परदेस चले गए। काम नहीं मिलने तक घर का खर्च कैसे चलातीं।

इस रोजगार से आर्थिक तंगी दूर हो गई। समूह में बैठकर काम करने से चिंता भी दूर हो गई। कोई अगरबत्ती के मसाले तैयार करती हैं तो कोई पैकिंग करती है। एक दिन में तीन क्विंटल मसाले की अगरबत्तियां तैयार की जाती हैं। एक किलो में 1200 अगरबत्तियां बनती हैं। ये अन्य महिलाओं को भी इस काम के लिए प्रशिक्षित कर रही हैं।

आत्‍मनिर्भरता जरुरी

अगरबत्‍ती बनाकर महिलाएं आत्‍मनिर्भर हो रहीं हैं। खुद को रोजगार मिलने के साथ-साथ परिवार का भरण-पोषण कर रहीं हैं। साथ ही अन्‍य महिलाओं को भी रोजगार का अवसर मिल रहा है।


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