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BhagalpurLokSabhaNews : कौन काटेगा दियारा की 'मलाई'

भागलपुर लोकसभा में जीत-हार का बहुत अधिक दारोमदार दियारा के वोट पर निर्भर रहेगा। दियारा के वोट पर एनडीए और महागठबंधन दोनों हक जमा रहे हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 01:23 PM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 03:40 PM (IST)
BhagalpurLokSabhaNews : कौन काटेगा दियारा की 'मलाई'
BhagalpurLokSabhaNews : कौन काटेगा दियारा की 'मलाई'

भागलपुर [राम प्रकाश गुप्ता]। भागलपुर में लोकतंïत्र के महापर्व का यज्ञ संपन्न हो गया। इस यज्ञ में करीब दस लाख (अनुमानित) मतदाताओं ने अपनी आहुति दी है। लोकसभा क्षेत्र के लगभग सभी छह विधानसभा क्षेत्रों का एक हिस्सा गंगा के किनारे है। गंगा के किनारे का हिस्सा दियारा कहलाता है। यहां गेहूं कटने के बाद किसान खेतों में कलाई की फसल लगाते हैं और गर्मी में ही काटते हैं। ठीक इसी तरह लोकसभा चुनाव भी गर्मी में हुआ। जीत-हार का बहुत अधिक दारोमदार दियारा के वोट पर निर्भर रहेगा। दियारा के वोट पर एनडीए और महागठबंधन दोनों हक जमा रहे हैं। दियारा में एक खास जाति के मतदाता लगभग सभी विधानसभा क्षेत्रों में है।

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कुछ विधानसभा क्षेत्रों में ऐसे मतदाता बहुतायत हैं तो कहीं छिटपुट। ऐसे मतदाताओं ने खूब मतदान किया है। अधिक मतदान होने से दोनों ही दलों को लग रहा है कि मतदाताओं ने उन्हें वोट किया है। लोकतंत्र के इस महापर्व में राजनीतिक दलों के लिए दियारा के मतदाता 'मलाईÓ की तरह हैं। यहां के मतदाता जिधर करवट बदलेंगे, संभव है कि दिल्ली का टिकट उनके नाम सुरक्षित हो जाएगा। दोनों ही दलों ने इस वोट बैंक की फसल काटने की पूरी तैयारी और रणनीति बना ली थी। इसके लिए 'नेताओंÓ की सभाएं भी कराई गई। प्रत्याशियों के अलावा दलीय समर्थक भी दियारा इलाके में खूब घूमे। गोपालपुर में 61 और नाथनगर में 57 फीसद मतदान यह बताता है कि दियारा में अच्छी पोलिंग हुई है।

दियारा के मतदाता मतदान के प्रति हमेशा से जागरूक रहे हैं। चुनाव में उम्मीदवार का नाम फाइनल होने के बाद ही दियारा के वोटर तय कर लेते हैं कि इस बार उन्हें किसके साथ जाना है। यहां के मतदाता मौन हैं। कई विधायक देने के कारण अब उनमें राजनीतिक चेतना भी है। वे अपनी वोट को बर्बाद भी नहीं करते हैं। उनके पास आने वाले प्रत्याशियों को समर्थन देने का भरोसा भी दे चुके हैं। ऐसे मतदाताओं में प्रत्याशियों के कुछ नाते रिश्तेदार भी हैं जिनका वोट उन्हें करीबी होने की वजह से मिलेगा। लेकिन हार-जीत की बात नाते रिश्तेदारों के मत से नहीं बनेगी। दियारा के बहुसंख्यक वोटों को अपनी ओर खींचने में सक्षम होने वाला ही मलाई खाएगा। उन्हें ही पांच साल तक दियारा के वोटरों की सेवा करने का मौका मिलेगा।


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