डीएपी खाद की किल्लत ने बांधे किसानों के हाथ, अररिया में गेहूं, मक्का और आलू की खेती पर असर
डीएपी खाद की किल्लत ने किसानों के हाथ बांध दिए हैं। अररिया में मक्का गेहूं आलू व अन्य रबी फसल की बुआई पर इसका सीधा असर पड़ रहा है। किसान खाद के लिए हर दिन दुकानों के चक्कर लगा रहा है। लेकिन...
संसू,सिकटी(अररिया)। सिकटी में खाद की आपूर्ति में कमी होने के कारण किसान काफी ङ्क्षचतित है।जिसके कारण रबी की बोआई प्रभावित हो रही है। डीएपी की उपलब्धता नहीं होने तथा सीमित आवंटन के कारण दुकानदारों द्वारा चोरी छिपे रात में अधिक मूल्य पर बाहर खाद बेचे जाने से स्थानीय किसान परेशान है। ऐसे में किसान खाद के दर दर भटक रहे हैं लेकिन उसे खाद नही मिल रहा है। सिकटी मे रबी की खेती में खासकर डीएपी का इस्तेमाल ज्यादातर होता आया है। लेकिन इस बार वो नही मिल रहा है।
मुख्य रूप से खाद का इस्तेमाल गेहूं,मक्का,आलु की फसल मे किया जाता है। किसान अनिल झा, कमल मिश्र, रंजन मंडल, कृष्ण देव यादव, अजदेव मंडल आदि का कहना है कि रबी के लिए नवंबर से लेकर पंद्रह दिसंबर तक अच्छा समय रहता है। लेकिन अक्टूबर में आई बाढ़ से जहां धान की फसल कीचड़मय हो गई। वहीं नमी ज्यादा दिन तक रहने से रबी की खेती में विलंब हो रहा है।फिर खाद की किल्लत और परेशानी का सबब बना हुआ है। दुकानदार मनमाने कीमत पर खाद वो भी कम मात्रा में लोगों को देते है। इस तरह कैसे खेती हो पाएगा।
वहीं कई दुकानदार ने बताया कि खाद की आपूर्ति कम हो रही है।डीएपी नही मिलने के कारण किसानों को नही दे पा रहे है। अन्य उपलब्ध खाद दिया जा रहा है। दुकानदार के मनमाने विक्रय व्यवस्था से आम किसान परेशान है। लेकिन विभागीय अधिकारियों का इस ओर ध्यान नही दिया जा रहा है।
51 हजार एमटी यूरिया की जगह 11 हजार एमटी, 17 हजार एमटी पोटाश की जगह 2500 एमटी पोटाश जिला को मिला है। जिला कृषि पदाधिकारी स्वयं मांग की अपेक्षा 27 प्रतिशत खाद की आपूर्ति की बात स्वीकार करते है।तब आखिर कब खाद मिलेगी और किसान खेती करेंगे। वहीं, कुछ किसानों का कहना है कि जिन किसानों के पास पहले से कुछ खाद है वे अधिक कीमत पर बेच रहे हैं।