Weavers of Bhagalpur : लॉकडाउन ने बिगाड़ा, ऑनलाइन व्यापार ने संभाला, होने लगे आत्मनिर्भर
Weavers of Bhagalpur युवाओं ने लॉकडाउन के बीच पिछले चार माह में रोजगार का ट्रेंड बदल दिया। इससे बुनकर अब अपना कपड़ा तैयार कर आत्मनिर्भर बनने लगे हैं।
भागलपुर, जेएनएन। Weavers of Bhagalpur : लॉकडाउन ने रेशमी शहर के 80 हजार बुनकरों की आर्थिक रूप से कमर तोड़कर रख दी। जीविका के साधन बंद हो गए और दाने-दाने को मोहताज होने लगे। इसके बाद भी बुनकरों ने हिम्मत नहीं हारे। नई पीढ़ी के युवा बुनकरों ने ऑनलाइन व्यापार का दामन थाम लिया। युवाओं ने लॉकडाउन के बीच पिछले चार माह में रोजगार का ट्रेंड बदल दिया। इससे बुनकर अब अपना कपड़ा तैयार कर आत्मनिर्भर बनने लगे हैं। बिचौलिया व महाजनों से आजादी भी मिलने लगी है। यूं कहे युवा बुनकरों की नई सोच रेशमी शहर के व्यापार का ट्रेंड ही बदल दिया है।
जिले के चंपानगर, नाथनगर, हुसैनाबाद व तांती बाजार व नरगा आदि क्षेत्र के करीब 1200 से अधिक बुनकर ऑनलाइन व्यापार से जुड़े हैं। अब स्वयं का कपड़ा तैयार कर देश के विभिन्न क्षेत्रों में कपड़े की आपूर्ति कर रहे हैं। इस माध्यम आर्डर भी मिल रहा है और व्यापार भी तेजी से बढ़ रहा है। एक दिन में बुनकर ऑनलाइन एप पर 10 से 250 पीस का आर्डर पूरा कर रहे हैं। जिससे कोरियर के माध्यम से भेजा जा रहा है। इससे एक बुनकर को प्रतिदिन एक हजार से लेकर 10 हजार रुपये का आय अर्जित कर रहे हैं।
युवा बुनकरों को मिली उपलब्धि
युवा बुनकर प्रीतम कुमार, मयंक कुमार व शुभम ने बताया कि सबकुछ डिजिटल हो रहा है। भविष्य का बाजार है। जिससे सीधे उपभेाक्ता से जुड़ रहे हैं। लॉकडाउन में स्वजनों का रोजगार ठप हो गया था। महाजन के दिए धागे पर कपड़ा तैयार करते थे। जिससे तीन सौ रुपये ही मजदूरी मिलता था। लेकिन ऑनलाइन व्यापार से चार से पांच गुणा आमदनी हो रही। इसके लिए पहले अपने उत्पादों को फेसबुक पर डाला। इससे आर्डर भी मिलने पर कोरियर से आपूर्ति भी किया। कई क्रेता भी जुड़ते चले गए। तीन पहले वाणिज्यिक एप से जुडऩे के लिए जीएसटी नंबर लिया। इस माध्यम से रेशम, सूती व लीलन के साड़ी, सूट सलवार, कुर्ता, दोपट्टा आदि का आर्डर मिल रहा है।
सबकुछ एक क्लिक पर उपलब्ध
घर-घर इंटरनेट की पहुंच के बाद ऑनलाइन व्यापार को बढ़ावा मिला है। स्मार्ट फोन में मौजूद एप पर एक क्लिक करने के बाद घर की दहलीज पर लोगों को उपलब्ध कराया जा रहा है। बंगलुरू की एक वाणिज्यिक संस्था ने बुनकरों के लिए रोजगार का द्वार खोल दिया है। मोबाइल एप के माध्यम से काफी आर्डर भी मिल रहा है।