Lok Sabha Election 2019 : पार्टी से वफादारी पर हावी होता दिखा व्यक्तित्व का आभा मंडल
एनडीए प्रत्याशी गिरधारी यादव महागठबंधन प्रत्याशी जयप्रकाश नारायण यादव के बीच सीधी टक्कर को भाजपा से बागी हुई निर्दलीय प्रत्याशी पुतुल कुमारी त्रिकोणात्मक बनाने में सफल रही।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। बांका लोकसभा क्षेत्र के सुल्तानगंज विधानसभा क्षेत्र में मतदान सुबह दस बजे तक तेज रफ्तार में रही जो दोपहर होते ही धीमी हो गई। इस विधानसभा क्षेत्र में एनडीए प्रत्याशी गिरधारी यादव, महागठबंधन प्रत्याशी जयप्रकाश नारायण यादव के बीच सीधी टक्कर को भाजपा से बागी हुई निर्दलीय प्रत्याशी पुतुल कुमारी त्रिकोणात्मक बनाने में सफल रही। सुल्तानगंज विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के वफादार कार्यकर्ताओं ने कुछ जगहों पर पार्टी लीक से अलग हटकर व्यक्तित्व के आभा मंडल पर अपनी मेहनत न्यौछावर किया।
एनडीए प्रत्याशी के खाते में जदयू की परंपरागत वोट बैंक में भी पुतुल देवी सेंध लगाने में कुछ हद तक सफल होती दिखी तो महागठबंधन की परंपरागत वोट में एनडीए प्रत्याशी गिरधारी यादव भी थोड़ा बहुत सफल रहे। महागठबंधन की परंपरागत वोट बैंक में गिरधारी की सेंधमारी को नाराज लोगों ने जयप्रकाश नारायण यादव के पांच साल के कार्यकाल में होने वाले उनके कोटे के कामकाज नहीं होने और उनके बीच नहीं आने को बताया।
वहीं पुतुल देवी की एनडीए के आधार वोट बैंक में सेंधमारी को भाजपा कोटे से प्रत्याशी नहीं देने की नाराजगी को कारण बताया। मिश्रपुर कुमैठा, करहरिया, देवधा, बाथ, कुमारपुर, कटहरा, उधाडीह, सैदापुर, रहमतपुर, नवटोलिया, बादामाचक, हलकराचक, घोरपिठिया, मानिकपुर, आभा रतनपुर, जगरिया, बगचप्पर, किरणपुर, अंबा जैसे क्षेत्र में वोटरों का झुकाव जयप्रकाश, गिरधारी और पुतुल के बीच रहा। प्रथम पाली में वोटिंग करने में तेजी दिखाई। अकबरनगर के श्रीरामपुर, जहांगीरा, इंग्लिश चिचरौन, कोलगामा, पैन समेत कई क्षेत्र के लोगों ने प्रथम पाली में वोटिंग तेजी से की।
सुल्तानगंज, अकबरनगर, शाहकुंड क्षेत्र के मतदाताओं ने अपने-अपने पसंदीदा प्रत्याशियों के पक्ष में प्रथम पाली में जी-जान से लगे रहे। जैसे ही मौसम का मिजाज तेज हुआ। तपिश बढ़ी कि वोटरों को घरों से लाने-ले जाने का सिलसिला बंद कर खुद को छांव में कैद कर लिया। अधिकांश कार्यकर्ता और सक्रिय नेता पेड़ की छांव तले बैठ गए। कोई झोपड़ी, दुकान तो किसी ने घर ही पकड़ लिया। भाजपा-जदयू की परंपरागत वोट बैंक में सेंधमारी करने में निर्दलीय पुतुल देवी कुछ हद तक कामयाब रही। इसमें उनके पति दिवंगत दिग्विजय सिंह जिन्हें लोग प्यार से दादा जी का नाम दे दिया था, उनके आभा मंडल का प्रभाव साफ दिख रहा था। दादा ने भी एक बार टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद कर वोटरों में अपने पार्टी नेता के विरुद्ध ऐसा नगाड़ा बजाया था कि निर्दलीय होने पर भी उन्हें सफलता हाथ लगी थी। पुतुल देवी के समक्ष भी उनके समय की कुछ ऐसी परिस्थिति आई थी।
हालांकि दिग्विजय सिंह जैसा व्यक्तित्व भले पुतुल कुमारी में नहीं हो लेकिन दादा के प्रभाव और उनके निर्दलीय जीत जाने की घटना इस चुनाव में लोगों ने ताजा कर दिया। गिरधारी यादव की राजद के परंपरागत वोट बैंक में सेंधमारी को किरणपुर, जहांगीरा, श्रीरामपुर, कुमारपुर कटहरा आदि गांव के कुछ लोग जयप्रकाश की वादा खिलाफी और क्षेत्र के लोगों से दूर होना बताया। जिससे वोटरों में कई जगहों पर भ्रम की स्थिति बनी रही। कुछ लोग तो यह कहते मिले कि एक दूए नंबर म देबै त की हरज, छैय त आपनै आदमी। गिरधारी की लगातार राजद की परंपरागत वोटरों के बीच उपस्थिति दिखाई तो कुछ जगहों पर इसका लाभ मिलता दिखा।