BAU : मिलेगा पोषण तो भाग जाएगा कुपोषण, अनाज में मिल सकेगा विटामीन और खनिज
बीएयू अनाज में ही ऐसे प्रभेदों का विकास कर रहा है जिससे सभी प्रकार के पोषक तत्व मिल सके। इसके लिए बीएयू के वैज्ञानिकों ने गेहूं, धान और मसूर पर शोध शुरू कर दिया है।
भागलपुर [ललन तिवारी]। कुपोषण अब बीते जमाने की बात हो जाएगी। सुनकर भले ही आपको आश्चर्य लगे लेकिन ऐसा होने वाला है। इसके लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर दो स्तरों पर काम कर रहा है। ताकि लोगों को पौष्टिक भोजन मिल सके और वे यह भी जान सकें कि उनका आहार कितना कारगर है।
दरअसल, कुपोषण की सबसे ज्यादा मार गरीबों पर पड़ती है। सब्जी, फल, मांस, मछली जैसा विटामिन व प्रोटीन युक्त आहार तक उनकी पहुंच नहीं बन पाती। वे अनाज से पेट तो भर लेते हैं लेकिन उन्हें जरूरी पोषक तत्व नहीं मिले पाते। बीएयू अनाज में ही ऐसे प्रभेदों का विकास कर रहा है जिससे सभी प्रकार के पोषक तत्व मिल सके। इसके लिए बीएयू के वैज्ञानिकों ने गेहूं, धान और मसूर पर शोध शुरू कर दिया है। इन फसलों में ऐसे प्रभेदों का विकास किया जाएगा जिनमें सूक्ष्म पोषक तत्व युक्त विटामिन की मात्रा ज्यादा से ज्यादा हो।
सिंगापुर से मंगाई जा रही मशीन
खाद्यान्न में कई सूक्ष्म तत्व, विटामिन और मिनरल्स आदि पाए जाते हैं। किस खाद्यान्न के किस प्रभेद में कितना सूक्ष्म तत्व है। इसके लिए तकरीबन एक करोड़ 37 लाख की लागत से बिहार में पहली अत्याधुनिक मशीन एक्स-रे फ्लुरेसीएन्स(एक्स आर एफ) सिंगापुर से मंगाई जा रही है। मशीन से यह पता चल सकेगा कि खाद्यान्न में कितना पोषक तत्व है। विश्वविद्यालय में एक महीने के अंदर मशीन लग जाएगी।
अमेरिका से वित्त पोषित है परियोजना
बीएयू के एपीआरओ डॉ. रामदत्त ने वैज्ञानिक चंदन राय के हवाले से बताया कि यह परियोजना अंतरराष्ट्रीय खाद्यान्न नीति अनुसंधान संस्थान वाशिंगटन (अमेरिका) की ओर से वित्त पोषित है। वैश्विक सर्वे में पाया गया है कि महिलाओं और बच्चों में सर्वाधिक कुपोषण जिंक और आयरन की कमी से वजह से है। इसे ध्यान में रखते हुए अनुसंधान किया जा रहा है। पहले चरण में गेहूं, धान और मसूर पर काम चल रहा है।
बीएयू के कुलपति डॉ. अजय कुमार सिंह ने कहा कि कुपोषण की समस्या कम करने के लिए विश्वविद्यालय प्रयास कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय परियोजना के तहत सूक्ष्म तत्व की जानकारी के लिए मशीन लगाई जा रही है। आने वाले समय में ज्यादा सूक्ष्म तत्व युक्त प्रभेद का विकास किया जाएगा।