विश्वजीत सिंह हत्याकांड पूर्णिया: अब भी सहमा-सहमा है सरसी, अंधेरे के साथ गहरा जाता दहशत का साया...
विश्वजीत सिंह हत्याकांड पूर्णिया रुक-रुक कर दौड़ रही पुलिस की गाडिय़ां। हर कोई एक-दूसरे को देख रहे शक की निगाहों से। पूर्व जिला पार्षद विश्वजीत सिंह की हत्या सरसी बाजार में उस समय कर दी गई थी। क्षेत्र में दहशत है।
जागरण संवाददाता, पूर्णिया। गत 12 नवंबर को पूर्व जिला पार्षद विश्वजीत सिंह उर्फ रिंटू की हत्या को लेकर पूर्णिया का सरसी गांव अब भी सहमा-सहमा है। अब भी अंधेरे के साथ यहां दहशत का साया भी गहरा जाता है। शाम ढलने के बाद सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता है। रुक-रुक कर पुलिस की गाडिय़ां जरुर गुजरती है, जो लोगों को फिलहाल बड़ा सुकून भी दे रही है।
बता दें कि पूर्व जिला पार्षद सह सरसी निवासी विश्वजीत सिंह की हत्या सरसी बाजार में उस समय कर दी गई थी, जब वे एक चाय की दुकान पर कुछ लोगों से बात कर रहे थे। इस मामले को लेकर उनकी पत्नी सह जिला परिषद सदस्य अनुलिका सिंह के बयान पर प्राथमिकी दर्ज की गई है।
शाम छह बजते-बजते शांत होने लगा था गांव
लगभग ढाई किलोमीटर लंबाई में एस एच 77 के दोनों किनारे बसा यह गांव सोमवार को भी शाम छह बजते-बजते लगभग शांत होने लगा था। ग्रामीण पथों पर इक्के-दुक्के लोग ही नजर आ रहे थे। गांव की स्थिति खुद यह बयां कर रही थी कि अब भी यहां सब कुछ ठीक नहीं है। हर शख्स यहां एक-दूसरे को शक की निगाहों से देख रहा है। हर घर के बड़े बुजुर्गों को इस बात की फिक्र रहती है कि उनके घर के सदस्य शाम ढलने के बाद कहीं बाहर तो नहीं है। महिलाएं अपनी सिंदूर व कोख की फिक्र को लेकर सशंकित रहती है। यह स्थिति बेजा भी नहीं है।
सरसी का इतिहास यह भय व आशंका का कारण है। बारुद की गंध से इस गांव का पुराना नाता रहा है। बीच-बीच में यह गंध अलग-अलग परत से कुछ काल के लिए ढकती रही है, लेकिन यह कब गांव की माटी को लाल कर दे, यह कहना अब वहां के वाशिंदों के लिए भी मुश्किल है। बदले की आग कब बुझेगी, कहना मुश्किल है।