Viral fever: भागलपुर में पहली मौत, सात वर्षीय बच्ची ने तोड़ा दम, मैनिंगो इंसेफ्लाइटिस का भी प्रकोप
Viral fever नाथनगर की थी सात वर्षीय को पांच दिनों से सर्दी-खांसी और बुखार था। सांस लेने में थी परेशानी हो रही थी। मैनिंगो इंसेफ्लाइटिस से बांका के एक युवक ने भी दम तोड़ दिया है। बच्ची की मौत से लोगों में दहशत का माहौल।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। Viral fever: जिले में वायरल बुखार से गुरुवार को बच्ची की मौत हो गई, मैनिंगो इंसेफ्लाइटिस से बांका के फुल्लीडूमर के एक युवक ने भी दम तोड़ दिया। वायरल बुखार से यह पहली मौत है। नाथनगर की सात वर्षीय बच्ची को पांच दिनों से सर्दी-खांसी और बुखार था। उसे सांस लेने में थी परेशानी हो रही थी। जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) के इमरजेंसी में उसका इलाज चल रहा था।
जेएलएनएमसीएच वायरल बुखार से पीडि़त ग्रस्त से भरा हुआ है। वायरल से वयस्क भी पीडि़त हैं। शहर के सरकारी अस्पताल हो या क्लीनिक, सभी जगह वायरल पीडि़त भरे हुए हैं। कहीं भी बेड खाली नहीं है। यही कारण है कि पीडि़तों का इलाज फर्श पर भी किया जा रहा है।
बच्ची को हो गया था निमोनिया
शिशु विभाग के अध्यक्ष डा. केके सिन्हा ने बताया कि नाथनगर की सात वर्षीय बच्ची अलकश की वायरल फीवर और निमोनिया से गुरुवार की सुबह मौत हो गई। उसे बुधवार को इमरजेंसी में डा. सतीश की यूनिट में भर्ती किया गया था। पिछले पांच दिनों से बच्ची वायरल फीवर से पीडि़त थी। निमोनिया भी हो गया था। उसे सांस लेने में परेशानी हो रही थी। वहीं, मेडिसीन विभाग में भर्ती बांका जिले के फुल्लीडूमर के 18 वर्षीय संतोष कुमार की मैनिंगो इंसेफ्लाइटिस से मौत हो गई। संतोष को डा. हेम शंकर शर्मा की यूनिट में भर्ती किया गया था। डा. शर्मा ने बताया कि मरीज के ब्रेन की झिल्ली में सूजन हो गया था। जांच करवाई गई थी, लेकिन रिपोर्ट आने से पहले ही उसकी मौत हो गई।
इलाज में विलंब होने पर फेफड़ा होने लग रहा प्रभावित
शिशु रोग विशेषज्ञ डा. अनिल कुमार यादव ने कहा कि वायरल फीवर से पीडि़त बच्चे का इलाज अगर विलंब से होता है तो धीरे-धीरे वह निमोनिया से ग्रस्त हो जाता है। फेफड़ा प्रभावित होने पर सांस लेने में परेशानी होती है। चार-पांच दिनों तक अगर इलाज नहीं करने पर निमोनिया होने की संभावना रहती है।
- - जेएलएनएमसीएच वायरल बुखार से पीडि़त बच्चों से भरा हुआ है
- - वयस्क भी हैं पीडि़त, शहर के क्लीनिकों में भी जगह नहीं
- - मेडिसीन विभाग में भर्ती था फुल्लीडूमर का युवक संतोष कुमार
- - दर्जनभर से अधिक वायरल पीडि़त सदर अस्पताल में हैं भर्ती
- - 46 बच्चों का इलाज अस्पताल के आउटडोर शिशु विभाग में किया गया
- - 22 बच्चे वायरल फीवर से पीडि़त पाए गए
- - 02 गंभीर रूप से बीमार मिले, दोनों को इमरजेंसी में भर्ती किया गया
- - 07 बच्चों का इलाज बेड नहीं होने से इमरजेंसी में फर्श पर किया गया
- - भीड़भाड़ वाली जगहों से दूर रहें
- - हमेशा मास्क लगाकर रहें
- - संक्रमित बच्चों के संपर्क में दूसरे बच्चों को न आने दें
- - यदि किसी बच्चे को बुखार आए तो तुरंत इलाज कराएं
- - समय पर इलाज नहीं कराने पर यह खतरनाक साबित हो सकता है
50 फीसद बच्चे वायरल बुखार से पीडि़त हो रहे हैं
अस्पताल के आउटडोर शिशु विभाग में गुरुवार को 46 बच्चों का इलाज किया गया। इनमें 22 बच्चे वायरल फीवर से पीडि़त मिले। शिशु रोग विशेषज्ञ डा. राकेश कुमार ने कहा कि 50 फीसद बच्चे वायरल फीवर से पीडि़त हो रहे हैं। चूंकि गुरुवार को पर्व था इसलिए इलाज करवाने वाले मरीजों की संख्या कम रही। सदर अस्पताल में भी दर्जनों बच्चे वायरल फीवर से ग्रस्त मिले। शिशु रोग विशेषज्ञ डा. कृष्ण मुरारी ने कहा कि संक्रमण की वजह से बच्चे बीमार हो रहे हैं। संक्रमित बच्चों को अन्य बच्चों से दूर रखने पर ही संक्रमण से बचा जा सकता है।