supaul news : गांव-गांव शौचालय, फिर भी खुले में शौच का सहारा
करीब दो किलोमीटर लंबे क्षेत्रफल में फैले इस बाजार में हर दिन सैकड़ों लोग रोजमर्रा के कार्य से आते हैं पर यहां प्रसाधन की कोई सुविधा नहीं है। लोग इसके लिए विषम परिस्थितियों में जगह खोजते रहते हैं
सुपौल, जेएनएन। त्रिवेणीगंज बाजार में कहीं शौचालय की व्यवस्था नहीं है। भले ही स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत हर घर शौचालय को लेकर अधिकारी काफी सजग हैं। विभागीय अधिकारी हर पंचायत को ओडीएफ बनाने में पूरी तरह जुटे हुए हैं, लेकिन बाजार में एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है। करीब दो किलोमीटर लंबे क्षेत्रफल में फैले इस बाजार में हर दिन सैकड़ों लोग रोजमर्रा के कार्य से आते हैं। बाजार में दो दिन यहां पर हाट लगती है जिसमें आसपास के कई पंचायतों के लोग आते हैं। इसमें महिलाएं भी रहती है। लेकिन बार बार में आने वाले लोगों और दुकानदारों को शौचालय के अभाव में परेशानी का सामना करना पड़ता है। दुर्भाग्य है कि बाजार क्षेत्र में प्रसाधन की सुविधा नहीं है। इस दिशा में शासन प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। जबकि यहां रोज लोगों की आवाजाही लगी रहती है। खास कर महिलाओं को ज्यादा संकट का सामना करना पड़ता है।
आज भी खुले में शौच को जाते लोग
गांवों को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए घर-घर शौचालय बनवाए गए। प्रचार-प्रसार पर भी लाखों रुपये खर्च किए। प्रखंड को ओडीएफ होने पर गांव-गांव स्वच्छता रैलियां निकाली गईं। प्रधानों और सचिवों को सम्मानित भी किया गया। ग्रामीण खुले में शौच न करें इसके लिए भरसक प्रयास किए गए, लेकिन फिर भी लोगों की आदतों में सुधार न हो सका। आज भी कई लोग ऐसे हैं जो सवेरे बाहर की ओर जाते देखे जा सकते हैं। कई शौचालय आज भी अधूरे पड़े हैं।
कहते हैं स्थानीय लोग
अमित कुमार, सर्वेश कुमार, सोनू कुमार, मुरारी चौखानी, अमन कुमार, आशिफ खान, अभिषेक कुमार, ललन कुमार, ङ्क्षप्रस कुमार, प्रमोद कुमार, आशुतोष कुमार, बेबी देवी, सोनी देवी, पूजा देवी, बबीता देवी आदि का कहना है कि बाजार में सार्वजनिक शौचालय नहीं रहने के कारण यहां के दुकानदार सहित बाजार में आने-जाने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।