Move to Jagran APP

वाहनों को मिली उम्रकैद की सजा: सुपौल के थाने में खड़े-खड़े दम तोड़ चुकी हैं जब्त की गई गाड़ियां, नजर आता है कबाड़खाना

तस्वीर देखिए देखकर ऐसा ही लगता है कि पुलिसकर्मियों द्वारा वाहनों को उम्रकैद की सजा दी गई है। आलम ये है कि एक नहीं कई गाड़ियां खड़े-खड़े ही दम तोड़ चुकी हैं। वहीं थाना पुलिस स्टेशन कम जंकयार्ड मानें कबाड़खाना दिखाई देने लगा है।

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 03:46 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 03:46 PM (IST)
वाहनों को मिली उम्रकैद की सजा: सुपौल के थाने में खड़े-खड़े दम तोड़ चुकी हैं जब्त की गई गाड़ियां, नजर आता है कबाड़खाना
सुपौल के किशनपुर थाना बना कबाड़खाना- कूड़ा हो गईं गाड़ियां।

संवाद सूत्र, किशनपुर (सुपौल) : थाना पुलिस द्वारा जब्त किए गए वाहन थाने में सड़ रहे हैं। इससे थाना परिसर कबाडख़ाना जैसा लगता है। थाने में सडऩे वाले वाहनों में दो पहिया वाहनों की संख्या अधिक है। ट्रक और हल्के वाहन भी थाना परिसर में जगह घेरे है। कई वर्षो से तेज धूप बरसात व ओस की मार झेल रहे अधिकांश वाहन सड़ चुके हैं, जिन्हें कौड़ी के मोल भी नहीं बेचा जा सकता है। जब्त वाहनों में कुछ चोरी के हैं तो कुछ दुर्घटना बाद जब्त किए गए हैं। कुछ ऐसे वाहन हैं जिसका तस्करी में प्रयोग किया गया है। पुलिस ने उसे जब्त किया है।

loksabha election banner

सूत्रों की माने तो पुलिस द्वारा जब्त किए गए वाहनों को छुड़ाने के लिए होने वाली लंबी-चौड़ी प्रक्रिया से बचने के लिए लोग वाहनों को नहीं छुड़ाते हैं। ऐसे अधिकांश वाहन होते हैं जिनका न तो टैक्स जमा रहता है और न ही फिटनेस। इन सारी औपचारिकताओं को पूरा कर वाहन छुड़ाने में नौ की लकड़ी नब्बे खर्च वाली कहावत चरितार्थ होती है। प्रत्येक वर्ष पुलिस द्वारा अभियान चलाकर वाहनों को पकड़ा जाता है जिससे लगातार संख्या में इजाफा होता जा रहा है। इस संबंध में पूछने पर अधिकारी कहते हैं कि नीलामी के बाद ही वाहनों को थाना से हटाया जाएगा।

क्या है नियम

नियमानुसार लावारिस अवस्था में बरामद या जब्त वाहन के छह माह बाद निस्तारण की प्रक्रिया शुरू की जानी होती है। वाहन बरामद होने पर पुलिस पहले उसे धारा 102 के तहत पुलिस रिकार्ड में लेती है, बाद में न्यायालय में इसकी जानकारी दी जाती है। न्यायालय के निर्देश पर सार्वजनिक स्थानों पर पंपलेट आदि चिपका कर या समाचार पत्रों के माध्यम से उस वाहन से संबंधित जानकारी सार्वजनिक किए जाने का प्रावधान है ताकि वाहन मालिक अपना वाहन वापस ले सकें।

जटिल होती है नीलामी प्रक्रिया

लावारिस या किसी मामले में जब्त वाहन के निस्तारण की प्रक्रिया काफी लंबी होती है। पहले तो पुलिस थाना स्तर पर इंतजार करती है कि वाहन मालिक आकर अपना वाहन ले जाए। काफी इंतजार के बाद भी जब मालिक नहीं आता है, तब न्यायिक प्रक्रिया शुरू की जाती है। इससे काफी समय लगता है।

जानकारों की मानें तो विभिन्न मामलों में अगर वाहन को जब्त किया जाता है, तो उसकी नीलामी सालों तक नहीं हो पाती है। पुलिस सूत्रों के अनुसार विभिन्न मामलों में जब्त वाहन के संबंध में न्यायालय के आदेश पर ही कोई कार्रवाई हो सकती है। न्यायालय में कांड का निष्पादन होने के बाद अगर वाहन का कोई दावेदार नहीं रहता है तब उसे नीलामी की श्रेणी में रखा जाता है। वैसे थानाध्यक्ष की मानें तो नीलामी प्रक्रिया जटिल नहीं है, परंतु अनक्लेमड वाहनों की संख्या बहुत अधिक नहीं रहती है। अधिक वाहन कांडों से संबंधित रहते हैं। इसके अलावा मालखाना का प्रभार लेन-देन में भी समय लगता है, जिससे नीलामी कराने में कठिनाई होती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.