Move to Jagran APP

वासंतिक नवरात्र 2021 : स्कंदमाता की हुई पूजा, आज माता कात्यायनी का होगा आह्वान

वासंतिक नवरात्र के छठे दिन आज रविवार को मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी देवी की पूजा अर्चना की जाएगी। शनिवार को मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता देवी की पूजा की गई। कोरोना के कारण ज्यादातर मंदिरों में श्रद्धालु नहीं पहुंचे।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sun, 18 Apr 2021 11:17 AM (IST)Updated: Sun, 18 Apr 2021 11:17 AM (IST)
वासंतिक नवरात्र 2021 : स्कंदमाता की हुई पूजा, आज माता कात्यायनी का होगा आह्वान
अलीगंज स्थिति दुर्गा मंदिर में पूजा कतरे पुजारी।

संवाद सहयोगी, भागलपुर। वासंतिक नवरात्र पर मंदिरों व घरों में भक्ति का माहौल दिखने लगा है। धूप धूमन अगरबत्ती की खुशबू चाहूंओर ओर बिखरने लगी है। शनिवार को मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता देवी की पूजा की गई। रविवार को मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी देवी की पूजा अर्चना की जाएगी। मंदिर व घरों में सुबह-शाम आरती में पूरा परिवार के सदस्य श्रद्धा भक्ति के साथ भजन कीर्तन में शरीक हो रहे हैं। महाष्टमी 20 अप्रैल रात्रि 7:07 बजे तक है। जबकि महानवमी 21 अप्रैल बुधवार रात्रि 6:57 बजे तक रहेगा।

loksabha election banner

मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता का पूजन शनिवार को किया गया। धार्मिक मान्यता है कि स्कंदमाता की आराधना करने से भक्तों की समस्त प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

मां कात्यायनी का स्वरूप आकर्षक

रविवार को नवरात्र का छठा दिन मां कात्यायनी देवी की आराधना किया जाएगा। देवी मां का यह रुप बहुत आकर्षक है।इनका शरीर सोने की तरह चमकीला है।मां कात्यायनी की चार भुजा हैं और इनकी सवारी ङ्क्षसह है। मां कात्यायनी के एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। साथ ही दूसरें दोनों हाथों में वरमुद्रा और अभयमुद्रा है।

विवाह में आने वाली बाधाएं दूर करती हैं।

बताया गया है कि विधि पूर्वक पूजा करने से कन्याओं का विवाह शिघ्र हो जाता है। एक कथा के अनुसार कृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने के लिए बृज की गोपियों ने माता कात्यायनी की पूजा की थी। माता कात्यायनी की पूजा से देवगुरु बृहस्पति प्रसन्न होते हैं और कन्याओं को अच्छे पति का वरदान देते हैं।

्रमाता कात्यायनी की कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे। इनके पुत्र ऋषि कात्य थे। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे और जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ गया तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने मिलकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया। ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लेने के कारण इन्हें कात्यायनी के नाम से जाना जाता है।

बूढ़ानाथ मंदिर में पंडित प्रवीण झा, पंडित शंभुनाथ के द्वारा दुर्गा सप्तशती का पाठ विश्व कल्याण के लिए किया जा रहा है। मंदिर के प्रबंधक बाल्मीकि ङ्क्षसह ने बताया कि सरकार के कोविड गाइड लाइन का पालन किया जा रहा है। तिलकामांझी चौक स्थित मंदिर के पंडित आनंद झा दुर्गा सप्तशती का पाठ कर रहे हैं। जिच्छो दुर्गा मंदिर में सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जा रहा है।व्यवस्थापक दीपक ङ्क्षसह ने बताया कि यहां चारों नवरात्र धूमधाम पर्व धूमधाम से आयोजन होता रहा है। लेकिन पिछले दो साल से कोरोना संक्रमण को देखते हुए व सरकार के गाइडलाइन का पालन करते हुए पंडितों द्वारा पूजा की जा रही है ।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.