लॉकडाउन में बच्चे को नहीं पड़ा टीका तो अब दिलवाएं
कोरोना संकट के कारण पिछले तीन महीनों में कई बच्चों का टीकाकरण प्रभावित हुआ है। अगर आप भी इस श्रेणी में हैं तो अपने बच्चों को टीका जरूर दिलवाएं।
भागलपुर [अशोक अनंत]। एक्सिस बैंक के अधिकारी तत्वदर्शी कुमार को अपने बच्चे को 25 मार्च तक में टीका दिलवाना था। लॉकडाउन के कारण नहीं दिला सके। अब ढाई महीने बाद उन्होंने बच्चे को टीका दिलवाया। बारीचक के फहद की ढाई माह की बच्ची को भी पेंटावायलट का टीका देना था। लॉकडाउन के कारण चार महीने बाद उसे टीका दिया जा सका। कोरोना संकट के कारण पिछले तीन महीनों में कई बच्चों का टीकाकरण प्रभावित हुआ है। अगर आप भी इस श्रेणी में हैं तो अपने बच्चों को टीका जरूर दिलवाएं।
अनलॉक-एक से स्थिति सामान्य हुई है। अब टीकाकरण केंद्रों अभिभावक बच्चों के साथ पहुंच रहे हैं। क्लीनिकों पर तो में मरीजों से ज्यादा टीकाकरण करवाने अभिभावक आ रहे हैं। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. मनोज कुमार चौधरी का कहना है कि प्रत्येक केंद्र पर टीकाकरण किया जा रहा है। नियमित के साथ ही छूटे बच्चों को भी टीका दिया जा रहा है। वहीं, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मनोज कुमार सिंघनिया ने बताया कि अगर समय पर टीकाकरण नहीं भी किया गया है तो इससे बच्चे पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। टीका कभी भी दिया जा सकता है। अगर समय पर टीका दिया जाता है तो अभिभावक भी तनावमुक्त रहते हैं।
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कार्ड पर दी समय सारणी आदर्श स्थिति
मायागंज अस्पताल के शिशु रोग विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. खलील अहमद का कहना है कि टीका देने से बच्चे में प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। जच्चा-बच्चा कार्ड पर जो टीकाकरण के लिए समय सारणी दी जाती है। यह समय आदर्श स्थिति है। ऐसा नहीं है कि अगर बच्चे को किसी कारणवश इस समय में टीका नहीं दिया जा सका तो उसे वंचित रखा जाए। विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत सरकार दोनों ने ही छूटे बच्चों को टीका देने के लिए निर्देश जारी किया है। तय समय के बाद भी टीका देने से बच्चे की प्रतिरोधक प्रणाली की मेमोरी ताजी हो जाती है। एंटीबॉडी बनाने की क्षमता में विकास हो जाता है।
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शून्य से 10 वर्ष तक दिए जाते हैं टीके
जन्म के बाद से लेकर 10 वर्षो तक बच्चों को टीकाकरण किया जाता है। टीकाकरण से पोलियो, टीबी, कुकुरखांसी, डिप्थेरिया, चिकेन पॉक्स, हेपेटाइटिस बी, निमोनिया, इन्फ्लूएंजा सहित कई बीमारियों से बचाव किया जा सकता है।