हरियाली के पैरों में कंक्रीट की बेड़िया
आप कचहरी मार्ग पर जिस हरियाली के बीच से होकर निकलते हैं, शायद उसका मजा आगे न ले सकें।
भागलपुर [नवनीत मिश्र]
आप कचहरी मार्ग पर जिस हरियाली के बीच से होकर निकलते हैं, शायद उसका मजा आगे न ले सकें। पैदल पथ बनाने के लिए पेड़ों को कंक्रीट से जकड़ दिया गया है। इतना भी जगह नहीं छोड़ी गई कि उसमें पानी जा सके, लिहाजा जड़ सड़ने के बाद पेड़ कमजोर होंगे और वह एक-एक कर गिरेंगे। ऐसा हो भी रहा है। यह सब हो रहा है वन विभाग मुख्यालय की दहलीज पर और वन विभाग के बड़े अफसर भी हरियाली की इस दुर्दशा पर मौन हैं। एक तरफ वन विभाग जिले में हरियाली पर जोर दे रहा है। एक दिन में हजारों पेड़ लगाकर रिकार्ड बनाया गया, लेकिन दूसरी तरफ वन विभाग मुख्यालय के सामने ही पेड़ों की बलि चढ़ाने की तैयारी है।
जानकारों का कहना है कि अगर पेड़ों के लिए जगह नहीं छोड़ी गई तो वह सड़ कर खोखला हो जाएंगे और फिर इस सड़क पर हरियाली नजर नहीं आएगा। विभागीय अधिकारी का कहना है कि ठेकेदार को कहा गया था कि वह इस तरह पैदल पथ का निर्माण करे जिससे पेड़ों को नुकसान नहीं पहुंचे। सवाल उठता है कि प्राथमिकता वाली पैदल पथ निर्माण योजना में ठेकेदार के जिम्मे सारा काम छोड़ना अफसरों की लापरवाही नहीं है क्या? ऐसा तब जबकि खुद मुख्यमंत्री पर्यावरण को बढ़ावा देने पर जोर दे रहे हैं। सीएमएस स्कूल के सामने पेड़ को कंक्रीट की बेड़ियों से जकड़ दिया गया। नतीजा सभी के सामने है। जो पेड़ कभी लोगों को छांव देने का काम करता था, वह सूख चुका है।
यहा भी हरियाली की मुसीबत बनेगा साइकिल पथ : पैदल पथ ठीक है, लेकिन उसके निर्माण में हरियाली रौंदी जाए, यह कतई उचित नहीं होगा। घूरनपीर बार चौक से कचहरी चौक के बीच पैदल पथ निर्माण के दौरान कंक्रीट को पेड़ों के आसपास लगा दिया गया है। जिससे पेड़ों के जीवन पर संकट आ गया है। घुरनपीर बाबा चौक से तिलकामांझी तक पेड़ों को घेर दिया गया है और चारों ओर टाइल्य बिछा दिया गया है। हालांकि इससे पेड़ों को कुछ तो राहत है, लेकिन यह कब तक रहेगी, यह कह पाना मुश्किल है।
इधर, नगर निगम के द्वारा इधर-उधर कूड़ा गिरा दिए जाने के कारण पेड़ों पर संकट उत्पन्न हो गया है। शहर की हरियाली समाप्त हो रही है। बदबू का वातावरण है।