अचानक नहरों से गायब हो गई हरियाली, ढूंढऩे पर भी नहीं मिलते पेड़
सुपौल के नहरों पर से पेड़ों की कटाई करने के बाद नए सिरे से पौधारोपण नहीं किया गया। नहर किनारे पहले हर तरफ हरियाली दिखती थी। पेड़ों से तटबंध की सुरक्षा भी होती थी।
सुपौल, जेएनएन। सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड क्षेत्र से गुजरने वाली सुपौल तथा सहरसा उप शाखा नहर से बीते कुछ वर्षों से हरियाली गायब है। करीब 15 वर्ष पूर्व केनाल विभाग ने अभियान चलाकर सुपौल तथा सहरसा उप शाखा नहर सहित अन्य खाली जगहों पर इमारती पौधे लगाए थे। जब यह पौधा विशाल वृक्ष बन गए तब विभाग ने उनकी कटाई कर ली थी। उसमें विभाग को लाखों के मुनाफे हुए थे। उनमें शीशम, गुलमोहर, यूक्लिप्टस सहित अन्य किस्मों के पौधे शामिल थे। उन वृक्षों को काटे जाने के बाद केनाल पर विभाग की ओर से नए सिरे से पौधारोपण किया जाना चाहिए था। ताकि भविष्य में वहां पौधों की कमी नही रहे। बारिश में नहर की मिट्टी का क्षरण नहीं हो। लेकिन वैसा नहीं किया गया। इससे तबसे अब तक सभी नहरें खाली पड़ी हैं।
काफी हरा-भरा दिखता था नहर
सुपौल उप शाखा, सहरसा उपशाखा तथा इन दोनों नहरों से निकलने वाले विभिन्न माइनरों पर पौधारोपण से पूरा इलाका हरा-भरा दिखाई देता था। वृक्ष के कारण नहरों की मिट्टी का क्षरण रुका था। वृक्षों की सुरक्षा में लगे गार्ड के कारण लोग नहरों से अवैध मिट्टी की कटाई भी नहीं कर पाते थे। लेकिन जैसे ही नहरों से वृक्ष गायब हुए कि वहां चौकीदारों का आना-जाना भी कम हो गया। लोग वहां की मिट्टी को जहां-तहां से काटने लगे। इससे नहरों पर जगह जगह बने गड्ढे उसके लिए खतरा साबित हो रहे है।
फिर लौट सकती है हरियाली
प्रखंड क्षेत्र के कई लोग कहते हैं कि वन विभाग के अधिकारी यदि एक बार फिर नहरों तथा माइनरों पर पौधरोपण अभियान चलाए और उस पौधों की देखरेख कराए तो यह सभी जगह एक बार फिर हरा भरा दिखने लगेगा। इससे सरकार के राजस्व में इजाफा होगा।