भागलपुर के इतिहास का सबसे बड़ा रेल चक्का जाम
भागलपुर स्टेशन स्थित पैनल केबिन के पास रेलवे में बहाली और निजीकरण की मांग को लेकर छात्रों के प्रदर्शन और रेल जाम की वजह से गाड़ियों के पहिए पर पूरी तरह ब्रेक लगा रहा।
भागलपुर। भागलपुर स्टेशन स्थित पैनल केबिन के पास रेलवे में बहाली और निजीकरण की मांग को लेकर छात्रों के प्रदर्शन और रेल जाम की वजह से गाड़ियों के पहिए पर पूरी तरह ब्रेक लगा रहा। शुक्रवार को साढ़े आठ घंटे तक अप और डाउन में एक भी गाड़ियों का परिचालन नहीं हुआ। 12.50 बजे के बाद रात साढ़े 9.25 बजे तक न तो किउल की ओर जाने के लिए गाड़ियां खुली और न ही साहिबगंज के लिए। इन दोनों रूट में आने-जाने वाली गाड़ियां कहलगांव से लेकर जमालपुर और अभयपुर तक फंसी रही। इस घटना में पैसेंजर से लेकर एक्सप्रेस तक की नौ गाड़ियां बुरी तरह प्रभावित हुई। करीब 20 हजार से अधिक मुसाफिर भागलपुर सहित जहां-तहां के स्टेशनों पर फंसे रहे। साढ़े आठ घंटे तक यात्री एक स्टेशन पर रुके रहे। रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार का जाम भागलपुर के रेल इतिहास में सबसे बड़ा जाम रहा, इससे पहले साढ़े चार घंटे रेल जाम हुआ था। भागलपुर स्टेशन पर मालदा और साहिबगंज इंटरसिटी के यात्री काफी परेशान दिखे। ट्रेन खुलने की चाह में कभी पूछताछ काउंटर तो कभी स्टेशन मास्टर कक्ष में जाकर जानकारी लेते रहे। स्टेशन पर यात्रियों में अफरा-तफरी की स्थिति बनी रही। इधर, ट्रेन को रोककर रेलवे ट्रैक पर उपद्रव करने वाले कुछ सुनने को तैयार नहीं थे। रेल पुलिस और आरपीएफ, जिला थाने पुलिस के जवान पूरी तरह मूकदर्शक बनी रही। आक्रोशित को सभी ने समझाने का प्रयास किया लेकिन सभी मांग पर अड़े रहे। रह-रह कर प्लेटफार्म से लेकर रेलवे ट्रैक पर हंगामा करते रहे।
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यात्रियों ने ट्वीट कर रेल मंत्री को दी सूचना
साहिबगंज इंटरसिटी के एसी चेयर कोच में सफर कर रहे रोशन कुमार ने जब पांच घंटे तक परिचालन शुरू नहीं हुआ तो इसकी सूचना ट्वीट के जरिए रेल मंत्री तक को दे दी। बस क्या था रेल मंत्रालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए मालदा मंडल से जानकारी ली और अविलंब ट्रेनों का परिचालन शुरू कराने के निर्देश दिए। वहीं, कई यात्रियों ने सोशल मीडिया पर भी परिचालन बंद की जानकारी दी।
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मालदा से कोलकता तक के अधिकारी रहे परेशान
रेलवे ट्रैक पर उपद्रव और ट्रेन परिचालन बंद होने की सूचना मालदा रेल मंडल और पूर्व रेलवे मुख्यालय को भी दी गई। सूचना मिलते ही अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए और आनन-फानन में जल्द से जल्द परिचालन शुरू कराने का निर्देश दिया। निर्देश मिलने के बाद भागलपुर स्टेशन के रेल पदाधिकारी लाख प्रयास किए लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था।
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हजारों रेल यात्रियों ने वापस किया टिकट
ट्रेन परिचालन ठप होने से रेलवे को काफी नुकसान हुआ। यात्रियों के साथ-साथ रेलवे प्रशासन भी पूरी तरह परेशान रहा। रेलवे के अनुसार कोई भी ट्रेन तीन घंटे से ज्यादा विलंब होती है तो ई-टिकट लेकर सफर करने वालों की टिकटें स्वयं कैंसिल हो जाता है। उपद्रव के बाद कई ट्रेन तीन से छह तक घंटे लेट हो गई। ई-टिकट लेकर सफर कर रहे कई यात्रियों ने टीडीआर फाइल कर अपनी टिकटें भी कैंसिल कर दी और रिफंड लेकर सफर कर लिया। इधर, रेलवे ने उद्घोषणा कर रखी थी कि विलंब से खुलने वाली गाड़ियां का साधारण और आरक्षण टिकट का फूल रिफंड होगा। सभी यात्रियों ने टिकट वापस किया। वहीं, कुछ यात्रियों टिकटें नहीं लौटाए जाने की शिकायत की। डीजल इंजन चालू रहा। एक घंटे में करीब 70 लीटर डीजल खर्च हेाता है। कई ट्रेनों के इंजन चालू रहा। ऐसे में रेलवे को करीब बीस लाख के राजस्व का नुकसान हुआ है।
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वीआइपी कक्ष में चलता रहा मान-मनोव्वल का दौर
सदर एसडीओ सुहर्ष भगत भी घटनास्थल पर पहुंचकर समझाने का प्रयास किया लेकिन उनका प्रयास भी सफल नहीं हो सका। इसके बाद वीआइपी कक्ष में एसडीओ, रेलवे के अधिकारी, जीआरपी थानाध्यक्ष, जिला थाने के इंस्पेक्टर के साथ स्थानीय लोगों के साथ छात्रों का एक दल ने घंटो तक बातचीत की। इसके बाद छात्रों की बात डीआरएम मोहित कुमार सिन्हा से हुई। आश्वासन उन्होंने पूर्व रेलवे के अधिकारियों से बात की। इसके बाद परिजनों को समझाकर परिचालन शुरू कराया।
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पहले रेल मंत्री से बात, तब हटेगा जाम
रेल जाम करने वाले छात्र सिर्फ एक ही बात की रट लगाए हुए थे। आक्रोशित छात्र बार-बार रेल मंत्री से वीडियो कॉल से बात करने की मांग करते दिखे। इनका कहना था कि रेल मंत्री से बात किए बगैर जाम से नहीं तोड़ा जाएगा। लिखित आश्वासन मांग रहे थे। इनका कहना था कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता ट्रेन परिचालन शुरू नहीं होगा। छात्रों ने अपनी मांग समर्थित आवेदन अधिकारियों को दी। आवेदन पर अविलंब कार्रवाई के लिए आगे भेजने की बात पर सभी मानें और पटरी से हटे।
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दंगा नियंत्रण वाहन के साथ पहुंची रैफ
ट्रैक पर उपद्रव शांत नहीं होता देख जिला प्रशासन ने दंगा नियंत्रण वाहन के साथ रैफ के जवानों को भी बुला लिया। रैफ के जवान शस्त्र और करंट डंडे के साथ पश्चिम केबिन के पास पहुंचे। इस बीच स्थिति नियंत्रण में होने के बाद मदद नहीं लिया गया।
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फीट रिपोर्ट मिलने के बाद रवाना हुई वनांचल
एक बजे के पास हुआ बवाल रात साढ़े आठ बजे समाप्त हुआ। मामला शांत होने के बाद एक नंबर पर खड़ी वनांचल एक्सप्रेस में इंजन जोड़ा गया। इंजन लगने के बाद पीडब्ल्यूआइ इंस्पेक्टर आरके सिंह के निर्देश पर पीडब्ल्यूआइ की टीम ने अप लाइन को करीब पांच सौ मीटर तक जांच किया। जांच रिपोर्ट ओके मिलने के बाद रात 9.25 बजे वनांचल का सिग्नल दिया गया और ट्रेन रवाना हुई।
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लोको पायलट के साथ मारपीट
पैनल के पास रेलवे ट्रैक पर उपद्रवी जमे हुए थे। इस बीच शाम साढ़े छह बजे रांची जाने वाली वनांचल एक्सप्रेस को एक नंबर प्लेटफार्म पर लाया गया। जब उपद्रवी छात्रों को वनांचल एक्सप्रेस के खोले जाने की सूचना मिली तो, छात्र हंगामा करते हुए वनांचल के इंजन के पास पहुंच गए। इंजन को अभी जोड़ा ही जा रहा था कि लोको पायलट की पिटाई कर दी। इसके बाद चालक इंजन छोड़कर भाग गया। हालांकि चालक के साथ हुई मारपीट को रेलवे ने असामाजिक तत्व की करतूत बताया, रेलवे ने इस मामले की जांच करने का आदेश दिया है।
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