विद्यालय नहीं जाने वाले महादलित बच्चों को ढूंढ़ेंगे टोला सेवक
पोषक क्षेत्र में करेंगे जो विद्यालय में नामांकित होने के बाद भी स्कूल नहीं जा रहे हैं।
कटिहार (नीरज कुमार): महादलित, अतिपिछड़ा एवं अल्पसंख्यक अक्षर आंचल योजना के तहत जनशिक्षा निदेशालय द्वारा नामांकित लेकिन विद्यालय नहीं जाने वाले कक्षा तीन से कक्षा पांच के बच्चों को भाषा ज्ञान देने एवं स्कूल पहुंचाने के लिए विशेष कार्य योजना तैयार की गई है। कोई बच्चा छूटे नहीं, माता भी पीछे नहीं कार्यक्रम के तहत टोला सेवक एवं शिक्षा स्वंयसेवकों को सामाजिक बदलाव के दूत की भूमिका में भी रहना होगा। टोला सेवक एवं शिक्षा स्वंयसेवक महादलित, अतिपिछड़ा एवं अल्पसंख्यक समुदाय पिछड़ा वर्ग के ऐसे बच्चों की खोज अपने पोषक क्षेत्र में करेंगे जो विद्यालय में नामांकित होने के बाद भी स्कूल नहीं जा रहे हैं। जिले के 1562 टोला सेवक एवं शिक्षा स्वंयसेवकों को मुख्यालय स्तर से कमाल एवं चहक नामक किताब मुहैया कराई गई है। अभियान को लेकर टोला सेवक एवं शिक्षा स्वंयसेवकों के लिए टाइम शेड्यूल भी तैयार किया गया है। सुबह आठ से नौ बजे तक टोला सेवक कमाल व चहक पुस्तक के साथ ऐसे बच्चों की खोज करेंगे। बच्चों के मिलने पर कमाल पुस्तक से उनके भाषा ज्ञान एवं चहक पुस्तक से खेल खेल में अक्षर का बोध कराया जाएगा। ऐसे बच्चों को समूह में टोला सेवक एवं शिक्षा स्वंयसेवक विद्यालय पहुंचाने का काम करेंगे। दोपहर एक बजे से तीन बजे तक विशेष उपचारात्मक शिक्षण केंद्र में टोला सेवक इन बच्चों की मां को साक्षरता का पाठ पढ़ाऐंगे। जनशिक्षा निदेशालय द्वारा इस अभियान के लिए टोला सेवकों एवं शिक्षा स्वंयसेवकों को प्रशिक्षण दिए जाने की योजना बनाई गई है। अगस्त माह से अभियान को लेकर चयनित सभी जिलों में यह कार्यक्रम चलाया जाएगा। विभागीय जानकारी के मुताबिक महादलित, अतिपिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकांश बच्चे नामांकन के बाद भी विद्यालय नहीं पहुंच पा रहे हैं। सर्वे में भाषा ज्ञान की कमजोरी के कारण अधिकांश बच्चे स्कूल जाने से हिचकते हैं। इन बच्चों को आंगन से ही अक्षर बोध एवं भाषा ज्ञान की कमजोरी दूर करने के लिए अभियान की शुरूआत की गई है। नालंदा जिले में इस अभियान के सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं।
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कोट:-
जनशिक्षा निदेशालय द्वारा कोई बच्चा छूटे नहीं, माता भी पीछे नहीं अभियान चलाए जाने का निर्देश दिया गया है। टोला सेवक एवं शिक्षा स्वंयसेवकों द्वारा महादलित, अतिपिछड़ा एवं अल्पसंख्यक पिछड़ा वर्ग के विद्यालय नहीं जाने बच्चों की खोज कर स्कूल पहुंचाने का काम किया जाएगा। विशेष उपचारात्मक शिक्षण केंद्र में इन बच्चों की माता को भी साक्षरता का पाठ पढ़ाया जाएगा।
विमल मालाकार, एसआरजी, साक्षरता मिशन