TMBU का हैरतअंगेज कारनामा : एक साथ किया एमए-एमएड, बन गए प्राचार्य
स्थानीय एक बीएड कॉलेज के प्राचार्य की अवैध नियुक्ति का मामला विवि में वर्षों से लंबित है। उक्त प्राचार्य अपने कौशल से विवि से संचिका को गुम भी करा देते हैं।
भागलपुर [जेएनएन]। एक ही साथ एमए और एमएड कर बीएड कॉलेज का प्राचार्य बनने का मामला सामने आया है। राजभवन के आदेश के बावजूद उक्त प्राचार्य पर विवि कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।
स्थानीय एक बीएड कॉलेज के प्राचार्य की अवैध नियुक्ति का मामला विवि में वर्षों से लंबित है। उक्त प्राचार्य अपने कौशल से विवि से संचिका को गुम भी करा देते हैं। प्राचार्य ने एमए की परीक्षा 2001 में संपूर्णानंद संस्कृत विद्यालय से पास की है। जबकि एमएड की परीक्षा लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्थान से 2000 में पास की है। दोनों ही कोर्स दो-दो साल के होते हैं।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि 2000 में एमएड के बाद 2001 में एमए संस्कृत की परीक्षा कैसे दी जा सकती है। जबकि दोनों ही परीक्षा प्राचार्य ने नियमित रूप से पास की है। यदि 2000 में प्राचार्य ने एमएड किया तो एमए 2002 में पास करना चाहिए था। नियम के अनुसार एक साथ दो कोर्स नहीं किया जा सकता है।
बीएड कॉलेज में शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिए एमए और एमएड दोनों ही जरूरी है। लेकिन प्राचार्य बनने के पूर्व 30 अप्रैल 1999 से 2009 तक विभिन्न संस्थानों में वे अध्यापन का कार्य कर चुके हैं। इसका शपथ पत्र विवि में उपलब्ध है। इसकी शिकायत राजभवन और विवि दोनों ही जगह की गई है। विवि द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने के बाद राजभवन ने प्राचार्य पर करने का आदेश दिया। बावजूद इसके उक्त प्राचार्य पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।