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सत्र समाप्त होने के बाद मिलती हैं दियारा के छात्रों को पुस्तक

चालीस लाख रुपये का आवंटन होने के बाद भी स्कूल भवन का निर्माण नहीं हुआ। साल 2011 से यहां दो मंजिला स्कूल भवन बनना आरंभ तो हुआ पर साल 2013 आते आते निर्माण कार्य बंद हो गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Feb 2018 10:32 AM (IST)Updated: Sun, 18 Feb 2018 10:32 AM (IST)
सत्र समाप्त होने के बाद मिलती हैं दियारा के छात्रों को पुस्तक
सत्र समाप्त होने के बाद मिलती हैं दियारा के छात्रों को पुस्तक

भागलपुर। राज्य सरकार ने नाथनगर प्रखंड के बैरिया दियारा में मध्य विद्यालय बैरिया को उत्क्रमित कर हाई स्कूल में तब्दील कर दिया। साथ ही भवन निर्माण के लिए चालीस लाख रुपये का आवंटन भी कर दिया। वहीं साल 2011 से यहां दो मंजिला स्कूल भवन बनना आरंभ तो हुआ पर साल 2013 आते आते निर्माण कार्य बंद हो गया।

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स्कूल भवन निर्माण के लिए ग्रामीणों के साथ साथ प्राचार्य ने कई बार राज्य सरकार, स्थानीय जनप्रतिनिधि व जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिखा। लाख प्रयास के बाद यह अधूरा कार्य आरंभ नहीं हो सका। इस बीच हाई स्कूल से तीन सत्र में 933 छात्र मैट्रिक परीक्षा पास आउट हो गए।

साल बीता नहीं बन सका स्कूल भवन :

हाई स्कूल बैरिया के प्रभारी प्राचार्य मनोज कुमार मंडल ने कहा कि पटना से स्कूल भवन का टेंडर निकला था। ठेकेदार ने कार्य भी आरंभ किया। इसी बीच ठेकेदार के साथ पारिवारिक हादसा हुआ जिस वजह से उसने इस कार्य से मुंह मोड़ लिया। ठेकेदार ने रकम को वापस कर दिया था।

इसकी सूचना जिला से प्रदेश स्तर के अधिकारियों को सूचना दिया गया था। कई बार अधिकारी आए और पुन भवन निर्माण की बात कह कर गए। संभावना है शेष राशी जो इस मद में बची है उससे भवन का निर्माण कराया जाएगा। इस बीच स्कूल में दशमी कक्षा में छात्रों का नामांकन ले लिया गया। अब तक तीन सत्र के छात्र इस स्कूल से पास कर गए है। हाई स्कूल के पास ही मध्य विद्यालय हैं। इसी भवन में दशमी के छात्रों को बैठा कर शिक्षा दिया जाता हैं। परीक्षा के वक्त कई कक्षा के छात्रों को छुट्टी दे दी जाती हैं।

सत्र गुजरने के बाद छात्रों को मिलती है पुस्तक :

दियारा के इस स्कूल के प्रति लापरवाही इस हद तक है कि यहां के छात्रों को सत्र खत्म होने के बाद पुस्तक दिया जाता है। जिससे ये छात्र अपने घर में खुद से नहीं पढ़ पाते है। स्कूल के शिक्षक ही किसी तरह पुस्तक की व्यवस्था कर छात्रों को कक्षा में पढ़ाते है। वहीं भवन नहीं होने के कारण छात्रों को आधुनिक कंप्यूटर शिक्षा व लैब की सुविधा नहीं मिल पाती हैं। जिस वजह से बिना प्रायोगिक शिक्षा के ही छात्र शिक्षा को बाध्य हैं। वहीं प्राचार्य कहते है अगले सत्र से सरकार सभी छात्रों को पुस्तक के लिए बैक खाते में रकम देने वाली है।

इसके लिए इनको खाता खोलना जरूरी है। बैक को आवेदन दिया जाता हैं तो इसे लेने से इंकार करते है। इस हालत में अगर सरकार ने पुस्तक की रकम देना आरंभ कर दिया और हमारे छात्रों को नहीं मिला तो परेशानी अलग होगी।


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