TMBU : कापी की दर नहीं हुई तय तो विजिलेंस जांच की जद में आएंगे कई, 13 बिंदुओं पर जवाब देने के लिए पत्र भेजा
TMBU तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में खरीदी गई कापियों के भुगतान में पेच लग गया है। मधेपुरा के महेश्वरी प्रिंटर्स एंड सप्लायर्स से खरीदी गई थीं कापियां। टीएमबीयू ने 5.95 रुपये ज्यादा दर पर खरीदीं सात लाख कापियां। स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने यह जानकारी मांगी गई है।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) में 5.95 रुपये के अंतर से खरीदी गई कापियों के भुगतान में पेच लग गया है। अब जिस एजेंसी से कापियों की खरीद हुई है, वह एजेंसी जब तक अपने दर में अंतर की राशि को घटाकर कम दर पर भुगतान लेने को तैयार नहीं होती है, तब तक विवि द्वारा एजेंसी को भुगतान नहीं किया जाएगा। इतने अंतर पर अलग-अलग किश्तों में कापी खरीद मामले में विजिलेंस की जद में कई पूर्व और वर्तमान अधिकारी आ सकते हैं।
स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने मांगी है जानकारी
स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने (एसवीयू) मगध विश्वविद्यालय, बोधगया में जांच के बाद टीएमबीयू को भी 13 बिंदुओं पर जवाब देने के लिए पत्र भेजा। इसमें विवि में 2019 से लेकर अब तक हुई खरीद-बिक्री के बारे में जानकारी मांगी है। पत्र में खरीद या बिक्री किस प्रक्रिया के तहत हुई है, यदि उसका किसी अधिकारी ने विरोध किया था तो क्यों किया था आदि जानकारी मांगी है। जवाब विवि तैयार करने में लगा हुआ है, लेकिन कापी बिक्री मामले में विवि के जवाब से मामला जांच के दायरे में आएगा।
7.65 लाख कापियों की हुई थी खरीद
विवि ने मधेपुरा के महेश्वरी प्रिंसर्स एंड सप्लायर्स से फरवरी, मार्च और जून में करीब 7.65 लाख कापियों की खरीद कोटेशन के आधार पर की थी। ये कापियां 9.80 रुपये प्रति कापी की दर से खरीदी गईं। विवि ने तीन किश्तों में खरीदी गई कापियों की एक किश्त का करीब 24.99 लाख रुपये एजेंसी को भुगतान कर दिया। कोटेशन के आधार पर हुई खरीद पर जब वित्तीय परामर्शी ने आपत्ति की तो नए सिरे से विवि ने टेंडर की प्रक्रिया के तहत कापियों की खरीद की।
सिंडिकेट ने किया भुगतान का विरोध
कापियों की खरीद आगरा की किड्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड से 3.85 रुपये प्रति कापी की दर से हुआ। 5.95 रुपये के इस अंतर के बाद ही मामला फंस गया। जिस एजेंसी से 9.80 रुपये प्रति कापी की दर से खरीद हुई थी, उस एजेंसी को भुगतान करने के लिए एक वित्त समिति की बैठक में एजेंडा रखा गया था, लेकिन सदस्यों ने ज्यादा भुगतान पर रोक लगा दी। बाद में उस वित्त कमेटी में बदलाव किया गया। इसके बाद भुगतान का मामला सिंडिकेट में रखा गया। सिंडिकेट ने भी भुगतान पर अपनी सहमति नहीं दी है।
सिंडिकेट में लिए निर्णय के अनुसार ही कापी की दर कम करने के बाद ही एजेंसी को भुगतान की सहमति दी जाएगी। इसके लिए एजेंसी से संपर्क कर निर्णय के बारे में बताया जाएगा। - डा. निरंजन प्रसाद यादव, कुलसचिव, टीएमबीयू