TMBU: स्थानांतरण के विरोध में मनमानी का आरोप, उच्च शिक्षा निदेशक को लिखा पत्र
टीएमबीयू अतिथि शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग से अधिसूचना रद करने का किया आग्रह। राजद अनुसूचित जाति जनजाति प्रकोष्ठ करेगा कुलपति का पुतला दहन। इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग बिहार सरकार के निदेशक से पत्राचार किया है।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) में अतिथि शिक्षकों के सेवा विस्तार के बाद हुए स्थानांतरण का विरोध बढ़ता जा रहा है। टीएमबीयू अतिथि व्याख्याता संघ के अध्यक्ष डा. आनंद आजाद ने इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग, बिहार सरकार के निदेशक से पत्राचार किया है। उन्होंने पत्र के माध्यम से विश्वविद्यालय में हुए सेवा विस्तार और स्थानांतरण की प्रक्रिया में विश्वविद्यालय अधिकारियों पर मनमानी का आरोप लगाया है। उन्होंने पत्र में कहा है कि दुर्भावना से प्रेरित होकर मनमाने तरीके से स्थानांतरण में ना तो मेधा का ख्याल रखा गया और ना ही परफारमेंस रिपोर्ट का।
जबकि सरकार के निर्देशानुसार परफारमेंस के आधार पर संबंधित जगह ही अतिथि शिक्षकों को सेवा विस्तार दिया जाना था। उन्होंने पत्र के माध्यम से आरोप लगाया है कि महिलाओं, दिव्यांग श्रेणी के अभ्यर्थियों को भी मुख्यालय से बाहर दूर की कालेजों में भेज दिया गया। उन्होंने कहा है कि स्थानांतरण के कारण अतिथि शिक्षक भारी मानसिक, शारीरिक और आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। कोरोना काल की वजह से लोगों में तरह-तरह का भय बना हुआ है। उन्होंने उच्च शिक्षा निदेशक से स्थानांतरण की अधिसूचना को रद करने का अनुरोध किया है।
स्थानांतरण के विरोध में राष्ट्रीय जनता दल अनुसूचित जाति, जनजाति प्रकोष्ठ के जिला उपाध्यक्ष डा. प्रियरंजन कुमार उर्फ सुड्डू ने कहा है कि शुक्रवार को विश्वविद्यालय परिसर में कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता का पुतला दहन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक स्थानांतरण की अधिसूचना रद नहीं होती है। तब तक वे लोग आंदोलन जारी रखेंगे। यदि उनकी मांगे नहीं मानी जाती है तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
परीक्षा कराने की मांग को लेकर छात्रों ने कुलपति को चार घंटे बनाया बंधक
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता को गुरुवार को परीक्षा कराने की मांग को लेकर छात्रों ने चार घंटे बंधक बनाए रखा। वे अपने चेंबर में ही थीं। छात्रों ने किसी भी अधिकारी को कुलपति चैम्बर जाने नहीं दिया। अंत में कुलपति द्वारा कुलसचिव डा. निरंजन प्रसाद यादव के माध्यम से छात्रों को इसका निदान निकालने को लेकर आश्वस्त किया गया। साथ ही कहा गया कि शुक्रवार को इस सिलसिले में 11.00 बजे एक आपात बैठक बुलाई गई है। जिसमें कुछ न कुछ निर्णय लिया जाएगा। तब जाकर छात्र शांत हुए और गेट से हटे। कुलसचिव ने पांच छात्रों को शुक्रवार को बातचीत के लिए बुलाया है।
सेमेस्टर चार और बीसीए के फाइनल इयर छात्र प्रदर्शन में थे शामिल
विश्वविद्यालय में प्रदर्शन कर रहे छात्रों में सेमेस्टर चार और बीसीए फाइनल इयर के छात्र मौजूद थे। वे लगातार विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। छात्र कुलपति से स्वयं मिलकर अपनी समस्या रखना चाहते थे, ङ्क्षकतु उनके नहीं मिलने से छात्रों का आक्रोश भड़क गया और वे कक्ष के बाहर मुख्य दरवाजे पर ही बैठ गए। इसके बाद उपर कुलपति कक्ष की तरफ जाने वाले सभी गेट को बंद कर दिया। किसी भी कर्मी को अंदर जाने से छात्रों ने रोक दिया। उन्हें छात्र बाहर भी नहीं निकलने दे रहे थे। जा विश्वविद्यालय में इस दौरान अफरा-तफरी का माहौल हो गया।
प्राक्टर और परीक्षा नियंत्रक की भी नहीं मानी बात
छात्रों को प्रदर्शन के दौरान समझाने बुझाने के लिए प्राक्टर डा. रतन मंडल और परीक्षा नियंत्रक डा. अरुण कुमार सिंह पहुंचे। उन लोगों ने छात्रों को काफी समझाने का प्रयास किया। उन्हें गेट से हटकर साथ वार्ता के लिए कहा, लेकिन छात्र तैयार नहीं हुए। वे लोग कुलपति से मिलने की मांग को लेकर अड़े हुए थे। उन्होंने कहा जब तक कुलपति नहीं मिलेगी तब तक मैं लोग धरने पर बैठे रहेंगे।
बैरंग लौटे डीएसडब्ल्यू और क्रीडा परिषद के सचिव
स्थापना दिवस को लेकर डीएसडब्ल्यू डा. राम प्रवेश सिंह और क्रीड़ा परिषद के सचिव डा. सुनील कुमार सिंह कुछ चर्चा के लिए कुलपति के पास जा रहे थे। लेकिन आक्रोशित छात्रों ने उन्हें भी गेट पर रोक दिया। काफी समझाने के बाद भी छात्र नहीं माने। अंत में दोनों अधिकारियों को बैरंग वापस लौटना पड़ा। छात्रों का आक्रोश देख विश्वविद्यालय प्रशासन ने विश्वविद्यालय पुलिस को खबर किया। उन्हें भी गेट के अंदर आने से रोक दिया गया।
करीब चार घंटे बाद कुलसचिव से बात करने के लिए छात्र तैयार हुए। कुलसचिव ने अपने कक्ष में छात्रों को कुलपति के हवाले से बताया कि 11.00 बजे वे लोग परीक्षा को लेकर एक मीटिंग करेंगे। इसके बाद राजभवन को परीक्षा कराने को लेकर पत्र लिखा जाएगा। यदि वहां से अनुमति मिल जाती है तो वे लोग आगे की कार्रवाई शुरू कर देंगे। छात्रों का कहना था कि बीसीए के अंतिम वर्ष के छात्रों के इंटरनल परीक्षा आनलाइन भी हो सकती है। साथ ही सेमेस्टर चार के छात्रों ने कहा कि आनलाइन का आप्शन दिया जाए। छात्रों ने कहा कि वे लोग खुद मानसिक रूप से प्रताडि़त हो रहे हैं। 22 माह सेशन लेट हो जाने के बाद उनका कैरियर खराब हो रहा है।