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तीन साल बाद भी प्रशासन नहीं दिला सका एसिड अटैक पीड़ितों को मुआवजा, जानिए क्या है प्रावधान

एसिड अटैक के मामलों में नेशनल लीगल सर्विसेज अर्थारिटी मुआवजा राशि सात लाख रुपये है। इस राशि को नेशनल लीगल सर्विसेज अर्थारिटी ने तय किया है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 09:16 AM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 06:50 PM (IST)
तीन साल बाद भी प्रशासन नहीं दिला सका एसिड अटैक पीड़ितों को मुआवजा, जानिए क्या है प्रावधान
तीन साल बाद भी प्रशासन नहीं दिला सका एसिड अटैक पीड़ितों को मुआवजा, जानिए क्या है प्रावधान

भागलपुर [जेएनएन]। जिले की एसिड अटैक पीडि़त को तीन वर्षो के बाद भी सरकार की सहायता राशि नहीं मिल सकी। पीडि़त मुआवजे के लिए सरकारी अफसरों के चक्कर काट रहा है। इस मामले में प्रशासन का संवदेनशील रवैया सामने आया है। जिला कल्याण कार्यालय में ऐसे तीन पीडि़तों का मामला फाइलों का चक्कर लगा रहे हैं। प्रशासन को यह भी मालूम नहीं था कि किस विभाग से मुआवजा मिलेगा। विभागों से मंतव्य लेने के 36 माह से फाइल दफ्तरों का चक्कर लगाते रहे। अंतत: गृह विशेष विभाग के सचिव ने कल्याण विभाग को सुझाव देते हुए प्रधानमंत्री राहत कोष का दरवाजा खटखटाने को कह दिया। गत माह से जिला कल्याण अधिकारी की ओर से पत्राचार की प्रक्रिया शुरू की गई है। अधिकारी को उम्मीद है कि इससे पीडि़तों को लाभ मिल जाएगा। बहरहाल नवगछिया अनुमंडल के गुड्डू शर्मा को पत्नी ने वर्ष 2016 में एसिड उडेल दिया था। जिससे उनके चेहरे पर गहरा जख्म हुआ। वहीं कहलगांव अनुमंडल के सुबोध कुमार भी एसिड अटैक के शिकार हुए है। इन्होंने मुआवजे के लिए आवेदन कर रखा है। अधिकारियों की उदासीनता से पीडि़तों को उनका हक नहीं मिल पाया है। अब पीडि़तों में निराशा का माहौल है। कर्ज लेकर पीडि़त इलाज करने को मजबूर हो चुके है।

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क्या कहते है अधिकारी

जिले के तीन पीडि़तों को मुआवजा देने का विभाग को प्रस्ताव भेजा गया था। जिला कल्याण अधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि सही प्रक्रिया में कदम नहीं उठाने से विलंब हुआ है। अब कागजी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। विधिक सेवा प्राधिकार से प्रस्ताव मिलने के बाद डीएम ने अनुशंसा कर दी है। पीडि़तों के प्रस्ताव को दिल्ली गृह विभाग को भेजा गया है। ताकि प्रधानमंत्री राहत कोष से एक लाख रुपये की मुआवजा राशि पीडि़त के बैंक खाते में भेजी जाएगी।

एसिड अटैक रोकने को सख्त है कानून

एसिड अटैक रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को सख्त सजा दिए जाने का प्रावधान रखा है। जस्टिस जे.एस. वर्मा कमिशन की सिफारिशों पर सरकार ने आईपीसी में नए कानूनी प्रावधान किए और इसी के तहत आईपीसी की धारा 326 ए और 326 बी अस्तित्व में आया। आईपीसी की धारा 326 ए के तहत प्रावधान किया गया है कि अगर कोई शख्स किसी दूसरे पर एसिड से हमला करता है और इस वजह से उस शख्स के शरीर का अंग खराब होता है या शरीर पर जख्म होता है या जलता है या झुलसता है तो ऐसे शख्स दोषी साबित होने पर कम से कम 10 वर्ष कैद और ज्यादा से ज्यादा उम्र कैद की सजा दी जा सकती है। एसिड अटैक की कोशिश में भी कम से कम पांच वर्ष तक की कैद होगी। अगर कोई शख्स किसी और पर अंग खराब करने या उसे नुकसान पहुंचाने की नियत से एसिड फेंकने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 326 बी के तहत केस दर्ज किया जाएगा। इस मामले पर दोषी पाए जाने पर कम से कम पांच वर्ष और ज्यादा से ज्यादा सात वर्ष की सजा हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया है बिक्री को रेगुलेट करने का आदेश

एसिड अटैक को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट नें केंद्र और राज्य सरकार को एसिड की बिक्री को रेगुलेट करने के लिए कानून बनाने को कहा था। अटैक की शिकार महिला को इलाज और पुर्नवास के लिए तीन लाख रुपये का मुआवजा देने का प्रावधान भी है। बिहार सरकार ने बिहार पीडि़त प्रतिकर एक्ट बनाकर मुआवजा का प्रावधान रखा है। इसका लाभ विधि शाखा देगा।

एसिड पीडि़ता को कितना मिलता है मुआवजा

एसिड अटैक के मामलों में नेशनल लीगल सर्विसेज अर्थारिटी मुआवजा राशि सात लाख रुपये है। इस राशि को नेशनल लीगल सर्विसेज अर्थारिटी ने तय किया है। केंद्र सरकार से चर्चा के बाद अथॉरिटी ने निर्णय लिया कि पीडि़त को मुआवजा के रुप में कम से कम पांच लाख रुपये से लेकर सात लाख रुपये दिए जाए।

प्रधानमंत्री राहत कोष से भी मिलता है मुआवजा

एसिड अटैक के पीडि़तों को प्रधानमंत्री राहत कोष से भी एक लाख रुपये का मुआवजा मिलता है। ऐसे पीडि़तों को सरकार द्वारा निर्धारित पीडि़त प्रतिकर के तीन लाख रुपये के अलावा उन्हें प्रधानमंत्री की राहत कोष से एक लाख रुपये का मुआवजा लेने का भी हक है। यह योजना नौ नवंबर 2016 में शुरू हुई है।


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