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बिहार के इस युवा वैज्ञानिक ने देश की सेवा के लिए ठुकराया नासा का ऑफर...

बिहार के युवा विज्ञानी गोपाल जी ने देश सेवा के लिए नाशा का ऑफर ठुकरा दिया। वे अभी यहां पर रिसर्च कर रहे हैं। गोपाल जी मूल रूप से भागलपुर जिले के खरीक प्रखंड के रहने वाले हैं।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sat, 03 Apr 2021 08:54 AM (IST)Updated: Sat, 03 Apr 2021 08:54 AM (IST)
बिहार के इस युवा वैज्ञानिक ने देश की सेवा के लिए ठुकराया नासा का ऑफर...
कार्यक्रम के दौरान उपस्थित आइएएस अधिकारी और युवा विज्ञानी।

 संवाद सूत्र, खरीक। प्रखंड के ध्रुवगंज गांव के होनहार व मेधावी दो सपूतों संदीप कुमार व गोपाल जी ने राष्ट्रीय स्तर पर अपने गांव व जिले का मान बढ़ाया है। दोनों युवा अधिकारी के गांव आने पर शुक्रवार को संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें ग्रामीणों ने अपने दोनों सपूतों को प्यार, दुलार के साथ हृदयतल से सम्मान किया। ग्रामीणों का कहना था कि आज हम अपने बच्चों के रूप में खुद का व अपने गांव का सम्मान कर रहे हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता व संयोजन मनीष कुंवर व संचालन कुणाल कुमार ने किया।

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2017 में देश के पीएम नरेंद्र मोदी के साथ भी किया है काम

संदीप बतौर आइएएस बीते वर्ष चयनित हुए हैं। अभी संदीप मसूरी में प्रशिक्षण पूरी कर जिला प्रशिक्षण के लिए अगले कुछ दिनों में जाएंगे। इसके बाद वे केरल के पथ्थिकम थिट्टा जिले के डीएम के रूप में योगदान देंगे। वहीं ध्रुवगंज के प्रेमरंजन कुमार व उषा देवी के विज्ञानी पुत्र गोपाल जी को अमेरिका के अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र नासा से जुडऩे का ऑफर आया। लेकिन गोपाल जी ने अपने देश के लिए उस ऑफर को ठुकरा दिया। वे वर्तमान में भारत सरकार के नवनीत इंडस्ट्री में बतौर रिसर्च निदेशक के पद पर हैं, जो जीएनजी के नवीनकरण पर शोध कर रहे हैं। गोपाल जी अपने दो भाई में बड़े व अपनी बहन से छोटे हैं। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा गांव से ही पूरी की। 12वीं तक की पढ़ाई उच्च विद्यालय तुलसीपुर खरीक और स्नातक देहरादून से की है। संदीप ने बताया कि वर्ष 2017 में देश के पीएम नरेंद्र मोदी के साथ भी काम किया है। दोनों अधिकारियों ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता एवं गांव परिवार को दिया।

अनुशासन, संकल्प, सकारात्मक सोच से मिलेगी सफलता

दोनों अधिकारियों ने ग्रामीण युवाओं को सफलता का मूलमंत्र अनुशासन, संकल्प, सकारात्मक सोच एवं टीवी व मोबाईल से रिश्ता सिर्फ जरूरी भर ही रखने को बताया। उन्होंने कहा कि कभी जीवन में हार मिले तो घबराना नहीं और सफलता मिले तो अधिक इतराना नहीं। क्योंकि कभी-कभी जीवन में एक आध असफलता ङ्क्षजदगी में सफलता के कई द्वार खोल देती है। इस मौके पर सर्वदानंद कुंवर, इनरदेव राय, धीरेंद्र कुंवर, कन्हाय कुंवर, पवन कुंवर समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण व युवाओं की मौजूदगी थी।  


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