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भागलपुर का यह शिक्षक गरीब और मेधावी छात्रों के लिए मसीहा से कम नहीं, हमेशा मदद को रहते हैं तैयार

मूलरूप से भागलपुर के निवासी राजकुमार अभी बिहपुर में पदस्थापित हैं। वे हर साल कई निर्धन छात्रों की ड्रेस किताब आदि के लिए आर्थिक मदद करते हैं। वह बरसों से करते चले आ रहे हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 08:05 PM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 08:05 PM (IST)
भागलपुर का यह शिक्षक गरीब और मेधावी छात्रों के लिए मसीहा से कम नहीं, हमेशा मदद को रहते हैं तैयार
भागलपुर का यह शिक्षक गरीब और मेधावी छात्रों के लिए मसीहा से कम नहीं, हमेशा मदद को रहते हैं तैयार

भागलपुर, जेएनएन। राजकुमार प्रसून सर...। शिक्षा विभाग के लिए तो यह आम नाम है, लेकिन गरीब व मेधावी छात्रों के लिए मसीहा से कम नहीं। फीस की कमी हो या फिर किताब या ड्रेस का अभाव, राजकुमार सर जेब से पैसे खर्च कर करने में जरा भी हिचक नहीं करते। इस नेक काम में न तो वह जाति-धर्म देखते हैं और न अपना पराया।

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यह बात हो रही है मधुसूदन सर्वोदय इंटर विद्यालय बिहपुर के प्रभारी प्रधानाध्यापक राजकुमार प्रसून की। मूलरूप से भागलपुर के निवासी राजकुमार अभी बिहपुर में पदस्थापित हैं। वे हर साल कई निर्धन छात्रों की ड्रेस, किताब आदि के लिए आर्थिक मदद करते हैं। इस कार्य को वह बरसों से करते चले आ रहे है। इसकी प्रेरणा उन्हें अपने पिता डॉ. वासुदेव प्रसाद सिंह से मिली थी। वे राय हरिमोहन इंटर विद्यालय बरारी के पूर्व प्राचार्य हैं। राजकुमार बताते हैं कि गरीब और जरूरतमंद बच्चों की मदद उनके पिता भी किया करते थे। कुछ बच्चों को वह घर पर भी बुलाकर पढ़ाया करते थे। उनकी मदद से कई गरीब बच्चे आज पढ़-लिखकर बड़े पदों पर हैं।

अपनी जेब से पैसे देकर भरवाए फॉर्म

जरूरतमंद और गरीब बच्चों की मदद करना राजकुमार की आदत में शुमार है। यह हर कोई जानता है। दो दिन पहले मधुसूदन सर्वोदय इंटर विद्यालय बिहपुर के दो छात्र विकास कुमार और देव शर्मा परीक्षा का फॉर्म भरने पहुंचे थे। लेकिन उन दोनों के पास पैसे नहीं थे। इस कारण वे लोग फॉर्म नहीं भर पा रहे थे। जैसे ही इस बात की जानकारी प्रभारी प्राध्यापक राजकुमार प्रसून को हुई वे फौरन वहां पहुंचे और अपनी जेब से पैसे देकर दोनों का फॉर्म भरवाया। साथ ही उन्होंने दोनों को और भी कई तरह की मदद के आश्वासन दिए। प्रसून बताते हैं कि हमलोगों के यहां आर्थिक तंगी के कारण कई छात्र बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं। इससे उन्हें काफी दुख होता है। कोई भी छात्र बीच में पढ़ाई न छोड़े इसके लिए वह अपनी ओर से हर संभव मदद करते हैं।


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