बिहार का यह जर्दालू आम है कुछ खास, सियासत में भी घोल रहा मिठास
वैसे तो आम फलों का राजा है, लेकिन बिहार का जर्दालू आम कुछ खास ही है। यह सियासत में भी मिठास घोलता रहा है। इसकी खास बातें जानिए इस खबर में।
भागलपुर [अमरेन्द्र कुमार तिवारी]। जर्दालू आम अब खास हो चला है। अपने बेहतरीन स्वाद और खुशबू के बल पर यह सियासत में भी मिठास घोल रहा है। हाल के वर्षों में इसकी ख्याति क्षेत्र और राज्य की सीमाओं को लांघकर कर विदेशों तक जा पहुंची है। दरअसल, आम की कई प्रजातियों के बीच यह अपने बेहतरीन स्वाद के कारण एक अलग ही पहचान बनाता जा रहा है। इसे एक बार जो खा ले, वह इसका मुरीद हो जाता है। नीतीश सरकार ब्रांड बिहार को प्रमोट करने के लिए जर्दालू आम को उपहार स्वरूप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के साथ ही देश के अति विशिष्ट लोगों को भेंट करती रही है।
विश्वभर में प्रसिद्ध
बीएयू (बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी) के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में इस बात का उल्लेख किया है कि भागलपुर में जर्दालू आम को सबसे पहले अली खान बहादुर ने जगदीशपुर प्रखंड के तेजपुर में लगाया था। जर्दालू की खासियत है कि यह फल हल्के पीले रंग का होता है तथा अपने विशेष खूशबू के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध है।
सियासत में घोल रहा मिठास
आम लोगों की पसंद बना जर्दालू देश की सियासत में भी मिठास घोल रहा है। केंद्र-राज्य संबंधों में रस्साकशी के बीच यह सेतु का काम करता है। बिहार सरकार के निर्देश पर 2006 से जर्दालू आम सौगात के रूप में राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री, कृषि मंत्री, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, दिल्ली के मुख्यमंत्री सहित अति विशिष्ट लोगों को भेजा जाता रहा है।
विदेशी जर्नल में मिली जगह
इस फल को अंतरराष्ट्रीय स्तर की पत्रिका ज्योग्राफिकल इंडिकेशन में भी शामिल कर लिया गया है। जर्नल में इसे राज्य की बौद्धिक संपदा अधिकार शीर्ष की सूची में शामिल किया गया है। स्वाभाविक तौर पर इस आम की ख्याति देश की सीमा लांघ चुकी है। अब इसे जीआइ टैग मिल गया है। इसके बाद अब यह आम यूपी की दशहरी की तरह पूरी दुनिया में छा जाएगा।
गुणवत्ता और क्षेत्र विस्तार पर बल
जर्दालू आम उत्पादक संघ के अध्यक्ष तिलकपुर सुल्तानगंज निवासी अशोक चौधरी ने बताया कि इसकी गुणवत्ता व क्षेत्र विस्तार पर अब विशेष ध्यान दिया जा रहा। बीते दिनों बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी जिसमें इसके गुणवत्तापूर्ण उत्पादन, क्षेत्र विस्तार एवं बाजार प्रबंधन पर मंथन किया गया।
भागलपुर की मिट्टी है बेहतरीन
दरअसल, भागलपुर क्षेत्र की मिट्टी दोमट है जो जर्दालू आम के उत्पादन के लिए काफी उपयुक्त मानी जाती है। क्षेत्र की जलवायु भी जर्दालू के स्वाद और सुगंध को बढ़ाने में बड़े कारक का काम करती है।
7500 टन प्रति वर्ष होता है उत्पादन भागलपुरी जर्दालू आम उत्पादक संघ के अध्यक्ष मैंगो मैन के नाम से चर्चित अशोक चौधरी ने बताया कि जिले के 1600 हेक्टेयर में जर्दालू की खेती होती है। प्रतिवर्ष 7500 टन फल का उत्पादन होता है।
271 हेक्टेयर में हुआ है क्षेत्र विस्तार
आत्मा (एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी) के वरीय पदाधिकारी प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि राज्य सरकार की विशेष फसल योजना के तहत 271 हेक्टेयर में जर्दालू आम के नए बाग लगा कर क्षेत्र विस्तार किया गया है। यह प्रक्रिया 2011-12 से 2013-14 तक पूरी कर ली गई है।
बनी बिहार की बौद्धिक संपदा
बिरसा कृषि विवि के कुलपति डॉ. अजय कुमार सिंह बताते हैं कि वैज्ञानिकों ने जर्दालू की गुणवत्ता में सुधार का काम किया है। इस आम का जीआइ भी कराया गया है। अब यह राज्य की बौद्धिक संपदा बन गई है।