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मुंगेर और बांका की सीमा पर बने इसी पुल का धसते जा रहा पाया, भारी वाहनों के प्रवेश पर अब लगी रोक

वर्ष 2010 यह पुल बनकर तैयार हुआ था। लगभग सात करोड़ की लागत से बना पुल मुंगेर -बांका जिले के दर्जनों गांवों को जोडती है। श्रावणी मेला में बदुआ नदी पर बना यह पुल कांवरियों के लिए खास महत्व रखता है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 10:35 PM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 10:35 PM (IST)
मुंगेर और बांका की सीमा पर बने इसी पुल का धसते जा रहा पाया, भारी वाहनों के प्रवेश पर अब लगी रोक
मुंगेर - बांका जिला सीमा पर बदुआ नदी का पाया धसने लगा है।

मुंगेर, जेएनएन। कच्ची कांवरिया पथ मुंगेर - बांका जिला सीमा पर बदुआ नदी पर लगभग 10 वर्ष पूर्व करोड़ों की लागत से बने पुल के पिलर का धंसने का दौर जारी है। जिससे पुल का सतह लगभग एक फीट धंस गया है। जिसमें दरारे भी साफ दिखने लगी है। बता दें कि वर्ष 2006 में पथ निर्माण विभाग द्वारा इस पुल का निर्माण कार्य शुरु किया गया थ।

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वर्ष 2010 यह पुल बनकर तैयार हुआ था। लगभग सात करोड़ की लागत से बना पुल मुंगेर -बांका जिले के दर्जनों गांवों को जोडती है। विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला में बदुआ नदी पर बना यह पुल कांवरियों के लिए खास महत्व रखता है। पुल के धंसने पर अलग अलग प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है। कुछ लोग पुल के निर्माण में बरती गई अनियमितता बता रहे हैं। जबकि जिला भारतीय जनता किसान मोर्चा उपाध्यक्ष राम खेलावन शर्मा एवं धौरी गांव के आनंद विजय पुल के धंसने के लिए बदुआ नदी से अवैध तरीके से अत्यधिक खनन मान रहे हैं।

इन लोगों के अनुसार सरकार के निर्देशानुसार नदी पर बने पुल के पिलर से लगभग 500 फीट दोनों तरफ से बालू उठाव वर्जित है। लेकिन बालू माफियाओं द्वारा पिलर के समीप का बालू जेसीबी लगाकर निकाला गया।यही वजह है कि 10 वर्ष पूर्व बना यह पुल अपने अस्तित्व का जंग लड़ रहा है।वहीं पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता इस पुल का निरीक्षण कर भारी वाहनों के परिचालन पर रोक लगाने का निर्देश दिया था। शुक्रवार को सीओ स्नेहा सुमन एवं थानाध्यक्ष सर्वजीत कुमार पुल का निरीक्षण कर दोनों अधिकारियों ने दूरभाष पर पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता को पुल की वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए बेरिकेङ्क्षटग कराने के लिए कहा था। कार्यपालक अभियंता ने शनिवार को पुल के दोनों छोर पर दिवार देकर चार पहिया वाहनों के परिचालन पर पाबंदी लगा दी है।सिफ दो पहिया वाहन एवं पैदल जाने वाले को छूट रहेगी।फिलवक्त इस पूल की दुर्दशा के लिए पथ निर्माण विभाग या फिर खनन विभाग में कौन जिम्मेदार है।यह जांच का विषय है।


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