बिहार के 500 थानों में बच्चों व महिलाओं के लिए बनी यह व्यवस्था, लिखे रहेंगे मोबाइल नंबर
अब बिहार में बच्चों और महिलाओं के लिए हेल्प डेस्क बनेंगे। थाना स्तर पर बच्चों व महिलाओं की सहायता के लिए बनेगी कमेटी। थानों में लिखे जाएंगे बालहित में लगे पदाधिकारियों के नंबर। यूनिसेफ की मदद से पूर्णिया और नालंदा में इसका प्रयोग किया जा रहा है।
संजय सिंह, भागलपुर। अब बच्चों और महिलाओं को अपनी शिकायत थाने में दर्ज कराने में कोई परेशानी नहीं होगी। राज्य के 500 थानों को चिह्नित कर इनके लिए हेल्प डेस्क बनाए जाएंगे। डेस्क की जिम्मेदारी महिला पुलिस पदाधिकारियों के पास होगी। प्रयोग के तौर पर यूनिसेफ की मदद से पूर्णिया और नालंदा में चाइल्ड फ्रेंडली थाने खोले गए हैं। यहां बच्चों को बेहतर माहौल देने के लिए बाल हनुमान और बाल कृष्ण की तस्वीरें पेंट की जा रही हैं।
इधर, भागलपुर के एसएसपी ने भी सभी थानाध्यक्षों को पत्र लिखकर यह निर्देश दिया है कि बच्चों के हित का पूरा ध्यान रखें और थाने में बालहित में काम करने वाले पदाधिकारियों और सदस्यों के नाम, पूरा पता और मोबाइल नंबर अंकित करें। अधिकांश थानों में यह काम अब तक पूरा नहीं हो पाया है। कमजोर वर्ग (अपराध अनुसंधान विभाग) की एसपी वीणा कुमारी ने बताया कि राज्य के 500 थानों में महिला हेल्प डेस्क खोले जाने हैं।
इस डेस्क पर महिलाएं ही पदस्थापित होंगी और इन्हें विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस मामले में फिलहाल पटना और मुजफ्फरपुर में स्वयंसेवी संगठनों की मदद से महिलाओं-बच्चों के हित में बेहतर काम हो रहा है। संगठन की सहायता से कई महिलाओं व बच्चों को न्याय भी मिला है।
पुलिस विभाग के वरीय अधिकारियों का मानना है कि विधि-विरुद्ध बालकों के मामले में भी बाल थाना एक बेहतर उपाय है। यहां बच्चे दूसरे आपराधिक तत्वों के संसर्ग में नहीं आ पाएंगे और उनमें सुधार की गुंजाइश अधिक रहेगी। बाल-विवाह को रोकने में ऐसे थानों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। यद्यपि, कोरोना के मामले बढऩे के कारण कई जगहों पर बाल मित्र थानों में जिस हिसाब से काम होना था, वह हो नहीं पा रहा है।
बच्चों और महिलाओं में भय और भ्रम की स्थिति समाप्त होगी, बशर्ते कि इस काम में कर्मठ और प्रशिक्षित पुलिस पदाधिकारियों को लगाया जाए। यह एक बेहतर कदम है। - शिल्पी सिंह, समाजसेवी, कटिहार