भागलपुर में नहीं है सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट, ना ही डंपिंग प्वाइंट तक कूड़ा पहुंचाने के लिए वाहन
कूड़ेदान मुक्त सड़क की तैयारी कचरा निस्तारण पर फिसड्डी। पांच वर्षों में डंपिंग ग्राउंड में प्रोसेसिंङ्क्षसग प्लांट की नहीं बनी ठोस कार्ययोजना। डपिंग स्थल तक कूड़ा पहुंचाने के लिए बड़े वाहनों का टोंटा मोहल्ले में गंदगी। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट ही नहीं।
जागरण संवाददाता, भागलपुर : शहर के तिलकामांझी क्षेत्र को कूड़ेदान मुक्त जोन बनाया जाएगा। इससे पहले सड़कों से कूड़ेदान हटाने को लेकर डीएम सुब्रत कुमार सेन ने नगर आयुक्त को कारगर कार्ययोजना तैयार करने का टास्क दिया है। लेकिन, ये धरातल पर नहीं उतरा। शहर में प्रतिदिन 250 मीट्रिक टन कचरा निस्तारण के लिए प्रोसेसिंग प्लांट (सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट) ही नहीं है। नतीजा डंपिंग ग्राउंड में कूड़े का पहाड़ खड़ा हो चुका है। इस कचरे के निस्तारण नहीं होने से निगम का पूरा सिस्टम बेपटरी हो गया है।
वार्ड से कचरा उठाव से लेकर डंपिंग ग्राउंड तक पहुंचाने के लिए पर्याप्त बड़े वाहन तक नहीं है। चार वर्षों से खरीददारी तक नहीं हुई। इससे मोहल्ले में कचरे का नियमित उठाव तक नहीं हो पाता है। मोहल्ले के नियमित कचरे का उठाव तक नहीं होता। दिवाली से छठ पर्व बीत गए, लेकिन भीखनपुर व नवाबबाग कालोनी की गलियों से कूड़े का उठाव करने में स्वास्थ्य शाखा नाकाम रही है। अब तो मोहल्ले में कचरा बदबू करने लगे हैं।
डंपिंग प्वाइंट भी नहीं बची
मोहल्ले से कचरा संग्रह कर डंपिंग प्वाइंट पर रखने के लिए शहर में जगह तक निगम नहीं खोज पाया। इसके अभाव में कचरे को जहां-तहां सड़क के किनारे और खाली स्थानों पर रखा जा रहा है। इससे शहर की सूरत बिगड़ गई है। पहले लाजपत पार्क मार्ग, बायपास व नाथनगर के दोगच्छी में वार्डों का कचरा डंप किया जा रहा था। जिला प्रशासन के फटकार के बाद यहां कूड़ा डंप करना बंद हुआ। लेकिन, कंपनीबाग के पीछे अब भी कचरा डंप हो रहा है। चार कंपेक्टर और दो हाईवा के माध्यम से करीब 150 टन कचरा डंपिंग ग्राउंड तक पहुंचता है। निगम के स्तर से वार्डों का कूड़ा रखने के लिए जमीन की तलाश जारी है। लेकिन अब तक नाकाम रही है।
मोहल्ले में गंदगी की यह भी बड़ी वजह
शहर में सफाई के लिए करीब 1200 स्थायी और दैनिक मजदूरों कार्य कर रहे हैं। प्रत्येक वार्ड को कम से कम 15 मजदूर और एक आटो टीपर उपलब्ध कराया गया है। इसकी निगरानी के एक से दो वार्ड प्रभारी भी प्रतिनियुक्त है। बावजूद, मोहल्ले की संपूर्ण सफाई नहीं होती। इसकी मूल वजह है कि ट्रेक्टर व आटो टीपर से एक से तीन फेरे ही उठाव होता है। जिससे 40 फीसद से अधिक मोहल्ले की गलियों में कचरे पड़ा रखता है। कूड़ा वाहनों में जीपीएस सिस्टम भी नहीं लगा है। जिससे वाहनों की निगरानी की जा सके।
घर-घर कचरा संग्रहण में लापरवाही
शहर में कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था को दूर करने के लिए विभाग की ओर से पिछले चार वर्ष से निर्देश जारी किया जा रहा है। घरों का कचरा सड़क पर नहीं फेंका जाए। इसके लिए घर-घर जाकर कूड़ा संग्रहण करना है। कुछ गलियों में सफाई कर्मी जाते हैं लेकिन कुछ गलियों से कचरा संग्रहण तक नहीं होता। नतीजा घरों का कचरा सड़क व नालियों में फेकने के लिए लोग विवश होते हैं।
1.40 लाख कूड़ेदान खरीदारी हुई पर वितरण नहीं
शहर के करीब 76 हजार घरों को गीला व सूखा कचरा रखने के लिए नगर निगम को दो-दो कूड़ेदान उपलब्ध कराना है। निगम ने 10 हजार कूड़ेदान का वितरण नाथनगर क्षेत्र के पांच वार्डों में की है। लेकिन इसका उपयोग नहीं हुआ। वहीं तीन माह पहले 1.40 लाख कूड़ेदान की खरीदारी की गई। लेकिन कूड़ेदान तातारपुर स्थित रैन बसेरा में धूल फांक रही है। इसका वितरण नहीं किया गया है।
जैविक खाद प्लांट डेढ़ वर्ष से अधूरा
गीले और सूखे कूड़े को अलग करने के बाद प्रोसेसिंग के लिए भेजा जाना था। शहर के 51 वार्ड के गीले कूड़े से जैविक खाद तैयार करने को 17 स्थानों पर पीट का निर्माण होना था। प्रत्येक तीन वार्ड पर एक जैविक खाद पीट का निर्माण तीन हजार वर्ग फीट में होना था। निगम ने पुलिस लाइन में भूतनाथ मंदिर मार्ग में दो यूनिट पिट का निर्माण कराया। वहीं वाटर वक्र्स परिसर में जलापूर्ति योजना के लिए जैविक खाद पिट को तोड़ दी गई। भूतनाथ के पिट से मुट्ठी भर जैविक खाद तैयार नहीं हुआ।
इस संसाधनों की निगम की खरीदारीय
शहर से कूड़ा उठाव में वाहनों की कमी है। इसे पूरा करने के लिए स्वास्थ्य शाखा की ओर से वाहन खरीदारी की प्रक्रिया फाइलों का चक्कर लगा रही है। हाइवा, एक पाकलेन की खरीदारी अटकी हुई है। जबकि 55 आटो टीपर, 300 बड़ा व छोटा कूड़ादान,204 ट्राइसाइकिल की खरीदारी में निगम अब तक सफल हुई है। आठ ट्रेक्टर की खरीदारी होनी है। इन संसाधनों के बाद भी प्रोसेङ्क्षसग प्लांट का अभाव कचरा निस्तारण की व्यवस्था की कमर तोड़ दी है।
मोहल्ले में कूड़ेदान कमी के कारण पसरी रहता कूड़ा
वार्ड में कूड़ेदान का अभाव है। इसके कारण लोग सड़क किनारे लोग कूड़ा फेंक रहे हैं। जबकि पूरे शहर में दो हजार कूड़ेदान की आवश्यकता है। वार्डों में ठेले का अभाव है, जिससे अधिकांश कचरे को मोहल्ले के खाली स्थानों पर डंप किया जा रहा है।
प्रोसेसिंग प्लांट के लिए चाहिए 20 एकड़ जमीन
कनकैथी डंपिंग ग्राउंड में प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने के लिए करीब 20 एकड़ जमीन की जरूरत है। लेकिन, सरकार ने निगम को पहले चरण में 4.68 एकड़ और दूसरे फेज में पांच एकड़ जमीन उपलब्ध कराया। लेकिन दूसरे फेज में उपलब्ध कराई गई जमीन में अतिक्रमण है। यहां जगदीशपुर अंचल ने डेढ़ माह पूर्व मापी कराई। लेकिन, अतिक्रमण मुक्त नहीं हुआ। बहरहाल स्मार्ट सिटी योजना से कूड़ा निस्तारण के लिए 80 करोड़ रूपये खर्च करना है। जमीन के अभाव में योजना फाइलों में हैं। वहीं निगम ने भी 20 एकड़ जमीन लीज पर लेने के लिए निविदा निकाली थी। वो भी असफल प्रयास रहा।
'सफाई संसाधन की जरूरत के अनुरूप खरीदारी की जा रही है। डंपिंग ग्राउंड तक कूड़ा पहुंचाने की समस्या दूर होगी। कूडेदान मुक्त सड़क को लेकर कार्ययोजना बन रही है।' -प्रफुल्ल चंद्र यादव