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यहां हर घूंट में है मौत... जगदीशपुर के कोलाखुर्द गांव के पानी में प्रतिलीटर सात मिलीग्राम है फ्लोराइड की मात्रा

भागलपुर के कोलाखुर्द गांव के पानी में प्रति लीटर आठ मिलीग्राम फ्लोराइड की मात्रा पाई गई है जबकि जगदीशपुर से सटे गोराडीह के कई इलाकों में दो से ढाई मिलीग्राम प्रति लीटर फ्लोराइड की मात्रा है। इससे लोग बीमार हो रहे हैं।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sat, 10 Apr 2021 11:48 AM (IST)Updated: Sat, 10 Apr 2021 11:48 AM (IST)
यहां हर घूंट में है मौत... जगदीशपुर के कोलाखुर्द गांव के पानी में प्रतिलीटर सात मिलीग्राम है फ्लोराइड की मात्रा
भागलपुर के कोलाखुर्द गांव के पानी में प्रति लीटर आठ मिलीग्राम फ्लोराइड की मात्रा पाई गई है।

भागलपुर [आलोक कुमार मिश्रा]। जिले के कई इलाकों में पानी में फ्लोराइड और आर्सेनिक की मात्रा मानक से अत्यधिक है। ऐसे पानी का सेवन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। इससे दिव्यांगता और कैंसर होने की संभावना रहती है। ऐसा पानी दांतों को भी नुकसान पहुंचाता है। दांतों में काला व पीला दाग नजर आता है। इसलिए शुद्ध पेयजलापूर्ति के लिए आर्सेनिक, फ्लोराइड व आयरन प्रभावित क्षेत्रों के बोङ्क्षरग में ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं। जिले के 900 बोङ्क्षरग में ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं।

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क्षेत्रीय जल जांच प्रयोगशाला के अधिकारियों के अनुसार पानी में प्रति लीटर अधिकतम 1.0 मिलीग्राम फ्लोराइड की मात्रा होनी चाहिए, लेकिन जगदीशपुर प्रखंड के कोलाखुर्द में पर लीटर आठ मिलीग्राम फ्लोराइड की मात्रा पाई गई है, जबकि जगदीशपुर से सटे गोराडीह के कई इलाकों में दो से ढाई मिलीग्राम प्रति लीटर फ्लोराइड की मात्रा है। वहीं, आर्सेनिक की अधिकतम मात्रा प्रति लीटर 0.01 है। पीरपैंती, कहलगांव, सबौर, इस्माइलपुर, नारायणपुर, रंगरा, खरीक, नाथनगर और सुल्तानगंज प्रखंड के पानी में प्रति लीटर 10 से 50 मिलीग्राम तक आर्सेनिक की मात्रा है, जबकि आयरन की अधिकतम प्रति लीटर 1.0 मिलीग्राम होना चाहिए, लेकिन नवगछिया सब डिवीजन के पानी में दो से तीन मिलीग्राम मात्रा पाई गई है। हालांकि पूर्णिया, खगडिय़ा आदि कोसी इलाकों में छह से आठ मिलीग्राम है।

क्षेत्रीय जल जांच प्रयोगशाला के प्रभारी प्रवीण कुमार सिंह ने कहा कि पानी की जांच के टीमें बनाई गई हैं। प्रत्येक पंचायत के लिए दो-दो चलंत टीमें बनाई गई हैं। टीम हर घर नल का जल योजना के तहत पानी की जांच की जाती है। जिले के 900 बोरिंग में ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं। एक माह में 300 पानी सैंपल की जांच का लक्ष्य निर्धारित है, लेकिन प्रतिमाह सभी 900 बोरिंग के पानी सैंपल की जांच कर संबंधित पदाधिकारी को रिपोर्ट करनी पड़ती है। ठीकेदार को पांच साल बोरिंग के रखरखाव की जिम्मेदारी है। ठीकेदार भी हर माह पानी का सैंपल लेकर आते हैं। मार्च में पानी के सभी सैंपल की जांच कर रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि बुधवार को पटना की टीम ने भी सबौर, कहलगांव, पीरपैंती, नाथनगर, नारायणपुर सहित कई इलाकों में पानी की जांच की।  


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