सीमांचल : नदियों का घटने लगा जलस्तर, दिखने लगा तबाही का मंजर, धान व चाय की फसल तबाह
किशनगंज में जलजमाव की वजह से धान एवं चाय का खेत लगातार कई दिनों तक पानी में डूबा रह गया। जिस कारण फसल की व्यापक क्षति हुई है। आदिवासी टोला चोपरामारी शेरशाहवादी टोला के दर्जनों किसानों का डोक नदी के किनारे पर लगा धान का फसल बर्बाद हो गया है।
किशनगंज, जेएनएन। लगातार बारिश से पोठिया प्रखंड क्षेत्र में बहने वाली डोक एवं महानंदा नदी के उफान से निचला इलाका जलमग्न हो गया था। जलस्तर बढऩे से नदी का पानी धान एवं चायपत्ती के खेत में फैल गया था। जलजमाव की वजह से धान एवं चाय का खेत लगातार कई दिनों तक पानी में डूबा रह गया। जिस कारण फसल की व्यापक क्षति हुई है। बारिश थमने के बाद धीरे-धीरे नदी का जलस्तर घटने लगा है तो किसानों को अब बर्बादी का मंजर दिखाई देने लगा है। फसल की बर्बादी देख किसान चिंतित है।
मिर्जापुर पंचायत के आदिवासी टोला, चोपरामारी, शेरशाहवादी टोला और मदनगंज के दर्जनों किसानों का डोक नदी के किनारे पर लगा धान का फसल बर्बाद हो गया है। आदिवासी टोला चोपरामारी के किसान गोपाल सोरेन, मुरली सोरेन, गणेश सोरेन, निखिल मरांडी, गोङ्क्षवद सोरेन, रवि मुर्मु, जगदीश सोरेन को व्यापक नुकसान पहुंचा है। इसी प्रकार शेरशाहवादी टोला मदनगंज के किसान मुंतजुर्रहमान, रफीक आलम, जलालुद्दीन सहित अन्य किसानों का दर्जनों एकड़ में लगा धान का फसल
दह गया। नदी का पानी घुसने व बालू चढऩे से बड़े पैमाने पर किसानों को नुकसान पहुंचा है। जबकि आदिवासी टोला चोपरामारी और मदनगंज के किसानों का धान लगा खेत नदी के अनवरत कटाव की जद में है। कुसियारी पंचायत के निमलागांव निवासी किसान सफीर आलम उर्फ ग्वाल का लगभग दो एकड़ चायपत्ती लगा खेत डोक नदी के कटाव की भेंट चढ़ गया।
मिर्जापुर पंचायत के मुखिया अनिल सोरेन, पूर्व मुखिया रोविन शर्मा, वार्ड सदस्य सत्येन्द्र कुमार ङ्क्षसह ने बताया कि नदी का पानी फैलने से मिर्जापुर पंचायत के दर्जनों किसानों के खेत में बालू की मोटी चादर बिछ गई है। पीडि़त सभी छोटे किसान हैं। दो एकड़-चार एकड़ खेती कर किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण के साथ बच्चों की पढ़ाई-लिखाई कराते हैं।
मुखिया अनिल सोरेन ने बताया कि फसल क्षति को लेकर बीडीओ तथा प्रखंड कृषि पदाधिकारी को अवगत कराया गया है। बावजूद फसल क्षति का आकलन नहीं किया गया है।