नववर्ष पर लोगों की उम्मीदें वाली दौड़ेगी रेलगाड़ी, मिथिलांचल-सीमांचल हो जाएगा एक
ट्रेन के माध्यम से एक सूत्र में बंध जाएगा दो भागों में विभक्त मिथिला। लोगों की नववर्ष पर नई उम्मीदें पूरी होगी। नये साल में निर्मली और फारबिसगंज तक रेल परिचालन शुरू होने की संभावना है। फिलहाल ट्रेन का परिचालन सहरसा से राघोपुर और आसनपुर कुपहा तक हो रहा है।
सुपौल [मिथिलेश कुमार] । नया साल सुपौल जिले में नई खुशियां लेकर आने वाला है। कई क्षेत्रों में चल रहे विकासात्मक कार्यो के पूरा हो जाने के बाद जहां एक ओर क्षेत्र का कायाकल्प होगा वहीं दूसरी ओर इलाके में समृद्धि भी दिखेगी। जिले में रेल लाइन के विस्तार का कार्य अनवरत जारी है। नये साल में रेलवे और नई दूरी नापेगी। रेलवे जहां मिथिलांचल को एक करेगी वहीं सीमांचल से भी सीधा जुड़ाव होगा। नये साल में निर्मली और फारबिसगंज तक रेल परिचालन शुरू होने की संभावना है। इससे मिथिलांचल और सीमांचल रेलवे के माध्यम से एक हो जाएगा।
सहरसा-फारबिसगंज रेलखंड पर सरायगढ़ और ललितग्राम रेलवे स्टेशन के बीच तेजी से चल रहे अमान-परिवर्तन कार्य एवं सरायगढ़-निर्मली नई रेल लाइन में कार्य की तेजी इस बात की ओर इशारा कर रही है कि नये साल में ट्रेन नई दूरी नाप सकती है। फिलहाल ट्रेन का परिचालन सहरसा से राघोपुर और आसनपुर कुपहा तक ही हो रहा है। उम्मीद है कि नये साल में ट्रेन नई दूरी नापते हुए आसनपुर कुपहा से निर्मली और राघोपुर से ललितग्राम तक जाने लगेगी। इससे यात्रियों को काफी सहूलियत हो जाएगी और निर्मली और झंझारपुर के बीच चल रहे अमान-परिवर्तन के कार्य के बाद दो भागों में विभक्त मिथिला ट्रेन के माध्यम से एक सूत्र में बंध जाएगा।
निर्मली तक हो रहा ट्रेन पहुंचने का इंतजार
1934 से पूर्व सरायगढ़ और निर्मली के बीच ट्रेन का परिचालन हो रहा था। मीटर गेज पर सरायगढ़ और निर्मली के बीच ट्रेनों की आवाजाही थी। इस साल के भूकंप ने इस रेलखंड का ध्वस्त कर दिया और रेल का परिचालन पूर्ण रूप से बाधित हो गया। भूकंप के कारण रेल पुल भी ध्वस्त हो गया था। 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कोसी नदी पर रेल महासेतु की नींव रखी और लोगों में आस जगी कि दो भागों विभक्त मिथिला का एक बार फिर से एकीकरण होगा। अमान-परिवर्तन के कार्य के बाद सहरसा से कोसी नदी पर बने रेल महासेतु के रास्ते ट्रेन आसनपुर कुपहा तक पहुंच गई। अब ट्रेन के निर्मली पहुंचने का इंतजार हो रहा है। इधर रेलवे के काम में तेजी आई है। निर्मली तक रेल पटरी और रेल लाइन बिछा दी गई है। विभाग का भी प्रयास है कि नये साल के शुरुआती महीनों में इस रेलखंड पर रेल का परिचालन सुनिश्चित कर दिया जाए।
आमान-परिवर्तन के साथ-साथ विद्युतीकरण का भी चल रहा कार्य
2008 के कुसहा-त्रासदी में सहरसा-फारबिसगंज रेलखंड पर के राघोपुर और ललितग्राम के बीच कई जगह बाढ़ का कहर बरपा था और रेल पथ छिन्न-भिन्न हो गया था। कुछ दिन तो मरम्मत कर इस रेलखंड पर सहरसा से प्रतापगंज तक ट्रेन का परिचालन करवाया गया। ङ्क्षकतु आमान परिवर्तन को लेकर 2012 में प्रतापगंज से राघोपुर तथा उसके बाद राघोपुर से थरबिटिया एवं अंतिम चरण में थरबिटिया से सहरसा तक मेगा ब्लॉक ले लिया गया और इस रेलखंड पर गाडिय़ों का आवागमन पूरी तरह ठप पड़ गया। 2020 में आमान-परिवर्तन का कार्य पूरा होने के बाद ट्रेन सहरसा से चल कर राघोपुर एवं आसनपुर कुपहा तक तो पहुंच गई अब इससे आगे के परिचालन को लेकर चल रहे आमान-परिवर्तन के काम में तेजी आई है।
आमान-परिवर्तन कार्य के साथ-साथ रेल परिपथ पर विद्युतीकरण का भी कार्य जोर पकड़े हुए है। जल्द ही इस रेलखंड पर इलेक्ट्रिक ट्रेन दौडऩे की भी संभावना है। रेलवे का प्रयास है कि 2021 के मार्च से पहले ललितग्राम रेलवे सटेशन तक ट्रेन का परिचालन सुनिश्चित कराया जाए। आमान-परिवर्तन के क्रम में ललितग्राम स्टेशन तक पटरी और रेल लाइन बिछाने का काम पूरा कर लिया गया है। अब ब्लास्टिंग का कार्य चल रहा है और जल्द ही स्पीड ट्रायल और सीआरएस निरीक्षण के बाद ललितग्राम रेलवे स्टेशन तक ट्रेन के परिचालन को हरी झंडी दे दी जाएगी।