कोसी की नहरों में जमा गाद खेतों तक नहीं पहुंचने दे रहा पानी, सात की जगह महज एक लाख हेक्टेयर खेतों की हो रही सिंचाई
कोसी के नहरों में गाद जमा रहने के कारण सिंचाई की समस्या उत्पन्न हो रही है। पहले 7.12 लाख हेक्टेयर में इन नहरों से ङ्क्षसचाई की योजना थी लेकिन अभी एक लाख हेक्टेयर में सिंचाई हो रही है।
संवाद सूत्र, बलुआ बाजार (सुपौल)। कोसी नदी पर बराज बनने के बाद कोसी पूर्वी एवं पश्चिमी नहर प्रणालियां विकसित की गई। इसका उद्देश्य किसानों के खेतों तक ङ्क्षसचाई के लिए पानी पहुंचाना था। 1968 में पहली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री कृष्ण बल्लभ सहाय ने कोसी पूर्वी नहर में पानी छोड़कर उत्तर बिहार के लगभग आधा दर्जन जिलों में किसानों को खेतों की ङ्क्षसचाई करने की सौगात दी थी। तब यह आकलन किया गया था कि कोसी पूर्वी नहर के निर्माण से इन जिलों के लगभग 7 लाख 12 हजार हेक्टेयर जमीन की ङ्क्षसचाई हो पाएगी।
समय बीतता गया और नहर के रखरखाव एवं जल प्रबंधन की स्थितियां दिनों दिन बदतर होती चली गई। वर्तमान हालत यह है कि कोसी पूर्वी नहर में अत्यधिक गाद जमा होने से नहरों में पर्याप्त मात्रा में पानी छोडऩा असंभव हो गया है। निर्माण के दिनों में जहां नहर की क्षमता 18 हजार क्यूसेक थी वह वर्तमान में घटकर 7 से 8 ह•ाार क्यूसेक में सीमित हो गई है। इस समस्या के कारण कोसी पूर्वी नहर से निकलने वाली जितनी भी उपशाखा नहर है उसमें पानी की किल्लत बनी रहती है और इससे किसानों के खेतों तक ङ्क्षसचाई हेतु पर्याप्त मात्रा में जल नहीं पहुंच पाता है। स्थिति यह है कि इस नहर से लगभग एक लाख हेक्टेयर खेतों तक ही पानी पहुंच पाता है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2012 में जब वीरपुर आए तो कोसी पूर्वी नहर के पुनस्र्थापन, मरम्मत एवं जीर्णोद्धार के लिए 750 करोड़ रुपये की योजना को स्वीकृति दी। इसमें कोसी पूर्वी नहर प्रणाली के अंतर्गत आने वाली सभी नहरों की पुनस्र्थापन एवं जीर्णोद्धार शामिल था। नहर के काम के लिए ग्लोबल टेंडर किया गया। काम जेकेएम कंस्ट्रक्शन को मिला। कार्य 31 मार्च 2012 तक पूर्ण हो गया। पूर्वी नहर प्रणाली के तहत सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, अररिया, पूर्णिया, किशनगंज और कटिहार जिले में नहरों का जाल बिछा हुआ है लेकिन खर्च के बावजूद लक्ष्य नहीं पाया जा सका है।
नहरों के पुनर्निर्माण एवं मरम्मत के लिए जल संसाधन विभाग को सूचना दी गई है। नई योजना राशि आने के बाद ही इस पर कार्य हो सकता है।
मनोज कुमार दास, जेई, जल संसाधन विभाग, वीरपुर