पूर्णिया में कोरोना से मृतक के आश्रितों को 4.44 करोड़ रुपये का मिला मुआवजा, 136 लोगों की हुई थी मौत
पूर्णिया में कोरोना से मृतकों के आश्रितों को मुआवजा दिया गया। प्रथम चरण में यहां पर कोरोना से 42 लोगों की जबकि द्वितीय लहर में 180 लोगों की मौत हो गई थी। इन लोगों के आश्रितों को मुआवजा दिया गया।
जागरण संवाददाता,पूर्णिया। जिले में कोरोना के प्रथम लहर में 180 और द्वितीय लहर में 42 लोगों की मौत हुई थी। आपदा विभाग के जारी आंकड़े के मुताबिक अबतक 4.44 करोड़ रुपया मुआवजे के रूप में जिले में कोरोना मृतक के आश्रितों को वितरित की गई है।
सभी मुआवजा खाते में सीधे हस्तांतरित की गई है। इसमें द्वितीय लहर में मरने वाले 111 लोग शामिल है जिनके स्वजनों को राशि प्रदान की गई है। जिले में अबतक प्रथम लहर में 42 मौतों में 25 आश्रित और द्वितीय लहर में 180 मौत में 111 आश्रित के खाते में रकम पहुंच चुकी है। सीएस डा. एसके वर्मा ने बताया कि आवेदन और कागजात के जांच के बाद आपदा विभाग को भेजा जाता है। सरकार के गाइड लाइन के मुताबिक मौत के कागजात मुआवजे के लिए मृतक के आश्रित से लिए जाते हैं। कागजात की जांच के बाद तुरंत आपदा विभाग को भेज दिया जाता है।
मुआवजा पाने के लिए देना होता है आवेदन -
मृतक के आश्रित के कई दावेदार सामने आने से कई आवेदन के निष्पादन में देरी है। ऐसे कई मामले हैं जिसमें मृतक की दो पत्नी ने मुआवजे के लिए आवेदन किया है। कई मामले पत्नी की जगह भाई ने ही आवेदन किया है। बाद में मृतक के पत्नी का दावा के साथ कागजात जमा किया गया है। ऐसे मामले संबंधित क्षेत्र के अंचलाधिकारी को मामले की जांच के लिए भेजा जाता है।
संबंधित क्षेत्र के सीओ की पुष्टि के बाद वैसे आवेदन को अग्रसारित किया जाएगा। कई बार मौत घर पर, रास्ते में या छोटे अस्पताल में हुई है उनको मृत्यु प्रमाण पत्र पाने में परेशानी होती है। ऐसे कई लोग हैं जो इस कारण से आवेदन ही कर पा रहे हैं। मृतक के स्वजन को प्रमाण पत्र हासिल करने में पसीने छूट रहे हैं। आवेदन कहां जमा करना है और कैसे इसकी सही जानकारी तक लोगों के पास नहीं है। जिले में बड़ी संख्या में मृतक के परिजन को अब भी अपने मुआवजे का इंतजार कर रहे है।
कोरोना मृतक के आश्रित को मुआवजे के मामले को त्वरित गति से निष्पादित किया जा रहा है। आवेदन जांच के बाद आपदा विभाग को अग्रसारित किया जाता है, विभाग से ही मुआवजे की राशि सीधे मृतक के आश्रित के खाते में हस्तांतरित की जाती है। -डा. एसके वर्मा, सिविल सर्जन