बनती रही योजना पर धरातल पर नहीं हुआ काम
स्मार्ट सिटी की घोषणा के बाद अब तक बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की सात बैठकें हो चुकी हैं। सरकार ने 382 करोड़ रुपये आवंटित भी कर दिए हैं।
भागलपुर। शहर में स्मार्ट सिटी की योजना से विकास कार्यो के लिए हर दिन नई तारीख का एलान होता है, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हो पाता है। स्मार्ट सिटी की घोषणा के बाद अब तक बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की सात बैठकें हो चुकी हैं। सरकार ने 382 करोड़ रुपये आवंटित भी कर दिए हैं। इसके बावजूद स्मार्ट सिटी बोर्ड कार्य योजना तैयार नहीं करवा पा रहा है। स्मार्ट सिटी मिशन के अधीन ली जाने वाली योजनाओं पर कार्य करने के लिए मंत्री से लेकर मिशन डायरेक्टर बार-बार अल्टीमेटम देते हैं। इसके बाद भी कोई असर नहीं पड़ रहा है।
भागलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अधिकारी और पीडीएमसी बीते 15 माह से सिर्फ कागजों और फाइलों के बीच उलझ कर रह गए हैं। पीडीएमसी को जो टास्क मिलता उसका प्रोजेक्ट भी तैयार किया जाता है समीक्षा में उसे बेहतर प्लान तैयार कर लौटा दिया जाता है। बहरहाल, अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी के कारण ठोस निर्णय नहीं हो पाता है।
स्मार्ट सिटी के कार्यो में तेजी लाने के लिए नगर आयुक्त श्याम बिहारी मीणा ने पटना में समीक्षा बैठक के क्रम में आश्वस्त किया है कि मार्च के अंत तक चार योजनाओं की आरएफपी तैयार करा ली जाएगी। पीडीएमसी के टीम लीडर को मंत्री ने शीघ्र प्रोजेक्ट तैयार कर आरएफपी निकालने का निर्देश दिया है। मंत्री की फटकार के बाद भागलपुर में कंट्रोल एंड कमांड कक्ष के लिए निविदा तो निकाली गई, लेकिन वह भी असमंजस की स्थिति में है। 24 को कंट्रोल एंड कमांड कक्ष के लिए प्री बीड होनी थी। पर इसकी तिथि को भी आगे बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा ऑडिटोरियम, रिवर फ्रंट डवलपमेंट, स्मार्ट फूड पार्क, स्मार्ट वेंडिंग जोन, सोलर प्लांट, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट एवं सैंडिस कंपाउंड और टाउन हॉल का आरएफपी नहीं निकाली जा सकी है।
प्रत्येक सप्ताह एक आरएफपी का किया था दावा
नगर आयुक्त ने स्मार्ट सिटी के कार्यो में तेजी लाने के बड़े-बड़े दावे किए थे। यहां तक कि एक सप्ताह में एक योजना का हर हाल में आरएफपी तैयार कराने की बात कही थी। पीडीएमसी ने कंट्रोल एंड कमांड कक्ष, लाजपत पार्क, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट व स्मार्ट सड़क की आरएफपी तैयार कर ली है। स्मार्ट वेंडिंग जोन, हेरिटेज वाक और सोलर प्लांट की आरएफपी अंतिम चरण में है। इसके बावजूद निविदा की प्रकिया शुरू नहीं हो रही है।
एडवाइजरी कमेटी भी चढ़ी उदासीनता की भेंट
स्मार्ट सिटी के कार्यो के लिए एडवाइजरी कमेटी का गठन किया गया। नगर निगम में पहली बैठक 14 मार्च को बुलाई गई थी। जिसमें विधायक, सांसद, मेयर और सीईओ को छोड़ सभी पहुंचे थे। बैठक अधिकारी और जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों की अनुपस्थिति की भेंट चढ़ गई। जबकि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत कमेटी का गठन कर सुझाव लेना अनिवार्य है। इस कमेटी में सांसद, विधायक, डीएम, मेयर, नगर आयुक्त, आरडब्ल्यूए, एनजीओ और सोसायटी को शामिल किया गया है।
निविदा के लिए बेल्ट्रान से निबंधन तक नहीं
स्मार्ट सिटी लिमिटेड को किसी भी योजना की निविदा के लिए बिहार सरकार की साइट बेल्ट्रोन से निबंधन कराना है। इसके कारण ई-निविदा की प्रकिया में समस्या उत्पन्न हो रही है। फिलहाल नगर निगम के निबंधन के बूते काम चलाया जा रहा है। हालांकि बेल्ट्रोन से निबंधन कराने के लिए 25 हजार का शुल्क मार्च में जमा किया गया है।
मानव बल की कमी से भी पड़ असर
स्मार्ट सिटी के कार्यो में सबसे अधिक बाधा मानव बल की है। कार्य के निष्पादन के लिए बोर्ड के पास मानव बल का घोर अभाव है। स्मार्ट सिटी मिशन के गाइडलाइन के अनुसार स्पेशन पर्पस व्हीकल (एसपीवी) का गठन नहीं की जा सका है। एसपीवी के लिए कुल 20 पदों के लिए करीब 38 कर्मियों को बहाल करना था। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर द्वारा निगम के कर्मियों को अतिरिक्त प्रभार देकर कार्य करवाया जा रहा है। निगम के कर्मियों को अतिरिक्त कार्य बोझ देने की वजह से नगर निगम के कार्यो पर प्रभाव पड़ रहा है। 22 दिसंबर 2017 को सर्वसम्मति से बोर्ड ने अनुमोदन दिया है। बोर्ड आफ डायरेक्टर भी एसपीवी के लिए आवश्यक मैन पावर नहीं रहने से कार्यो के कार्यान्वयन में कठिनाई की बात स्वीकार चुका है।