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घटेगी कालीपूजा विसर्जन की अवधि, मेढ़पतियों के साथ बैठक कर एसडीओ निकालेंगे रास्ता

भागलपुर में और सहज होगी काली माता की विसर्जन शोभायात्र। जानें प्रशासन किस तरह की पहल कर रहा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 31 Oct 2018 10:08 AM (IST)Updated: Wed, 31 Oct 2018 10:08 AM (IST)
घटेगी कालीपूजा विसर्जन की अवधि, मेढ़पतियों के साथ बैठक कर एसडीओ निकालेंगे रास्ता
घटेगी कालीपूजा विसर्जन की अवधि, मेढ़पतियों के साथ बैठक कर एसडीओ निकालेंगे रास्ता

भागलपुर। विभिन्न पूजा आयोजनों के बाद विसर्जन के नाम पर शहर में करीब 24 घंटे तक विधि व्यवस्था की स्थिति पर नजर रखनी पड़ती है। शहरवासियों को सबसे अधिक इस दौरान बिजली की समस्या का सामना करना पड़ता है। अब पहले की तरह प्रतिमाएं स्टेशन चौक से एक साथ आगे नहीं बढ़ती है। जब जिस पूजा समिति का मन किया वह अपने वाहन को रोक देता है और बढ़ाता है।

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यह माना गया है कि समय पर प्रतिमाओं का विसर्जन कराने में पूजा की 'महासमिति' या 'केंद्रीय समिति' भी असहाय हो जाती है। महासमिति और केंद्रीय समिति की पहले से की गई तैयारी एक झटके में खत्म हो जाती है। इन परिस्थितियों से बचाव को लेकर सदर अनुमंडल पदाधिकारी आशीष नारायण ने पहल की है। इसमें एसडीओ को सिटी और विधि व्यवस्था डीएसपी की भी सहमति प्राप्त है। सदर एसडीओ ने विसर्जन शोभा यात्रा की अवधि को कम करने की मंशा से तीन नवंबर को काली पूजा से जुड़े सभी मेढ़पतियों और क्लब के अध्यक्ष और सचिव की बैठक टाउन हॉल में बुलाई है। इस बैठक में सभी मेढ़पतियों को यह अहसास कराया जाएगा कि क्या एक विसर्जन के नाम पर शहर की बिजली 24 घंटे तक काटना उचित है? सभी मेढ़पतियों को विश्वास में लिया जाएगा कि अपनी प्रतिमा को निर्धारित समय पर आगे बढ़ाते हुए घाट तक ले जाएंगे। पिछले दिनों दुर्गा पूजा की विसर्जन यात्रा में शहर के विभिन्न हिस्सों की बिजली 17 घंटे तक काटी गई थी। अधिक समय तक लाइन कटने से शहर अंधेरे में डूबा हुआ था। मालूम हो कि विषहरी पूजा, दुर्गा पूजा और काली पूजा में कतारबद्ध तरीके से विसर्जन कराने की परंपरा रही है। इसके तहत स्टेशन चौक तक सभी प्रतिमाएं एकत्रित होती हैं। इसके बाद सूजागंज, खलीफाबाग चौक, महादेव टाकीज रोड, कोतवाली होते हुए नयाबाजार, मानिक सरकार चौक, आदमपुर, बड़ी खंजरपुर होते हुए मुसहरी घाट तक जाती है। इस बैठक में अलग-अलग मेढ़पतियों पर फोकस किया जाएगा। महासमिति या केंद्रीय समिति पर इसकी जिम्मेदारी नहीं भी दी जा सकती है। कई बार ऐसा होता है जब मुख्य समिति मेढ़पतियों के आगे असहाय हो जाती है।


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