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Black Fever: कभी छाया रहता था बिहार के पूर्णिया में कालाजार का प्रकोप, अब बदल गई तस्वीर

Black Fever पूर्णिया में कालाजार से कई लोगों की मौत हो जाती थी। यहां मच्छर जनित रोग मलेरिया और कालाजार दोनों का प्रकोप तेजी के साथ फैलता था। हालांकि अब तस्वीर बदली हुई नजर आ रही है। पढ़ें पूरी खबर...

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Sat, 10 Jul 2021 06:00 PM (IST)Updated: Sat, 10 Jul 2021 06:00 PM (IST)
Black Fever: कभी छाया रहता था बिहार के पूर्णिया में कालाजार का प्रकोप, अब बदल गई तस्वीर
Black Fever: पूर्णिया में गिरा कालाजार संक्रमितों के मिलने का आंकड़ा।

जागरण संवादाता,पूर्णिया। Black Fever: जिला एक समय कालाजार जोन के रूप में चिन्हत था। यहां कालाजार और मलेरिया दोनों रोग के कारण लोगों की काफी मौत हो जाती थी। अब स्थिति उलट गई है। पिछले कई वर्षों से दोनों बीमारियों से मौत के मामले जिले में नहीं मिले हैं। मलेरिया के इस वर्ष सिर्फ चार मामले मिले।

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2020 में 24 मामले, 2019 में 82 और 2017 में 66 मामले मिले थे। उसी तरह कालाजार के मामले में भी लगातार साल दर साल गिरावट आ रही है। इस वर्ष सिर्फ 16 मामलों की पहचान की गई है साथ ही एक भी हॉट स्पॉट नहीं मिला है। इसमें पीकेडीएल के 13 और एचआईवी वीएल के तीन मामले मिले कालाजार के प्रति जिले में चिह्नित इलाके में आवासीय छिड़काव और जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है।

वाहक जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी ने बताया कि जिले में लगातार मामले में गिरावट आ रही है। चिह्नित गांवों में आवासीय छिड़काव किया जाता है। इससे वाहक मक्खी पनपने से रोका जा सकता है। मिट्टी वाले घर और नमी युक्त वातावरण वाहक मच्छर के पनपने के लिए जिम्मेदार है।

जिले में वर्ष 2020 में 64, 2019 में 103, 2018 में 165 और 2017 में 212 मामले कालाजार के मिले थे। स्पष्ट है कि कालाजार नियंत्रण की दिशा में जिला आगे बढ़ रहा है। फिलहाल जिले में एक भी सक्रिय स्थल नहीं है। डा आरपी मंडल ने बताया कि अब रोगी की जांच रिपोर्ट मौके पर ही दी जाती है। किट से दस मिनट के अंदर परिणाम मिल जाते है।

मरीज का एक बार कालाजार बुखार डायग्नोस हो गया तो सिंगल डोज में ही बीमारी से आराम मिल जाता है। जिले में इसके लिए नियमित सर्विलांस अभियान चलाया जा रहा है। चिन्हित गांवों में डोर -डोर संदिग्ध की जांच की जाती है। लोगों को सफाई के प्रति भी जागरूक किया जा रहा है। कालाजार रोगी की पहचान कोरोना जांच अभियान के साथ ही चल रहा है। इस दौरान लंबे समय से बुखार से पीडि़त मरीज की कालाजार टेस्ट भी किया जाता है। मामले कम होने के बावजूद विभाग सावधानी बरत रहा है। इलाके जहां तीन या चार मामले मिल जाते हैं तो पूरे गांव में संदिग्धों की जांच होती है। आसपास के गांव में भी इसी तरह का अभियान चलाया जा रहा है जिसका अपेक्षित परिणाम मिला है। 


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