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बिहार के सरकारी विद्यालयों का बदलेगा स्वरूप, नर्सरी से 12वीं तक की होगी पढ़ाई, आंगनबाड़ी केंद्र को स्‍कूलों से किया टैग

बिहार के सरकारी विद्यालयों का स्‍वरूप बदल जा रहा है। नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद भागलपुर जिले में इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है। जिले के 2970 आंगनबाड़ी केंद्रों को विद्यालय से टैग करने का काम पूरा।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 09:12 PM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 09:12 PM (IST)
बिहार के सरकारी विद्यालयों का बदलेगा स्वरूप, नर्सरी से 12वीं तक की होगी पढ़ाई, आंगनबाड़ी केंद्र को स्‍कूलों से किया टैग
115 उत्क्रमित उच्च विद्यालय, 769 मध्य विद्यालय और 901 प्राथमिक विद्यालयों के साथ टैग हुए आंगनबाड़ी केंद्र।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद अब विद्यालयों का स्वरूप बदला-बदला नजर आएगा। पहले सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से और आंगनबाड़ी केंद्रों में प्री स्कूल की पढ़ाई होती थी। अब सरकारी विद्यालयों में नर्सरी से 12वीं तक की पढ़ाई होगी। इसके लिए जिले के सभी 2970 आंगनबाड़ी केंद्रों को सरकारी स्कूलों के साथ टैग कर दिया गया है।

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हालांकि, टैग करने के दौरान यह ध्यान रखने को कहा गया था कि आंगनबाड़ी केंद्र से स्कूलों की दूरी अधिक नहीं हो। पास के विद्यालय में टैग किए जाने से छोटे बच्चों को स्कूल जाने में कोई परेशानी नहीं होगी। इधर, शिक्षा विभाग के निदेशक ने रिपोर्ट मांगी है कि किन-किन विद्यालयों में एक भी आंगनबाड़ी केंद्र को टैग नहीं किया गया है। इसका कारण क्या है। विहित प्रपत्र में रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।

जिला कार्यक्रम पदाधिकारी एसएसए देवेंद्र कुमार पंडित ने कहा कि सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को अविलंब रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। रिपोर्ट संकलित कर उसे मुख्यालय भेजा जाएगा। इसके बाद मुख्यालय के स्तर से ऐसे विद्यालयों के लिए विशेष रणनीति तैयार की जाएगी। ऐसे सभी सरकारी स्कूलों में नर्सरी से कक्षा का संचालन शुरू हो जाएगा।

विद्यालयों से बाहर रहने वाले बच्चों का डाटा वेस्ट एप पर होगा अपलोड

अब तक स्कूलों से बाहर रहने वाले बच्चों को पढ़ाई-लिखाई से जोडऩे के लिए शिक्षा विभाग ने पहल शुरू कर दी है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों के माध्यम से सर्वे करा कर ऐसे बच्चों को चिह्नित किया गया। अब विद्यालयों में आम सभा आयोजित कर सर्वे के दौरान आए आंकड़ों की संपुष्टि कराई जाएगी। एक दिसंबर से सात दिसंबर तक ऐसे छात्रों का नामांकन विद्यालयों में कराया जाएगा। इसके बाद सात से 15 दिसंबर तक ऐसे बच्चों के नामांकन से संबंधित आंकड़ों को वेस्ट एप पर अपलोड किया जाएगा।

डाटा अपलोड होने के बाद जिला से लेकर राज्य स्तर पर अधिकारी मात्र एक क्लिक पर यह देख सकेंगे कि किस जिला में कितने ऐसे बच्चों का नामांकन कराया गया, जो अब तक विद्यालय से बाहर रहे थे। दूसरी ओर शहरी क्षेत्र में डायट प्रशिक्षुओं के माध्यम से विद्यालय से बाहर रहने वाले बच्चों का सर्वे कराया गया। सर्वे के दौरान प्लेटफार्म, बस स्टैंड, मंदिर-मस्जिद, चाय की दुकान, गैरेज आदि में रहने वाले घूमंतु बच्चों का आंकड़ा संग्रहित किया गया। शिक्षा विभाग के अधिकारी ने बताया कि अब तक डायट की ओर से रिपोर्ट जमा नहीं किया गया है। रिपोर्ट मिलने के बाद ऐसे बच्चों को भी विद्यालय से जोड़ा जाएगा। वहीं, अगले वित्तीय वर्ष में ऐसे बच्चों के कौशल विकास को लेकर प्रस्ताव भेजा जाएगा।


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