2021 में सुपौल की कातिल सड़कों ने की 141 लोगों की हत्या, अपराधियों को भी छोड़ा पीछे
बिहार में शायद ही कोई ऐसा दिन जाता हो जब सड़क हादसे में किसी की मौत ना हुई हो। हर दिन एक खबर आती है कि फला की सड़क हादसे में मौत। बात करें सुपौल की तो यहां बीते साल 2021 में सड़क हादसों में 141 की सांसें छिन गईं।
ब्रह्मानंद सिंह, सुपौल : नशा, नींद और रफ्तार इन तीनों के सहयोग से आए दिन दुर्घटनाओं का खूनी पंजा लोगों को मौत की नींद सुला रहा है, बावजूद इसके लोग संभलने का नाम नहीं ले रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि सुपौल जिले में आपराधिक घटनाओं से दोगुनी से भी अधिक मौत दुर्घटनाओं में हो रही है। वर्ष 2021 में लगभग 36 हत्या की घटना घटी है। इसके उलट 141 मौत सड़क दुर्घटना में हुई है।
वर्ष 2020 में 59 तथा वर्ष 2019 में 55 हत्या की घटना इस जिले में घटी वहीं इन दोनों वर्ष में क्रमश: 121 व 131 मौत सड़क दुर्घटना में हुई है। दरअसल, विकास की बयार में सुपौल जिले की धरती पर सुंदर सड़कों का जाल बिछ गया। स्टेट हाइवे से लेकर फोरलेन जैसी सड़कें यहां की जमीन पर दिखने लगी, लेकिन जागरूकता की कमी आज भी बरकरार है और रफ्तार पर लगाम नहीं लग पा रही है।
बुझ जाते हैं एक साथ कई घर के दीपक
यहां की सड़कें इतनी खतरनाक हो गई है कि हादसे में एक साथ कई-कई घर के दीपक बुझ जा रहे हैं। वर्ष 2021 के 3 जून को बलुआ थाना क्षेत्र के तुलसीपट्टी सरदार टोला के पास ट्रैक्टर और बाइक की टक्कर में पिता-पुत्र की मौत हो गई। 16 अक्टूबर को पिपरा थाना क्षेत्र के पिपरा-राघोपुर पथ पर ट्रक व बाइक के बीच हुई टक्कर में तीन युवक घायल हो गए और बाद में तीनों की मौत हो गई। 30 अक्टूबर की देर शाम पूर्वी कोसी तटबंध के ढाढा गांव के समीप स्पर संख्या 13.45 के समीप दो ट्रक के आमने-सामने की टक्कर में दोनों ट्रक के चालक की मौके पर ही मौत हो गई।
11 नवंबर को निर्मली थाना क्षेत्र के मझारी चौक से उत्तर पेट्रोल पंप के समीप एनएच 57 पर दो बाइक के बीच टक्कर हुई, जिससे दोनों बाइक के छह सवार सड़क पर गिर गए। तत्पश्चात पीछे से आ रहा ट्रक उसे रौंदते निकल गया। इसमें तीन की मौत हो गई। 13 दिसंबर को प्रतापगंज थाना क्षेत्र के एनएच 57 पर मझौआ पुल के समीप ट्रक और आटो की हुई टक्कर में दो की मौत घटनास्थल पर हो गई है। ये घटनाएं बानगी भर है। इस तरह की घटनाओं की कहानियां भरी पड़ी है।
नहीं बन पाई सड़क संस्कृति
जिले की सड़कें चिकनी व चौड़ी हो गई हैं तो सड़क के साथ वाहनों की रफ्तार भी बढ़ चली है। इसी रफ्तार से सड़क दुर्घटना ने अपना रिकार्ड बना लिया है। कहा जा सकता है कि विकास के साथ जिस सड़क संस्कृति की जरूरत होती है वह यहां अभी तक नहीं बन पाई है। नतीजा आए दिन बीच सड़क पर लोग बेमौत मारे जा रहे हैं। नतीजा है कि ये चिकनी व चौड़ी सड़कें बेलगाम वाहनों की वजह से असुरक्षित हो गई हैं। इतना असुरक्षित कि सफर पर निकला व्यक्ति मुकाम तक सकुशल पहुंच पाएगा कि नहीं कहना मुश्किल है।
कार्रवाई भी नहीं आ रही काम
सड़कों पर ट्राफिक नियम का पालन हो ताकि दुर्घटनाओं में कमी आ सके के बाबत पुलिस प्रशासन की सख्ती भी काम नहीं आ रही है। 2021 में मोटर वाहन चेङ्क्षकग के दौरान पुलिस द्वारा लाखों रुपये बतौर जुर्माना वसूले गए, बावजूद वाहन वालों के रवैये में बदलाव नहीं आया। और तो और सड़क सुरक्षा सप्ताह के मौके पर जागरूकता भी सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ते आंकड़े को कम करने में सफल होते नहीं दिखाई पड़ रहे हैं। यहां तो ट्राफिक नियम का उल्लंघन करना एक तरह से शान की बात समझी जाती है।
2021 में घटी सड़क दुर्घटनाओं में हुई मौत व जख्मी
महीना - मृतकों की संख्या -जख्मी लोगों की संख्या
जनवरी-07-02
फरवरी-17-31
मार्च -11-19
अप्रैल -15 - 20
मई - 08 - 09
जून -16 - 14
जुलाई - 07 - 03
अगस्त- 16 - 12
सितंबर-13- 08
अक्टूबर-10 -07
नवंबर-13 - 17
दिसंबर-08 -13