तसर कोकून से निखरेगी भागलपुर के किसानों की बढ़ेगी आमदनी, 1200 रुपये के अंडे से 25 हजार कोकून होगा तैयार
भागलपुर के किसान अब कोकून तैयार कर अपनी आमदनी बढ़ाएंगे। तसर कीडा पालन पर कोकून तैयार करेंगे जिससे कीटपालक किसानों का आर्थिक उत्थान भी होगा। यानि अगस्त से नवंबर माह तक दो चरण में तसर कीड़ा पालन कर कोकून तैयार सकेंगे।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। रेशम धागा की कमी को पूरा करने को लेकर अब तसर कोकून तैयार को बढ़ावा देने की तैयारी है। इसके उत्पादन के माध्यम से किसानों की किस्मत निखरेगी। तसर कीडा पालन पर कोकून तैयार करेंगे, जिससे कीटपालक किसानों का आर्थिक उत्थान भी होगा। यानि अगस्त से नवंबर माह तक दो चरण में तसर कीड़ा पालन कर कोकून तैयार सकेंगे। चार माह मेहनत पर किसानों की झोली भरेगी। वहीं स्वरोजगार की दिशा में भी जुड़ जाएंगे।
किसानों को मिलेगा गुणवत्ता पूर्ण बीज
भागलपुर जीरोमाइल स्थित केंद्रीय सिल्क बोर्ड के बुनियादी बीज प्रगुणन एवं प्रशिक्षण केंद्र तकनीकी विधि से रोग मुक्त अंडा तैयार कर रहे हैं। केंद्र के वैज्ञानिक बी सी. सेल्वाराज ने बताया कि यहां से कीटपालक किसान को 10 से 20 जुलाई तक तसर कोकून तैयार करने के लिए अंडा उपलब्ध कराएगा। इसके बदले केंद्र 1200 रुपये में 100 पैकेट अंडा उपलब्ध कराएगा। जिससे 20 हजार से अधिक तसर कीट तैयार कर सकेंगे। इसके करीब 200 अर्जून के पौधे की आवश्यकता होगी।
दो चरण में होगा तसर कीट पालन
अगस्त से सितंबर के दूसरे सप्ताह तक पहले चरण का कीट पालन होगा। एक पैकेट अंडा से पहले चरण में 10 हजार कोकून तैयार होगा। वहीं सितंबर से नवंबर के बीच दूसरे चरण में 15 हजार कोकून तैयार किया जा सकेगा। यानि चार माह में करीब 25 हजार से अधिक कोकून तैयार होगा। पहले चरण में तैयार प्रति कोकून को केंद्र दो रुपये और दूसरे चरण के कोकून की कीमत तीन रुपये में क्रय कर लेती है। 60 से 65 हजार रुपये का कोकुन तैयार करेंगे। इसे केंद्रीय रेशम बोर्ड के कार्यालय में किसान बेंच सकेंगे। केंद्र आठ लाख कोकून की खरीदारी करेगा। इसके बाद किसान अपनी सुविधा के अनुसार खुले बाजारों में बेच सकेंगे।
यहां हो रहा रेशम कीट का पालन
बांका जिले के ईनारावरण, काटोरिया,, बौंसी, बारापगार, करमटोला, नगर उतारी, जमुआ, कौआकोल, श्यामबाजार, जमुई व मुंगेर आदि के किसान अभी कीट पालन कर रहे हैं।
कीट पालन की संभावना पर अर्जून के पौधे का अभाव
बिहार में तसर कीट पालन की काफी संभावना है। साथ ही सड़क किनारे और जंगलों में खाली पड़ी जमीन है। अगर यहां अर्जुन के पौधरोपण को लेकर अभियान चलाया जाए तो किसानों को पालन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अर्जून का पौधा लगाने के बाद कोकून का उत्पादन भी बढ़ेगा और धागे की कमी भी दूर होगी। बढ़े पैमाने पर रोजगार भी मिलेगा। देश में छत्तिसगढ़ में सर्वाधिक 49 फीसद, एमपी, महाराष्ट्र व झारखंड में 10-10 फीसद तसर कीट का उत्पादन होता है। जबकि बिहार में एक फीसद है।
कुछ पहल हुई तो बढ़ा उत्पादन
राज्य में कोकून उत्पादन का करीब चार हजार हेक्टयर में होता है। वर्ष 2014 से बौंसी, चानन, कटोरिया में करीब आठ लाख से अधिक पौधरोपण हुआ है। इससे करीब पांच करोड़ कोकून का उत्पादन प्रति वर्ष हो रहा है। 2013 के पहले तीन करोड़ कोकून तैयार होता था। पौधरोपण के साथ कोकून उत्पादन में इजाफा हुआ है। राज्य सरकार ने बौंसी और इनारावरा में किसानों की सुविधा के लिए करीब दो करोड़ कोकून भंडारण की क्षमता का हॉल बनाया गया है। इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा जोड़ा केा जोड़ा जाएगा। इससे जहां बांका और आसपास के जिलों में अर्जून के पौधे पर तसर कोकुन करने वाले कीड़े का अंडा उपलब्ध कराया जाएगा।