स्कूलों से गायब हो रहा खेल, कैसे पैदा होंगे खिलाड़ी
खेल की घंटी में बंद कमरे में कैद रहते हैं।
लखीसराय (मुकेश कुमार)। स्कूलों में पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के शारीरिक विकास के लिए खेल जरूरी है। कोई भी खिलाड़ी स्कूल स्तर से ही किसी खास खेल के प्रति आकर्षित व समर्पित होता है जो बाद में जिला व राज्य स्तर पर अपनी पहचान स्थापित करता है। लेकिन, लखीसराय जिले में खेल के प्रति उदासीनता एवं सरकारी स्कूलों में खेल मैदान का अभाव रहने के कारण प्रतिभा कुंठित हो रही है। विद्यालयों में नए व अतिरिक्त भवनों का तेजी से हो रहे निर्माण से बच्चे खेल की घंटी में बंद कमरे में कैद रहते हैं। या फिर मोबाइल गेम में उलझे रहते हैं। जिले के 775 प्राथमिक विद्यालय, 91 माध्यमिक विद्यालय में 80 फीसद स्कूलों में खेल शिक्षक नहीं हैं। करीब 30 से 35 माध्यमिक विद्यालय में शारीरिक शिक्षक हैं भी तो इनमें अधिकांश विद्यालय में खेल मैदान नहीं है। कुल मिलाकर जिले में राष्ट्रीय पर्व व अन्य किसी खास आयोजनों पर स्कूलों के बच्चों के बीच खेलकूद प्रतियोगिता की खानापूरी कर ली जाती है।
80 फीसद स्कूलों में नही हैं शारीरिक शिक्षक
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लखीसराय जिले में 42 माध्यमिक विद्यालय, 29 नव उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय, 14 स्थापना अनुमति प्राप्त माध्यमिक विद्यालय है। जिसमें 30 से 32 माध्यमिक विद्यालय में खेल शिक्षक हैं। इसके अलावा 775 प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय में तो खेलकूद के नाम पर सिर्फ औपचारिकता पूरी की जाती है। पहले खेल की घंटी के समय बच्चों की उपस्थिति काफी रहती थी लेकिन खेल मैदान नहीं रहने के कारण खेल की घंटी लगते ही अधिकांश विद्यालय में बच्चे घर भागने लगते हैं। खेल मैदान हुआ गायब तो खेल सामग्री का भी अभाव
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मुख्यालय स्थित दुर्गा उच्च विद्यालय, दुर्गा बालिका उच्च विद्यालय, मध्य विद्यालय नया बाजार, महिला विद्या मंदिर उच्च विद्यालय, पीबी हाई स्कूल, उच्च विद्यालय हसनपुर, मध्य विद्यालय इंग्लिश, मध्य विद्यालय किऊल बस्ती, मध्य विद्यालय हसनपुर सहित सिर्फ शहरी क्षेत्र में दर्जनों सरकारी विद्यालय हैं जहां खेल मैदान के अभाव में खेल गतिविधि ठप है। अधिकांश स्कूलों में खेल सामग्री नहीं है। कुछ विद्यालयों में खेल सामग्री खरीदी भी गई तो वह आलमीरा में बंद है। सरकार द्वारा तय वार्षिक खेल कैलेंडर की औपचारिकता होती है। सरकारी स्कूलों में नए भवनों के निर्माण के लिए जमीन नहीं मिलने के कारण हाल के वर्षों में जिले के अधिकांश विद्यालय में जहां बच्चे खेलते थे वहां भवन का निर्माण हो चुका है। फुटबॉल, कबड्डी, वॉलीबॉल, दौड़ आदि स्कूली खेल बंद है।
क्या कहते हैं पदाधिकारी
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पहले प्रधानाध्यापक लेकर शिक्षक तक खेल गतिविधियों में रुचि लेते थे। अपने स्तर से खिलाड़ियों को टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए लिए प्रेरित व तैयार करते थे। अब वैसी खेल भावना नहीं रही। कतिपय शारीरिक शिक्षक में भी खेल भावना की कमी है। राज्य मुख्यालय द्वारा वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता में प्रतिभागी की कमी रहती है। इसका कारण स्कूलों में नियमित रूप से खेल गतिविधि का संचालन नहीं होना है। जिला टीम तैयार करने में भी काफी मुश्किल हो जाता है। इसके लिए विद्यालय स्तर पर काफी सुधार की जरूरत है।
- परिमल, प्रभारी जिला खेल पदाधिकारी, लखीसराय