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मखाना से सुधरेगी किसानों की माली हालत, राघोपुर कृषि विज्ञान केंद्र दे रहा किसानों को प्रशिक्षण

सुपौल के मखाना उत्पादक किसानों की आय अब बढ़ जाएगी। इसके लिए भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय की ओर से किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे वे कम लागत में ज्यादा उत्पादन कर सकेंगे। इससे किसनों की आमदनी बढ़ेगी।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 04:35 PM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 04:35 PM (IST)
मखाना से सुधरेगी किसानों की माली हालत, राघोपुर कृषि विज्ञान केंद्र दे रहा किसानों को प्रशिक्षण
सुपौल के मखाना उत्पादक किसानों की आय अब बढ़ जाएगी।

जागरण संवाददाता, सुपौल। मखाना विकास योजना के अंतर्गत सुपौल जिले में बेहतर मखाना उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रखंड क्षेत्र स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में बुधवार को भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. पारसनाथ एवं उनके सहयोगी अनिल कुमार, पंकज कुमार की टीम के साथ एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन कर मखाना की खेती करने वाले कृषकों को प्रशिक्षित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ भोला पासवान शास्त्री महाविद्यालय पूर्णिया के प्राचार्य सह नोडल पदाधिकारी अनिल कुमार, पंकज कुमार, डीएचओ आकाश कुमार सहित केंद्र के वरीय वैज्ञानिक ई. प्रमोद कुमार चौधरी, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. ज्ञानचंद ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

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मौके पर मुख्य अतिथि प्राचार्य डॉ. पारसनाथ ने कहा कि अब किसानों को मखाना खेती करने पर दोगुनी आमदनी होगी। किसानों की माली हालत में काफी सुधार होगा। मखाना अकेले बिहार व कोसी-सीमांचल की मखाना मामले में हिस्सेदारी विश्व बाजार में 80 फीसद के करीब है। इस जिले में मखाना की खेती की बड़ी संभावना है। उन्होंने कृषकों से कहा कि केंद्र के वैज्ञानिक के सलाह पर पारंपरिक बीज का न उपयोग कर सबौर मखाना वन बीज का व्यवहार करें। इसकी उपज भी अन्य बीजों की तुलना में तिगुना होता है एवं इसका आकार भी बहुत बड़ा होता है। खासकर विदेशों में इस किस्म के मखाना का काफी डिमांड है। सरकार द्वारा इस खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रसंस्करण मशीन एवं गुरिया निकालने के लिए मशीन बनाने पर प्राथमिकता दी जा रही है जिससे लार्ज स्केल में मखाना खेती करने पर किसानों को आसानी से काम हो सके।

वैज्ञानिकों ने कहा कि किसानों को समुचित व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए 03 कलस्टर की स्थापना की गई है अगर यह सफल रहता है तो तो मखाना कॉरिडोर बनाया जाएगा। इससे विश्व बाजार का रुख इस इलाके की ओर होगा। रोजगार के साधनों में भी बढ़ोतरी होगी। डॉ. अनिल ने किसानों को मुख्य रूप से मखाना की उत्तम उत्पादन विधि प्रसंस्करण तथा मार्केङ्क्षटग पर विस्तारपूर्वक चर्चा कर प्रशिक्षण दिया। पंकज कुमार ने कहा कि यह बाढ़ प्रभावित इलाका होने के कारण यहां के बड़े भूभाग में जलजमाव रहता है ऐसे ही खेतों में किसान मखाना का उत्पादन करते हैं। उचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण किसानों को उत्पादन का सही मूल्य नहीं मिल पाता ऐसे क्षेत्र का सर्वे कर सरकार ने मखाना विकास योजना की शुरुआत की है। इसके तहत किसानों का समूह बनाकर खेती के रकबा को बढ़ाना है। भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय पूर्णिया को नोडल सेंटर बनाया गया है।

डॉ. मनोज कुमार ने भी कृषकों को मखाना खेती करने के लिए कई टिप्स दिए। मंच संचालन ज्ञानचंद ने किया। मौके पर कृषक योगेंद्र शर्मा, अब्दुल बहाव, संजीव कुमार, ईश्वर लाल पन्ना लाल सहित काफी संख्या में कृषक उपस्थित थे।


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