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अनुदान के लिए कृषि कार्यालय का चक्कर काट कर रहे सुपौल के किसान, अधिकारी नहीं ले रहे जैविक खेती के प्रोत्साहन में रुचि

सुपौल में जैविक खेती करने के बाद अब किसान अनुदान के लिए परेशान हैं। तीन साल से वे अनुदान की राशि के लिए सरकारी कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन अधिकारी उनकी समस्या पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इससे किसानों में निराशा है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 04:54 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 04:54 PM (IST)
अनुदान के लिए कृषि कार्यालय का चक्कर काट कर रहे सुपौल के किसान, अधिकारी नहीं ले रहे जैविक खेती के प्रोत्साहन में रुचि
सुपौल में जैविक खेती करने के बाद अब किसान अनुदान के लिए परेशान हैं।

 जागरण संवाददाता, सुपौल। जिले में जैविक खेती प्रोत्साहन योजना उदासीनता की भेंट चढ़ कर रह गई है। इस योजना में जहां पिछले तीन वर्षों से राशि का अकाल बना हुआ है। वहीं पूर्व में किसानों द्वारा बनाए गए वर्मी बेड के अनुदान की राशि उन्हें नहीं मिल पाई है। जिससे किसान अपने को ठगा महसूस कर अनुदान राशि के लिए कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। जिससे जिले में जैविक खेती पर ब्रेक सा लग गया है। दरअसल सरकार ने अंधाधुंध रासायनिक खादों का प्रयोग पर विराम लगाने के लिए यह योजना शुरू की थी। इस योजना का मकसद रासायनिक खादों के प्रयोग से मिट्टी की क्षीण हो रही उर्वरा शक्ति को बचाना था। परंतु राशि के अभाव के कारण योजना धरातल पर उतरने से पहले ही दम तोड़ गई। योजना के तहत जैविक खेती के प्रति किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ खेती के इस पद्धति को अपनाने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि दी जाती थी। किसान जैविक खाद का उत्पादन कर इसका उपयोग खेतों में करते थे। हालांकि ऐसे किसानों की अपेक्षाकृत संख्या कम ही थी। लेकिन देखा देखी में किसानों की संख्या बढ़ ही रही थी कि राशि के अभाव के कारण योजना विस्तारित होने से पहले ही दम तोड़ गई। वर्तमान स्थिति है कि जहां पिछले वित्तीय वर्षों से इस योजना का न ही विभाग को लक्ष्य प्राप्त हुआ है और न ही राशि। जबकि इससे पूर्व योजना के तहत जिन किसानों ने वर्मी बेड का निर्माण किया था उसमें से 140 किसानों को आज तक अनुदान की राशि नहीं मिल पाई है।

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वित्तीय वर्ष 2018-19 के बाद नहीं आई राशि

जिला कृषि कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2018-19 के बाद इस योजना में सरकार द्वारा राशि उपलब्ध नहीं कराई गई है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में इस योजना के तहत जिले में 235 वर्मी बेड निर्माण का लक्ष्य दिया गया था। हालांकि लक्ष्य को पूरा कर लिया गया, परंतु 93 किसान जिन्होंने 465 बेड का निर्माण किया था उन्हें आज तक अनुदान की राशि नहीं मिल पाई है। इसी तरह वित्तीय वर्ष 2018-19 में कुल 1600 बेड निर्माण का लक्ष्य विभाग को दिया गया था। जिसमें से 47 किसान जिन्होंने 235 वर्मी बेड का निर्माण किया था, उन्हें आज तक अनुदान की राशि भुगतान नहीं हो पाई है।

पिछले 3 वित्तीय वर्ष से इस योजना में नहीं आई राशि

वित्तीय वर्ष 2019-20, 2020-21 तथा 2021-22 में इस योजना में सरकार द्वारा विभाग को न ही लक्ष्य दिया गया है और न ही राशि। जिसके कारण यह योजना जिले में धारासाही हो चुका है। परिणाम है कि किसान जैविक खाद के बदले रासायनिक खादों का उपयोग कर मिट्टी की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि सरकार अन्य कई योजनाओं में पैसे को पानी की तरह बहा रही है। लेकिन किसानों से जुड़ी योजनाओं में उदासीन बनी है। अनुदान की व्यवस्था रहने के कारण किसानों को वर्मी बेड निर्माण में अधिक आर्थिक बोझ नहीं उठाना पड़ता था।

मिट्टी की सेहत को बचाने का तरीका है जैविक खेती

जैविक खेती में रासायनिक उर्वरकों कीटनाशकों के स्थान पर कुदरती खाद का प्रयोग किया जाता है। इससे न केवल भूमि की पैदावार शक्ति लंबे समय तक बनी रहती है। बल्कि पर्यावरण भी संतुलित रहता है। इसी विधि से उत्पादित फसल स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद माना जाता है। कृषि वैज्ञानिक के अनुसार जैविक खाद के प्रयोग से पोषक तत्व पौधे को काफी समय तक मिलता है। इन खाद के प्रयोग से दूसरी फसल को भी लाभ मिलता है। रासायनिक खाद के मुकाबले जैविक खाद जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में सहायक होती है।

8 वर्ष पूर्व शुरू की गई थी यह योजना

करीब 8 वर्ष पूर्व जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने जैविक खेती प्रोत्साहन योजना लागू की थी। जिसके तहत वर्मी कंपोस्ट उत्पादन करने के लिए बनाए जाने वाले बेड पर सरकार द्वारा प्रति यूनिट 5000 प्रोत्साहन की राशि देती थी। जिसके कारण किसान आसानी से बेड का निर्माण कर खाद का उत्पादन कर इसका उपयोग अपने खेतों में करते थे। लेकिन प्रोत्साहन राशि का अकाल पड़ा है। जिससे जिले में इस योजना को ब्रेक सा लग गया है।

बोले जिला कृषि पदाधिकारी

जिला कृषि पदाधिकारी समीर कुमार ने कहा कि पिछले तीन वित्तीय वर्ष से इस योजना में न ही लक्ष्य प्राप्त हुआ है और न ही राशि। जहां तक किसानों के बकाया प्रोत्साहन राशि का सवाल है इसके लिए विभाग से राशि की मांग की गई है। राशि मिलते ही किसानों को प्रोत्साहन राशि उनके खाते में दे दी जाएगी।


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