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कोरोना जो ना कराए... शिक्षा देनेवाले हाथ आज बेच रहे आम, शिष्‍य पर पड़ती नजर तो झूक जाती है आंखें

कोरोना के कारण निजी शिक्षकों को काफी परेशानी हुई। स्‍कूल कोचिंग बंद हो गए हैं। निजी ट्यूशन भी नहीं मिली रहा है। इस कारण ऐसे लोग आम बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं। इससे शिक्षकों को शर्मिंदा भी होना पड़ता है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Fri, 28 May 2021 01:21 PM (IST)Updated: Fri, 28 May 2021 01:21 PM (IST)
कोरोना जो ना कराए... शिक्षा देनेवाले हाथ आज बेच रहे आम, शिष्‍य पर पड़ती नजर तो झूक जाती है आंखें
शिक्षक आम बेचने को हो गए मजबूर।

संवाद सूत्र, रूपौली (पूर्णिया)। यह कोरोना लोगों को कौन-कौन दिन दिखाएगा, यह कोई नहीं जानता। कब कोई अपना परिजन खो दे, कब अपना बसा-बसाया रोजगार खो दे, कब क्या हो जाए कहना मुश्किल है। ऐसा ही एक उदाहरण टीकापट्टी में देखने को मिला है, जहां एक युवक अपनी बेरोजगारी दूर करने के लिए कोचिंग चलाता था, बच्चों को शिक्षा देने के साथ-साथ अपने परिवार का पेट भी भरता था।

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परंतु लगातार दूसरी बार आयी इस कोरोना महामारी ने उसे सड़क पर लाकर छोड़ दिया है। अब वह अपने परिजनों का पेट भरने के लिए सड़क पर आम बेचते देखा जा सकता है। उसकी यह स्थिति देखकर लोगों की आंखें भर आती हैं। खासकर राह से गुजरते उसके शिष्य अपने गुरु की ऐसी हालत देख आंखों में आंसू लिए आगे बढ़ जाते हैं । अगर यही हालत रही तो निश्चित ही भीषण स्थिति आ सकती है। इस तरह के ना जाने कितने विद्वान नौजवानों का भविष्य इसी तरह दांव पर लग गया है। देखें सरकार ऐसे कोचिंग चालकों के लिए क्या कदम उठाती है ।

विद्यालयों की संपन्नता पर लगी कोरोना की नजर, महरूम हो रहे विद्यार्थी

कोरोना संक्रमण के कारण पिछले वर्ष से पूरी तरह स्कूल नहीं चल पाने के कारण बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। हालांकि दूरदर्शन पर मेरा विद्यालय मेरा कार्यक्रम के तहत नवमीं से 12वीं तक के विद्यार्थी को पढ़ाई से जोड़ा गया है। श्याम बाबू राम, डीईओ, पूर्णियाजागरण संवाददाता, पूर्णिया: सरकारी विद्यालयों में हाल के वर्षों में प्रगति के कई कार्य हुए हैं। यह प्रगति चाहे शैक्षणिक हो, निर्माण कार्य से जुड़ा हुआ या फिर विकास के अन्य आयामों से जुड़ा हुआ। यह निश्चित रूप से विद्यालयों के हालात में सुधार को दिखा रहा है। प्रारंभिक विद्यालय हो या हाईस्कूल, इनमें भवन निर्माण समेत स्मार्ट क्लास रूम, खेलकूद सामग्री, प्रयोगशाला भवन, बिजली के उपकरण आदि की खरीदारी पर पिछले कुछ वर्षों में बिहार सरकार की ओर से 32 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की गई है। लेकिन विद्यालयों की इन संपन्नता पर कोरोना की नजर लग गई है। विद्यालय बंद रहने से विद्यार्थी को इन सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। मार्च 2020 से व्याप्त कोरोना महामारी ने एक झटके में विद्यार्थी को इन सुविधाओं से महरूम कर दिया है। बिना स्कूल गए बच्चों ने मैट्रिक और इंटर की परीक्षा दी तो नौवीं और उससे नीचे की कक्षााओं के बच्चों को अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया गया। इस वर्ष अभी नामांकन के बाद पढ़ाई शुरू ही हुई थी कि कोरोना की दूसरी लहर ने एक बार फिर से पूरी व्यवस्था को अपनी चपेट में ले लिया है। फिलहाल विद्यालय खुलने समेत आम जन जीवन के बहाल होने की कोई निश्चित समय-सीमा की भविष्यवाणी भी किसी के पास नहीं है।


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