पूर्णिया : टीबी रोगी पहचान दर में 60 फीसद तक की कमी, हो सकता है जानलेवा
टीबी रोगी पहचान दर में खासी कमी आई है। दोबारा से यह कार्यक्रम अबतक पटरी पर नहीं उतर पाया है। इस वर्ष के जनवरी और फरवरी माह की तुलना में 60 फीसद कम मरीजों की पहचान हुई है।
पूर्णिया [दीपक शरण]। कोरोना महामारी के कारण कई स्वास्थ्य कार्यक्रम पर इसका विपरीत प्रभाव अब सामने आ रहा है। इसमें टीबी नियंत्रण कार्यक्रम भी शामिल है। लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद भी टीबी रोगी पहचान दर में खासी कमी आई है। दोबारा से यह कार्यक्रम अबतक पटरी पर नहीं उतर पाया है। इस वर्ष के जनवरी और फरवरी माह की तुलना में 60 फीसद कम मरीजों की पहचान हुई है।
पहचान दर में कमी जानलेवा भी हो सकती है और बीमारी के फैलाव के लिहाज से भी घातक है। हाल के महीनों में पहचान दर लगातार कमी हुई है। जनवरी 2020 में 282 सरकारी अस्पताल में और 268 निजी क्लिनिक में नोटीफाइड हुए। जबकि अप्रैल माह में महज 90 टीबी मरीजों की पहचान हुई इसमें सरकारी अस्पताल में 57 और निजी क्लिनिक में 33 हैं। इससे समझा जा सकता है कि वैश्विक महामारी कोरोना से निपटने के दौरान विभाग कितनी बड़ी लापरवाही कर रहा है। जनवरी में 550, फरवरी माह में 616, मार्च में 361 मरीज की पहचान की गई है इसकी उलट अप्रैल में 90, मई में 152 और जून में अबतक 189 टीबी मरीज की पहचान हुई है। इस आंकड़े से साफ है कि अब 60 फीसद से भी अधिक कम मरीज नोटिफाइड हो रहे हैं। जुलाई और अगस्त माह में भी यही हाल है। रोगियों की पहचान के लिए अतिरिक्त विभागीय प्रयास भी नहीं किया जा रहा है।
पहचान दर कमी घातक
चिकित्सक बताते हैं कि अगर एक बार नोटीफाइड के बाद दवा की खुराक प्रारंभ हो गयी तो वह अन्य व्यक्ति में संक्रमण नहीं फैलाता है लेकिन उसकी पहचान नहीं हुई है तो वह ना जाने यह बीमारी कितनों को फैला देगा। विभाग का मानना है कि बड़ी संख्या में टीबी रोगी मिङ्क्षसग होते हैं। पिछले वर्ष भी पूर्णिया जिला में 4067 टीबी मरीज मिले थे। ऐसे पहचान में सुस्ती घातक हो सकती है। 2025 तक टीबी के पूर्ण उन्मूलन का लक्ष्य जरुर रखा गया है लेकिन यह लापरवाही लक्ष्य पाने में बड़ी बाधक बन सकती है। राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) को बदलकर राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) कर दिया गया है।
साल दर रोगी की संख्या में वृद्धि
2020 में अबतक 1958 टीबी मरीज की पहचान हुई है इसमें सरकारी अस्पताल में 972 और निजी क्लिनिक में 986 है। इसमें पूर्णिया शहरी इलाके में ही निजी क्लिनिक में 965 टीबी मरीज की जांच हुई है जबकि सरकारी अस्पताल में महज 273 रोगी की पहचान हुई। यह साफ है सरकारी स्तर पर जिला टीबी नियंत्रण विभाग घोर लापरवाही कर रहा है। पिछले तीन वर्ष में आंकड़े में नजर डालें तो 2018 में 3147 टीबी मरीज मिले, 2019 में 4067 और इस वर्ष अबतक 1988 रोगियों की पहचान हुई है। निजी दवा केंद्र में मुफ्त दवा देने की बात है लेकिन अबतक विभाग ऐसे दवा केंद्रों को ही नोटिफाइड ही नहीं कर पाया है।
लॉकडाउन के बाद अब सभी कार्यक्रम को वापस पटरी पर लाया जा रहा है। टीबी नियंत्रण विभाग को निर्देश दिया गया है कि मरीजों की पहचान, निजी क्लिनिक व लैब से समन्वय, दवा की खुराक की फोलोअप को चुस्त करें। इसके लिए अलग से पहचान अभियान जल्द प्रारंभ होगा।
डॉ. उमेश शर्मा, सिविल सर्जन