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टीबी अब लाइलाज नहीं, सतर्कता और सावधानी जरूरी, बता रहे चिकित्‍सक

टीबी लक्षण दिखते ही तुरंत कराएं जांच सभी सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है निश्शुल्क जांच और इलाज की सुविधा। लगातार दो हफ्तों से ज्यादा खांसी रहने पर बलगम की जांच कराएं। जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद डॉक्टर की सलाह के अनुसार टीबी की दवा का पूरा कोर्स लें।

By Dilip Kumar shuklaEdited By: Published: Mon, 08 Mar 2021 07:40 AM (IST)Updated: Mon, 08 Mar 2021 07:40 AM (IST)
टीबी अब लाइलाज नहीं, सतर्कता और सावधानी जरूरी, बता रहे चिकित्‍सक
डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करें।

जागरण संवाददाता, मुंगेर। टीबी एक संक्रामक बीमारी है, लेकिन अब यह लाइलाज नहीं है। इससे बचाव के लिए पूरी सतर्कता और सावधानी बेहद जरूरी है। शुरुआती दौर में ही लक्षण दिखने के बाद इसकी सही जांच और समुचित इलाज कराना भी जरूरी है। प्रारंभिक दिनों में ही इस बीमारी का सही इलाज शुरू कराने से बीमारी से स्थाई निजात तो मिलती ही है, साथ ही आप आसानी से इस बीमारी को मात भी दे सकते हैं। इसके लिए टीबी की शुरुआती लक्षण नजर आते ही तत्काल जांच कराने के साथ ही चिकित्सकीय परामर्श का पालन करना जरूरी है। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद तत्काल चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार अपना इलाज कराएं। इस दौरान इस बात का भी विशेष ख्याल रखें कि बीमारी के ठीक होने तक दवाई का क्रम छूटने न पाएं।

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टीबी के लक्षण दिखते ही तत्काल स्थानीय स्वास्थ्य संस्थान में कराएं जांच

टीबी समन्वयक शैलेंदु कुमार ने बताया कि टीबी का लक्षण दिखते ही ऐसे मरीजों को तुरंत स्थानीय सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में जांच कराना चाहिए, जांच के पश्चात चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार ही इलाज कराना चाहिए। समय रहते आसानी के साथ इस बीमारी को मात दी जा सके और अन्य लोगों को भी सुरक्षित किया जा सके। टीबी बीमारी से  स्थाई रूप से निजात के लिए शुरुआती दौर में ही जांच और इलाज कराना बेहद जरूरी है। जिले के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में निश्शुल्क जांच एवं दवाई की सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ ही ऐसे मरीजों को उचित पोषक आहार लेने के लिए भी निश्चय पोषण योजना के तहत आर्थिक सहायता राशि भी दी जाती है। पोषण योजना के तहत प्रति महीने पांच सौ रुपये की दर से पूरी अवधि तक उचित खान-पान के लिए सहायता राशि दी जाती है।

 टीबी से बचाव के उपाय 

- लगातार दो हफ्तों से ज्यादा खांसी रहने पर बलगम की जांच कराएं। जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद डॉक्टर की सलाह के अनुसार टीबी की दवा का पूरा कोर्स लें। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करें ।

- हमेशा मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को रुमाल या पेपर नैपकिन से कवर करें।

- टीबी मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद करने के बाद डस्टबिन में डाल दें। यहां-वहां थूकने से परहेज करें।

- टीबी मरीज हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में ही रहें ।

- हमेशा पौष्टिक खाना खाएं व योग और व्यायाम करें ।

- बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें।

- भीड़भार वाली जगहों और गंदी जगहों पर जाने से बचें।

ये हैं टीबी के लक्षण:

- भूख न लगना या कम लगना तथा वजन का अचानक से कम हो जाना।

- बेचैनी एवं सुस्ती रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट व रात में पसीना आना।

- हलका बुखार का रहना।

- खांसी , खांसी में बलगम तथा बलगम में खून आना। कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ जाना।

- गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आ जाना तथा वहीं फोड़ा होना

- गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोडऩे में परेशानी आदि

- महिलाओं को बुखार के साथ गर्दन जकडऩा, आंखें ऊपर को चढऩा या बेहोशी आना ट््यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस के लक्षण हैं

- पेट की टीबी में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि

- टीबी न्यूमोनिया के लक्षण में तेज बुखार, खांसी व छाती में दर्द होता है


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