Move to Jagran APP

तारापुर उपचुनाव: अब लालू और नीतीश की जुड़ी प्रतिष्‍ठा, कौन जीतेंगे मतदाताओं का विश्वास, एक विश्‍लेषण

Tarapur assembly election analysis अब शेष है साख और विश्वास की परख। उपचुनाव में सभी पार्टियों ने लगाया एड़ी-चोटी का जोर। लालू और नीतीश ने भी की चुनावी सभा। सभी की प्रतिष्‍ठा अब यहां दांव पर लग गई है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 28 Oct 2021 11:51 AM (IST)Updated: Thu, 28 Oct 2021 11:51 AM (IST)
तारापुर में चुनावी सभा को संबोधित करते लालू प्रसाद और नीतीश कुमार।

तारापुर (मुंगेर) [संजय सिंह]। तारापुर उपचुनाव में प्रचार का दौर समाप्त हो गया। स्वतंत्र भारत के राजनीतिक इतिहास में तारापुर उपचुनाव में जितनी राजनीतिक ताकत लगाई गई, शायद ही कभी पूर्व बिहार की किसी विधानसभा सीट के लिए इतनी ताकत लगाई गई हो। इस चुनाव में एक तरफ सरकार की साख दाव पर लगी है तो राजद का कैडर वोटरों का मन टटोलने का विश्वास भी दाव पर है।

loksabha election banner

गठबंधन धर्म टूटा, लोजपा में चाचा-भतीजा के बीच की दूरी बढ़ी। इन परिवर्तनों की परख इस उपचुनाव परिणाम में होगी। उपचुनाव में जदयू की ओर से राजीव कुमार सिंह, राजद की ओर से अरुण साह, कांग्रेस की ओर से राजेश मिश्रा और लोजपा ने चंदन कुमार सिंह को मैदान में उतारा गया है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद और कई मंत्रियों-विधायकों ने एनडीए की साख बचाने के लिए दिन-रात पसीना बहाया।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी दो दिनों तक चुनाव प्रचार के लिए आना पड़ा। पहले यह सीट जदयू के ही पास थी। इस सीट से दो बार मेवालाल चौधरी और एक बार उनकी पत्नी नीता चौधरी विधायक रह चुकी हैं। राजद भी इस चुनाव के बहाने अपने कैडर वोटरों का विश्वास परखना चाहता है। राजद ने भी चुनाव प्रचार के लिए अपने विधायकों को पंचायत स्तर पर जिम्मेदारी सौपी। विधायकों ने पंचायत स्तर पर पहुंचकर कैडर वोटरों को पार्टी से जोडऩे के लिए जीतोड़ परिश्रम किया। इस सीट पर पिछले आम विधानसभा चुनाव में राजद के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री जय प्रकाश यादव की बेटी दिव्या प्रकाश चुनाव लड़ी थीं। वह लगभग 7000 वोटों से हार गई थीं। इस बार वहां पार्टी ने चेहरा बदला है। वैश्य समुदाय से उम्मीदवार दिया है। लगभग छह वर्ष के बाद ईदगाह मैदान में लालू की सभा हुई। उसमें उमड़ी भीड़ को देखकर राजद सर्मथक ज्यादा उत्साहित दिखे। इस बहाने राजद अपने पार्टी कैडरो के लिए लिटमस टेस्ट करना चाहता है।

इस चुनाव में एक नई बात यह है कि राजद और कांग्रेस के बीच गठबंधन टूट चुका है। कांग्रेस ने पूर्व में निर्दलीय चुनाव लड़ चुके राजेश मिश्रा को टिकट दिया है। राजेश मिश्रा निर्दलीय चुनाव लड़कर 11000 से ज्यादा मत ला चुके हैं। अपने प्रत्याशी की जीत के लिए पार्टी के कई कद्दावर नेता चुनाव प्रचार में कैंप किए हुए थे। इस चुनाव के बहाने कांग्रेस भी इस बात का पता करने की कोशिश कर रही है कि उसकी राजनितिक जमीन कितनी उर्वर है। लोजपा (रामविलास) ने जमुई निवासी चंदन कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाया है। लोजपा दो फाड़ में बंट चुकी है। तारापुर विधानसभा क्षेत्र जमुई संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है।

इस कारण जमुई के सांसद चिराग पासवान के लिए भी यह सीट प्रतिष्ठा की सीट मानी जा रही है। इस कारण अपने प्रत्याशी के लिए चिराग पासवान और उनके प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने खूब पसीना बहाया। चिराग के परिश्रम पर उनके चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस भी तारापुर की चुनावी सभा में आकर लगातार कटाक्ष करते रहे। 30 अक्टूबर को मतदान है। मतगणना के बाद ही यह पता चलेगा कि जीत साख की हुई या विश्वास की।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.