Tarapur By Election : एक चुनाव ऐसा, कभी ना देखा जैसा, पढ़ें खट्टा-मीठा दिनभर का रिव्यू
Tarapur By Election मुंगेर के तारापुर में शनिवार को मतदाताओं ने अपना वोट कास्ट किया। 51.5 फीसदी वोटिंग हुई। दिनभर लोकतंत्र के महापर्व को लेकर एक अलग ही माहौल बना रहा। इस माहौल में क्या कुछ अलग हुआ पढ़ें दिनभर का रिव्यू...
आनंद कुमार सिंह, तारापुर (मुंगेर)। Tarapur By-Election: खड़गपुर में मां को सब्जी बेचने में सहयोग करने वाली आठवीं कक्षा की मोनिका झटके से गंगटा की ओर बढ़ी चली जा रही है। पूछने पर कहती है, गाड़ियां कम चल रही हैं। सो, आज सब्जियां नहीं बिकीं। नेताजी ने डीह बाबा (पिंडी वाले ग्रामीण देवता) को चार पाठों (बकरों) की बलि दी है। समर्थक सब खाना खाएंगे। वहां बर्तन मांजने के लिए बुलाया है। दो टोकना (बर्तन) मांजने पर कुछ पैसे भी मिलेंगे और बची-खुची लोहरैनी (मांस) भी। आज भर खा लें, फिर छठ के बाद ही। टेटिया बंबर प्रखंड की सुगनी देवी, रामजीवन मंडल, सुलोचना देवी, खिरिया देवी, रामउचित मंडल आदि हाथ में वोटर आइडी लेकर वोट देने जा रहे हैं। मोनिका को टोकते हैं-कार्तिक में मांस-भात!
तारापुर में इस बार का विधानसभा उपचुनाव लोगों के लिए अनोखा है। लोगों ने इतने नेताओं की फौज देखी है, जितनी आज तक किसी चुनाव में नहीं दिखी। थोड़ा आगे बढऩे पर खड़गपुर-तारापुर सड़क आती है। सड़क के दोनों ओर धनखेत हैं और बीच-बीच में कुछ मकान-दुकानें और पानी से भरे गड्ढे। चुनाव बच्चों के लिए बोनस की तरह छुट्टी लेकर आता है। कुछ बच्चे पकड़म-पकड़ाई खेल रहे हैं तो कुछ मछलियां मार रहे हैं। यहीं कीचड़ में कूदा सात वर्षीय अभिराम बताता है कि एलेक्शन (इलेक्शन) है। हमलोग को मछली मिलेगा (मिलेगी) तो नेवारी (पुआल) पर पकाकर खाएंगे। कौन सा एलेक्शन! जवाब मिलता है-चीन और तेजस्वी यादव के बीच टक्कर है। आस-पास के ग्रामीण उसकी नासमझी पर खूब मौज लेते हैं।
सड़कों पर वाहनों का दबाव कम है, सो रफ्तार अधिक हो गई है। पुलिस की गाड़ियां और अर्धसैनिक बलों की बाइकें भी इधर-उधर कुछ देर रुकती हैं और फिर चल देती हैं। एक से दूसरे मतदान केंद्र की ओर। आगे शांतिनगर के पास पंकज कुमार वोट देकर आ रहे हैं। पूछने पर बताते हैं-हम कुछ छिपाएंगे नहीं। वोट देकर आए हैं। युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है, पेट्रोल का दाम बढ़ गया है, महंगाई बढ़ गई है। इनके जाने के बाद इन्हीं के परिवार के 19 वर्षीय रिशु कुमार कहते हैं कि मोदी ने गरीब को काफी सुरक्षित किया। वह अपने घर से कहां से किसी को कुछ देंगे।
रिशु गन्ने का रस बेचता है। पास में पड़ीं कुर्सियों पर कुछ ग्रामीण बैठे हैं। मोदी और तेजस्वी के सवाल पर मिट्ठू साव व बमबहादुर ठाकुर आपस में उलझ पड़ते हैं। काफी गर्मा-गर्मी होती है। बहस बढ़ती जाती है-जनता का तो...क्या जनता का...। इसी दौरान दिखता है कि एक अर्थी को लोग बस से जलाने के लिए सुल्तानगंज ले जा रहे हैं। जनता का तो...की बहस के बीच आवाज गूंज उठती है-राम-नाम सत्य है। दोनों बहसबाज मुर्दे को श्रद्धा से प्रणाम करते हैं और अलग-अलग दिशाओं में चल देते हैं।